Explore

Search

Monday, January 20, 2025, 2:35 am

Monday, January 20, 2025, 2:35 am

LATEST NEWS
Lifestyle

मातृभाषा में शिक्षण से बालक का संज्ञानात्मक विकास होता है : कमल रंगा

Share This Post

तीन दिवसीय ‘सिरजण उछब’ का आगाज परिसंवाद से हुआ

राखी पुरोहित. जोधपुर

प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ के संयुक्त तत्वावधान में महान् ईटालियन विद्वान राजस्थानी पुरोधा लुईजि पिओ टैस्सीटोरी की 137वीं जयंती के अवसर पर तीन दिवसीय ‘सिरजण उछब’ का आज दोपहर नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में एक महत्वपूर्ण परिसंवाद के साथ आगाज हुआ।
परिसंवाद विषय ‘राजस्थानी भाषा अर शिक्षा’ का विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद् महेश व्यास ने कहा कि मातृभाषा राजस्थानी में बालकों को प्राथमिक स्तर से शिक्षा देनी आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि आज पूरे विश्व के भाषा वैज्ञानिक प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होने के मत का समर्थन करते हैं।
परिसंवाद की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषायी पहचान होती है। साथ ही मातृभाषा से हमारी ज्ञान परंपरा समृद्ध होती है। बालक के जन्म लेने के बाद वो जो प्रथम भाषा सीखता है, हम उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। ऐसी स्थिति में नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद प्रदेश में प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम राजस्थानी होना बालकों के शैक्षणिक विकास में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
रंगा ने आगे कहा कि मातृभाषा में शिक्षा देने के संदर्भ में साक्ष्य बताते हैं कि मातृभाषा में शिक्षण और सीखने से बालक के संज्ञानात्मक विकास के लिए मजबूत आधार तैयार होता है, संचार कौशल में सुधार होता है एवं बालक और उसके सीखने के वातावरण के बीच भावनात्मक संबंध बनाने में कारगर सिद्ध होता है।
परिसंवाद के मुख्य अतिथि वरिष्ठ शिक्षाविद् घनश्याम साध ने कहा कि भारतीय भाषाएं के साथ-साथ राजस्थानी भाषा में पाठ्य पुस्तकें और बाल साहित्य त्याग करने की आवश्यकता है। क्योंकि भाषा किसी भी समुदाय के ऐतिहासिक-विरासत के साथ प्रतिभा, कौशल में सहायक एवं संवाहक होती है। इसके माध्यम से हम भावी एवं आगामी पीढ़ी का गौरवशाली भविष्य तैयार कर सकते हैं।
परिसंवाद के विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् रमेश मोदी ने कहा कि मातृभाषा हमारे लिए घरेलू बोलचाल की भाषा मात्र नहीं है, अपितु यह जीव और जगत के बीच बौद्धिक और आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने का एक उपकरण है।
प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने कहा कि यह परिसंवाद आज के संदर्भ में नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद में महत्वपूर्ण है। क्योंकि मातृभाषा ही हमें हमारी देश-प्रदेश की संस्कृति, इतिहास और सामाजिक परंपरा से जोड़ने की क्षमता रखती है।
इस महत्वपूर्ण परिसंवाद की खास विशेषता यह रही कि इस विषय पर विषद विचार विमर्श शिक्षा जगत से जुड़े हुए हरिनारायण आचार्य, सुनील व्यास, भवानीसिंह, आशीष रंगा, उमेश सिंह, महावीर स्वामी, अशोक शर्मा, अविनाश व्यास, विजयगोपाल पुरोहित, किशोर जोशी, रमेश हर्ष, मुकेश तंवर, आलोक जोशी, हेमलता व्यास, सीमा पालीवाल, सीमा स्वामी, बबीता, अंजू रानी, दुर्गा रानी, ममता व्यास, किरण, इन्दुबाला सहित अनेक शिक्षक और शिक्षिकाओं ने अपनी जिज्ञासा एवं बात रखते हुए समग्र रूप से प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा राजस्थानी में हो कि सशक्त पैरोकारी करते हुए अपनी बात रखी। महत्वपूर्ण परिसंवाद का संचालन शिक्षाविद्-भवानी सिंह ने किया एवं सभी का आभार संस्कृतिकर्मी आशीष रंगा ने ज्ञापित किया।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment