शिव वर्मा. जोधपुर
रम्मत संस्थान द्वारा जयनारायण व्यास स्मृति भवन स्थित आर्ट गैलरी में डॉ. अर्जुन देव चारण द्वारा लिखित राजस्थानी नाटक गवाड़ी का मंचन हुआ। नाटक का निर्देशन आशीष देव चारण द्वारा किया गया। नाटक में मंच पर कुल 11 कलाकारों ने अभिनय का प्रदर्शन किया।
नाटक चार दोस्तों की कहानी पर आधारित है जो की आपस मे खेल खेलने के साथ साथ अपने दैनिक जीवन में आस पास होने वाली सत्य घटनाओं पर काल्पनिक ताना बाना बुनने लगते हैं। जैसे जैसे नाटक की कहानी आगे बढ़ती है चारों दोस्तों में एक एक कर के वैचारिक मतभेद से अलग होते जाते हैं और अंत मे सिर्फ एक व्यक्ति रह जाता है। वास्तविकता में अंत मे एक व्यक्ति नही एक व्यक्ति व्यक्तिगत रह जाता है।
नाटक गवाड़ी में अभिनय कर रहे कुल 11 कलाकारो में से 7 कलाकार ऐसे थे जिन्होंने पहली बार नाटक किया। नाटक के सभी किरदार नाटक की मंचीय अपेक्षा पर खरे उतरते नजर आए। नाटक की राजस्थानी भाषा, नाटक में बजने वाला लाइव संगीत और गाने नाटक को एक अलग ही विशेषता प्रदान करते हैं। नाटक की लेखनी प्रयोगशील रंगमंच को बढ़ावा देती हुई है। एक दृश्य से दूसरे दृश्य में कहानी का परिवर्तन होने का तरीका नाटक को रोचक बनाती है जो दर्शकों को अंत तक नाटक से बांधे रखती है। नाटक की कहानी ग्रामीण परिवेश से रूबरू करवाती तो है ही साथ में शहरीय वर्जनाएँ भी थामे हैं जो दर्शकों को कहानी में कही न कही खुद को और खुद के निजी जीवन को जोड़ने का प्रयास करते है। इसीलिए 80 के दशक का नाटक आज भी वर्तमान समय मे सटीक बैठता है। इस नाटक को पूर्व में राजस्थानी साहित्य साहित्य अकादमी उदयपुर से गद्य पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।
ये कलाकर प्रमुख भूमिका में नज़र आये
माधो सिंह की भूमिका में आसीष देव चारण, बाबुड़ा की भूमिका में प्रांशु मूथा, अमकूडो की भूमिका में अर्जुन प्रजापत, मघीया की भूमिका में कनिष्क परिहार, डुंगजी की भूमिका में मानद व्यास, भिखजी की भूमिका में भरत कुमार, लखजी सरपंच एक की भूमिका में संजय विश्नोई, अचिया की भूमिका में आशीष नाबरिया, कंजी की भूमिका में मनीष गोयल, वही नाटक का संगीत संयोजन करने वाली टीम में गिटार पर विवेक पुरोहित, घटम पर दिव्यांश व्यास, हारमोनियम पर मानद व्यास व नाटक के गाने आसिष देव चारण ने लिखे हैं। मंच व्यवस्था सौरभ तंवर व लाइट मोहमद शफी।