याद रखें असली घर
मेरा घर
ये पूरी कायनात है
मुझे वो सब कुछ मिलता है
जो मेरे रब ने दिया है।
भूल सकता नहीं उसके कर्म को
शुक्र है उसका
मैं खुश हूं
घर में ।
नाशुक्रा
कभी नहीं रहा
कोशिश यही रहती है
लब पर रहे उसका नाम ।
इस घर से उस घर
जाने में कितना लगेगा वक्त
तन मन धन से कर नेक अमल
ये दुनिया फ़ानी है, जाना है इक दिन ।
“नाचीज़” क्यूं करता है तेरी, मेरी
मौत आकर तुझको घेरेगी
याद करे दिल से दुनिया
ऐसा कुछ काज कर ।
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मईनुदीन कोहरी नाचीज़ बीकानेरी
मो -9680868028