पाकिस्तान से घातक नशीले पदार्थ भारत में हो रहे सप्लाई, सीमा पार से एजेंट पर्यटन के बहाने रच रहे साजिश
-युवाओं को नशे के दलदल में फंसाने की साजिश, पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर के कई नशा मुक्ति केंद्रों में ऐसे मरीजों के आने की सूचना मिली है। ये युवा हेलुसीनोजेन्स, एलएसडी, पेयोट, साइलोसाइबिन, पीसीपी, केटामाइन, साल्विया, डीएमटी जैसे नशीले पदार्थों के शिकार हो रहे हैं।
डी.के. पुरोहित. जोधपुर
पाकिस्तान के कई एजेंट सीमा पार परंपरागत नशीले पदार्थों से हटकर नए घातक नशीले पदार्थ सप्लाई कर रहे हैं। पाकिस्तान की साजिश है कि सीमा पार के युवाओं को नशे की दलदल में फंसाया जाए। पाकिस्तान की साजिश बड़े स्तर पर है। न केवल सीमा पार से घातक नशीले पदार्थ आ रहे हैं, वरन विदेशी सैलानियों के माध्यम से भी हेलुसीनोजेन्स, एलएसडी, पेयोट, साइलोसाइबिन, पीसीपी, केटामाइन, साल्विया, डीएमटी जैसे नशीले पदार्थों की सप्लाई हो रही है।
नशा मुक्ति केंद्र के संचालकों का कहना है कि उन्हें भी समझ में नहीं आ रहा है कि युवा किस तरह का नशा कर रहे हैं। लेकिन वे इस बात से इनकार नहीं कर रहे कि कुछ नए तरह के नशीले पदाथों के युवा शिकार हो रहे हैं। मगर नशा मुक्ति केंद्रों के विशेषज्ञों के पास इसका इलाज नहीं हैं। बताया जा रहा है कि युवा अब परंपरागत नशीले पदार्थों के सेवन से आगे निकल चुके हैं और वे हेलुसीनोजेन्स, एलएसडी, पेयोट, साइलोसाइबिन, पीसीपी, केटामाइन, साल्विया, डीएमटी जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने लगे हैं। ऐसे नशीले पदार्थों के बारे में पैरेंट्स को जानकारी भी कम है। युवा इंटरनेट और यूट्यूब पर सर्च कर इस प्रकार के नशीले पदार्थ जुटा रहे हैं। पाकिस्तान के कई एजेंट बॉर्डर इलाके में सक्रिय है। बताया जा रहा है कि गाइड और पर्यटन व्यवसाय के माध्यम से इस प्रकार के नशे का कारोबार पैर पसार रहा है। गाइड भी इस प्रकार के नशीले पदार्थों के शिकार हो रहे हैं। विदेशी सैलानी भी अपने साथ इस प्रकार के नशीले पदार्थ की चॉकलेट ला रहे हैं।
सीमावर्ती क्षेत्रों में होटलों में इस प्रकार का नशा पसर चुका है। हेलुसीनोजेन्स, एलएसडी, पेयोट, साइलोसाइबिन, पीसीपी, केटामाइन, साल्विया, डीएमटी जैसे नशीले पदार्थ अब मेडिकल की दुकानों पर भी चोरी छुपे बिकने लगे हैं। ये घातक नशीले पदार्थ हैं। इसका आदी होने के बाद इसका छूटना मुश्किल हो जाता है। इसके लगातार सेवन से युवाओं के शरीर पर घातक असर होता है और अत्यधिक सेवन से मौत तक हो सकती है। रेगिस्तान के धोरों में ऊंट सवार भी इस प्रकार का नशा करने लगे हैं। सर्दी की सीजन शुरू होते ही इस प्रकार के नशे का सेवन बढ़ जाता है।