-लीला कृपलानी के कविता संग्रह ‘शाश्वत सत्य’ व कहानी संग्रह ‘हृदयहीनता’ का लोकार्पण
पंकज जांगिड़. जोधपुर
अंतर प्रांतीय कुमार साहित्य परिषद की ओर से गांधी शांत प्रतिष्ठान में लीला कृपलानी के काव्य संग्रह शाश्वत सत्य और कहानी संग्रह हृदयहीनता का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देश के चोटी के कहानीकार और स्तंभकार हरिप्रकाश राठी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ईमानदारी और सत्य की रक्षा के लिए अवतरित होते रहते हैं। ऐसी ही लेखकीय चेतना से परिपूर्ण लीला कृपलानी के कहानी संग्रह हृदयहीनता की कहानियों में हम भावों और शब्दों से संवाद करते हैं। लीला कृपलानी की विभिन्न कहानियों की राठी ने समीक्षा करते हुए कहा कि लीलाजी अपने जीवन में संघर्ष करती प्रतीत होती है और यही संघर्ष उनकी रचनाओं में प्रतिबिंबित होता है। दिनकर और दुष्यंत की रचनाओं का हवाला देते हुए राठी ने कहा कि लीलाजी की कहानी समर्पण अपने आप में अनूठी कहानी है। यह कहानी हमें सत्य से साक्षात्कार करवाती है।
हरिप्रकाश राठी ने कहा कि सत्य के अन्वेषण में लेखकों को जिस चेतना से टकराना पड़ता है वही चेतना लीला कृपलानी के कहानी संग्रह में देखी जा सकती है। राठी ने कहा कि लीला कृपलानी की कहानी घर बैठे गंगा स्नान में कोरोना पीड़ितों की मदद का भाव उस दौर का सजीव चित्रण करता प्रतीत होता है। राठी ने कहा कि लीला कृपलानी की कहानियों में वो सबकुछ है तो एक लेखक में होना चाहिए। एक कहानीकार में जितने भी गुण होते हैं उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती। लीला कृपलानी अपने ढंग से कहानियों को लिखती हैं। वे कहानियों को अपने भीतर जीती है। हृदयहीनता कहानी कुछ ऐसी ही है।
प्रतिकूल हालात में भी लीलाजी ने अपना लेखकीय संघर्ष जिया है : कमलेश तिवारी
लीला कृपलानी के कहानी संग्रह हृदयहीनता की समीक्षा करते हुए कमलेश तिवारी ने कहा कि लीला कृपलानी प्रतिकूल हालात में भी लेखकीय संघर्ष जीती है। वे उम्र के साथ भी सक्रिय है। उन्होंने कभी निराशा के भाव अपने पर हावी नहीं होने दिए। उम्र के पड़ाव ने उनके सामने दुश्वारियां पैदा जरूर की मगर वे टूटीं नहीं और अपना लेखन जारी रखा। तिवारी ने कहा कि वे पड़ोसी होने के नाते उनसे अक्सर मिलते हैं और उनको नजदीक से जानते हैं। वाकई में लीलाजी ने जो संघर्ष जीवन में जिया है उसकी कोई मिसाल नहीं है। लीला कृपलानी की कहानियों में शिल्प की बेशक कुछ कमी हो सकती है, मगर वे कहानियों के साथ पूरा न्याय करती है। लीलाजी की कहानियों में जीवन का शारांश है।
शाश्वत सत्य काव्य संग्रह भावों और अनुभव का गुलदस्ता : डॉ. कैलाश कौशल
काव्य संग्रह शाश्वत सत्य की समीक्षा करते हुए विशिष्ट अतिथि डॉ. कैलाश कौशल ने कहा कि लीला कृपलानी को जन्मदिन की बधाई। उन्होंने कुल 22 किताबें लिखी हैं और आज 22 अक्टूबर को उनका जन्मदिन भी है। यह संयोग भी अजीब है। डॉ. कौशल ने कहा कि लीला कृपलानी के भीतर एक ऐसा कवि विराजमान है जो भावों और अनुभव का गुलदस्ता सजाता है। लीला कृपलानी की मां पर कुछ अच्छी कविताएं हैं, वहीं पिता पर उनकी कविता हटकर है। इस कविता में जब लीला कृपलानी कहती है कि पिता अब नहीं रहे तो उनका जैसे आत्मविश्वास ही टूट गया। पिता पर उनके भाव बड़े ही मार्मिक बन पड़े हैं। इसी तरह लीला कृपलानी ने जीवन के प्रति आस्था एवं राग-विराग के स्वरों को जिया है। लीलाजी अपने जिए हुए जीवन को अपने अनुभव की आंख से देखती है। उसका आकलन करते हुए समय की पदचाप को सुनती हैं। जीवन गति को सहज ही शब्दबद्ध करती हैं और जीवन सार को सरलता से अभिव्यक्त कर देती है। लीला कृपलानी का कवि मन दुख मिश्रित जीवन के पार देखना चाहता है। अकेलेपन से जूझती हुई उदासी को परे हटाकर सृजन के सिरों के बीच खड़े होकर जीवन लय को पाना आसान नहीं है। कभी एक चिड़िया की चहक और परों में आकाश समेट लेने का हौसला बुलंद होता है तो कभी मंद होती लौ का सा मन और दुनियावी स्वार्थों की चकाचौंध से त्रस्त हृदय की मंथर गति का आभास होता है।
मैंने प्रयास किया, दोनों पुस्तकें आपके सामने है : कृपलानी
इस मौके पर लीला कृपलानी ने अपनी साहित्यिक यात्रा और जीवन के संघर्षों पर संक्षेप में बताते हुए कहा कि उनकी दोनों पुस्तकें आपको हाथों में है। अब आप ही इसका आकलन करें। एक साहित्यकार के लिए पाठक ही महत्वपूर्ण होते हैं। लीला कृपलानी ने कोरोना काल के दौरान हुए अनुभव भी सुनाए और कुछ कहानियों के बारे में संक्षेप में जानकारी दी।
साहित्य लेखन और पठन जीवन को सहज बनाता है : भट्टाचार्य
अंतर प्रांतीय कुमार साहित्य परिषद की अध्यक्ष गीता भट्टाचार्य ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि साहित्य लेखन और पठन जीवन को सहज और सरल बनाता है। दोनों जीवन में मनोरंजन करते हैं। जीवन को सुकून देते हैं। लीलाजी का साहित्य मैंने पढ़ा है। उनका साहित्य युवा पीढ़ी के लिए प्रेरक हैं। नई पीढ़ी को उनसे सीखना चाहिए। भागवत पर आधारित उनकी पुस्तक में गागर में सागर है। इसे हर किसी को पढ़ना चाहिए। चिंतन के पल किताब भी सार्थक रचना है। लीलाजी के जीवन में दुख जरूर आए मगर उन्होंने अपने आपको इससे निकाला और जीवन की दिशा साहित्य की ओर मोड़ दी। लीलाजी सबके लिए प्रेरणास्रोत हैं। कार्यक्रम के आरंभ में अंतर प्रांतीय कुमार साहित्य परिषद की महामंत्री डॉ. पद्मजा शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही वरिष्ठ साहित्यकार मनोहरसिंह राठौड़, हबीब कैफी, श्याम गुप्ता शांत, रमाकांतजी, बसंती पंवार आदि ने मंचासीन अतिथियों का सम्मान किया। संचालन आकाशवाणी उद्घोषक मधुर परिहार ने किया। इस मौके पर श्री जागृति संस्थान के अध्यक्ष राजेश भैरवानी, सचिव हर्षद भाटी, संस्थापक दिलीप कुमार पुरोहित, मीडिया मैनेजर पंकज जांगिड़, संरक्षक एडवोकेट एनडी निंबावत, अशफाक अहमद फौजदार, महेश पंवार, राजन वैष्णव, राखी पुरोहित, स्नेहलता सुथार, अनिता जांगिड़, रजनी अग्रवाल, वीना अचतानी, चांदकौर जोशी, आशा पाराशर, अनिल अनवर, अंजना, तृप्ति गोस्वामी काव्यांशी, सीमा मूथा आदि मौजूद थे।