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बिना लाइसेंस कर रहे गाइडिंग, सैलानियों को दे रहे हैं भ्रामक जानकारी

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-गोल्डन सिटी जैसलमेर और सूर्यनगरी जोधपुर में बिना वैध लाइसेंस के कई लोग गाइडिंग कर रहे हैं। इन गाइडों में कई लपकागिरि कर रहे हैं तो कई सैलानियों को भ्रामक जानकारी दे रहे हैं….
राइजिंग भास्कर डॉट कॉम. जोधपुर
गोल्डन सिटी जैसलमेर और सूर्यनगरी जोधपुर में कई लोग बिना वैध लाइसेंस के गाइडिंग कर रहे हैं। इन गाइडों में कई लोग तो लपकागिरि कर रहे हैं तो कई गाइड भ्रामक जानकारी दे रहे हैं। गाइड को एनसाइक्लोपीडिया माना गया है। वह सैलानियों का सच्चा दोस्त माना जाता है और उनका सही मार्गदर्शन करता है, मगर जैसलमेर व जोधपुर में स्थिति जुदा है। यहां गैर पंजीकृत गाइड सैलानियों को गलत तथ्य बताकर उनके साथ धोखा कर रहे हैं।
जोधपुर में लपकागिरि करने वाले गाइड सैलानियों को बताते हैं कि घंटाघर अकबर ने बनाया था। इसी तरह मेहरानगढ़, उम्मेद भवन पैलेस, कायलाना, चिड़ियाघर सहित विभिन्न स्थानों के बारे में तथ्यों से परे जानकारी दी जा रही है। यही हाल जैसलमेर का है। गैर पंजीकृत गाइड सैलानियों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं। ये गाइड जो लपके भी होते हैं, सैलानियों को ऐतिहासिक स्थलों के बारे में भ्रामक जानकारी देते हैं।
सरकारी व प्राइवेट नौकरी फिर भी गाइड
कई लोग सरकारी व प्रावइेट नौकरी भी करते हैं और नौकरी के समय में गाइडिंग भी करते हैं। नियमानुसार पार्ट टाइम गाइडिंग नहीं की जा सकती, इन पर कंडक्ट रूल्स लागू होते है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों ने टूरिज्म विभाग से जोड़तोड़ कर लाइसेंस बना लिए हैं और अब गाइडिंग भी कर रहे हैं।
गाइड का धर्म भूल, करते हैं लपकागिरि
गाइड सैलानियों के साथ अपने धर्म को भूल कर लपकागिरि कर रहे हैं। वे सैलानियों को निर्धारित प्रतिष्ठानों से खरीदारी करने को मजबूर करते हैं और दुकानदारों से अपना कमीशन भी लेते हैं। गाइड की एसोसिएशन भी बन चुकी है। पंजीकृत गाइड कई बार टूरिज्म विभाग से कह चुके हैं कि गैर पंजीकृत गाइड सैलानियों को प्राॅपर जानकारी देने की बजाय गलत तथ्य पेश कर रहे हैं, मगर टूरिज्म विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
मौजूदा दौर में गाइड की भूमिका महत्वपूर्ण
सैलानियों को कहां ठहरना है। क्या खाना है। क्या ध्यान रखना है। ऐसी कई बातों का ध्यान रखना होता है। एक सच्चा गाइड ही सैलानी का सच्चा साथी होता है। ऐसे में जबकि गाइड की भूमिका दिनों दिन महत्वपूर्ण होती जा रही है, कुछ गाइडों द्वारा अपना धर्म नहीं निभाने से पूरी गाइड बिरादरी बदनाम होती है। चाहे जोधपुर हो, जैसलमेर हो, उदयपुर हो, बीकानेर हो या माउंट आबू…हर जगह गाइड की भूमिका बढ़ती जा रही है। इस बात को ध्यान में रखते हुए टूरिज्म विभाग को सख्ती बरतनी चाहिए और सैलानियों को भ्रामक जानकारी देने वाले गैर पंजीकृत गाइड के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
शराब के नशे में करते हैं गाइडिंग
कई गाइड ऐसे भी हैं जो शराब पीकर गाइडिंग करते हैं। ऐसा करने से सैलानी अपने को असहज महसूस करते हैं। गाइड को बगैर नशा किए गाइडिंग करनी चाहिए, क्योंकि इससे सैलानी भयभीत रहते हैं।
सैलानियों को होती है निराशा
जिस उत्साह और उमंग के साथ सैलानी जोधपुर व जैसलमेर घूमने आते हैं, उसके बाद जब उन्हें गाइड की भूमिका वाले युवा पसंद नहीं आते तो उन्हें निराशा होती है। सैलानियों का भरोसा गाइड पर ही रहता है। गाइड उनका सच्चा मार्गदर्शक होता है, मगर गाइड ही जब ट्रैक से उतर जाए तो सैलानी कहां जाए?
कमीशन के फेर में रहते हैं गाइड
जोधपुर व जैसलमेर में आने वाले देशी-विदेशी सैलानियों को निर्धारित दुकानों से शाॅपिंग करवा कर गाइड अपना कमीशन वसूलते हैं। गाइड चुनिंदा दुकानों पर ही सैलानियों को ले जाते हैं। इन दुकानदारों से गाइड का मोटा कमीशन बंधा होता है। जो दुकानदार कमीशन नहीं देते हैं उन दुकानदारों के साथ गाइड लड़ने को उतारू हो जाते हैं।
शहर में कदम रखते ही हमला बोल देते हैं
हालत यह है कि जैसलमेर हो या जोधपुर, जैसे ही सैलानी शहर में कदम रखते हैं, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर गाइड सैलानियों पर टूट पड़ते हैं। अपनी पसंदीदा होटल में सैलानियों को ठहराने के चक्कर में वे सैलानियों से अभद्र व्यवहार करने से भी नहीं चूकते। रेलवे स्टेशन पर विभिन्न होटलों से जुड़े गाइड खड़े रहते हैं। जैसे ही सैलानी स्टेशन से बाहर निकलते हैं, गाइड टूट पड़ते हैं और हाथ पकड़ कर उन्हें अपने वाहन में बिठाकर होटल ले आते हैं। कई बार सैलानियों के बजट में मोटी राशि नहीं होती, इस वजह से वे गाइड की मनमाफिक होटल में नहीं ठहर पाते। ऐसे में उन्हें शर्मिंदा भी होना पड़ता है और परेशानी भी होती है।
आचार संहिता की पालना नहीं करते गाइड
टूरिज्म विभाग ने बाकायदा गाइड के लिए आचार संहिता बनाई है। मसलन उन्हें खरीदारी के लिए मजबूर न करना, गलत व भ्रामक जानकारी नहीं देना, उनका मार्गदर्शन करना, परेशानी से बचाना…ऐसे कई मुद्दे हैं, जिनको लेकर गाइड के साथ आचार संहिता बनाई गई है, मगर गाइड इसे फोलो नहीं करते। गाइड की मनमानी से टूरिज्म विभाग को भी शर्मिंदा होना पड़ता है।
पर्यटन पुलिस नहीं करती कार्रवाई
पर्यटकों की सुरक्षा व मार्गदर्शन के लिए पर्यटन पुलिस लगाई जाती है। इनमें रिटायर्ड फौजी को प्राथमिकता दी जाती है। मगर ये पुलिस भी पर्यटकों की मदद करने की बजाय, चंदा उगाही में लग जाती है। लपकागिरि करने वाले गाइड इन्हें भी कमीशन देते हैं। इस वजह से कार्रवाई नहीं हो पाती है। लपकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होने की वजह से उनके हौसले बढ़ रहे हैं। गाइड को अपनी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। गाइड समाज का आइना होता है। गाइड जैसा व्यवहार करेगा, उस जिले व राज्य की वैसी ही पहचान बनेगी। ऐसे में अगर सैलानी बुरा अनुभव लेकर जाएंगे तो न तो वे खुद फिर आएंगे और अन्य लोगों को भी आने से रोकेंगे। इसलिए गाइड को संयम से काम लेना चाहिए।
Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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