तप
मैं
संघर्षों के काल में
तप करता हूं
हालांकि लोग इसे
आदिकालीन मूर्खता कहेंगे
पर फिर भी यह जरूरी है
कि मैं सच की धूनी रमाऊं
जलती गिरती सभ्यता की राख को भभूत की तरह अपने शरीर पर मलूं। और भी जरूरी है
कि मैं संघर्षों की निरर्थकता से निकल कर
हारा हुआ रणछोड़दास बन जाऊं
या फिर शिकारी की मार से
खुद को बचा कर
जंगलों में भागता कोई योद्धा।
अच्छा होगा
मैं देख लूं
टूटने गिरने का सौंदर्य
और भोग लूं भटकन के
उस पूर्वजीय अनुभव को
जो सभ्यता के सूने गलियारों से
मुझे मिलता है।
बुद्ध की तरह मैं भी कह दूं संसार से
कि क्या भाग रहा है भार देख
तुझको तो मैं निस्सार जान
और चल दूं उचित तपोभूमि कि तलाश में
क्योंकि मैं।
संघर्षों के काल में
तप करता।
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