त्रैमासिक त्रिभाषा एकल काव्य पाठ एवं सांखला साहित्य सम्मान समारोह की दूसरी कड़ी कामयाबी के साथ संपन्न हुई
राखी पुरोहित. बीकानेर
पत्नियां पृथ्वी का केंद्र है/जिनके इधर या उधर हम रहते हैं/पत्नियां मृत्यु की पर्यायवाची है/परंतु है वही जीवन की सहचर।
वरिष्ठ कवि समालोचक मालचंद तिवाड़ी द्वारा प्रस्तुत हिंदी कविता की इन भावप्रद पंक्तियों से सांखला साहित्य सदन सराबोर हो उठा। अवसर था हिंदी एवं राजस्थानी भाषा के कीर्तिशेष साहित्यकार स्वर्गीय नरपत सिंह सांखला की स्मृति में स्व. नरपत सिंह सांखला स्मृति संस्थान द्वारा त्रैमासिक साहित्यिक श्रृंखला ‘त्रिभाषा एकल काव्य पाठ एवं सम्मान समारोह’ का। कार्यक्रम में मालचंद तिवाड़ी ने ‘अभ्यन’, ‘नींद क्यों….’, ‘पत्थर पर कइसे बैठूं’ और ‘रेत घड़ी’ जैसी बेहतरीन रचनाएं पेश करके श्रोताओं को चिंतन मनन करने पर विवश कर दिया।
संस्थान सचिव वरिष्ठ शाइर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी और संस्थापक वरिष्ठ शिक्षाविद्,संस्कृतिकर्मी संजय सांखला ने बताया कि साहित्यिक श्रृंखला की दूसरी कड़ी में नगर के हिंदी,उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के तीन वरिष्ठ रचनाकारों का एकल काव्य पाठ कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया। जिसमें हिंदी भाषा के वरिष्ठ कवि के तौर पर मालचंद तिवाड़ी, उर्दू के वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर ‘अदीब’ तथा राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि शंकर सिंह राजपुरोहित ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनाओं की प्रस्तुति से भरपूर वाहवाही लूटी। क़ासिम और सांखला ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने की। आपने कहा कि ऐसे आयोजन भाषाई अपनत्व एवं साझा संस्कृति को बल देते हैं। आपने तीनों रचनाकारों की रचनाओं पर अपने विचार पेश करते हुए कहा कि कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा की मठोठ, उर्दू की मिठास एवं हिंदी भाषा के सौंदर्य की बख़ूबी बानगी प्रस्तुत करके तीनों रचनाकारों ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। रचनाकारों ने अपनी रचनाओं में जीवन के कई संदर्भ खोले और त्रिभाषा एकल काव्य पाठ को नई रंगत दी।
उर्दू के वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर ‘अदीब’ ने अपनी ग़ज़ल के शे’रों के माध्यम से उर्दू ज़बान की ता’रीफ़ यूं बयान की-
ढूंढ लीजे यहीं कहीं होगी
संगरेज़ों के दरमियां उर्दू
आपने हिंदी ज़बान की शान में भी यह कलाम पेश करके दोनों ज़बानों के आपसी समन्वय को बख़ूबी सामने रखा-
गर्व होता है हमको कहते हुए
देश की आन बान है हिंदी
‘अदीब’ ने मुख़्तलिफ़ रंग और लबो-लहजे की अनेक ग़ज़लें सुना कर कार्यक्रम में समां बांध दिया। उनके प्रस्तुतीकरण से सांखला साहित्य सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। सदन में उपस्थित सभी प्रबुद्धजन वाह-वाह कह उठे। फिर तो ‘अदीब’ ने अपनी एक से बढ़कर एक उम्दा ग़ज़लें पेश करके श्रोताओं को लुत्फ़ अंदोज़ कर दिया। राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि शंकर सिंह राजपुरोहित ने अपने काव्य पाठ की शुरुआत ‘भावी रो भणकारो’ रचना से की। फिर तो वे एक से बढ़कर एक उम्दा कविताएं पेश करते रहे और ता’रीफ़ें पाते रहे। आपने ‘पाछी जन्मी कविता’, आभै रे उण पाण’ और और ओ चोरां रो देश’ कविता एवं गीतों की प्रस्तुति से स्रोतों को वाह वाह कहने पर मजबूर कर दिया। संस्थान की तरफ से रचना पाठ करने वाले तीनों रचनाकारों का उपरणा, निशान-ए-यादगार और उपहार भेंट करके सांखला साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम अपने विचार प्रस्तुत करते हुए संस्था के संस्थापक संजय सांखला ने कहा कि स्वर्गीय नरपत सिंह सांखला की स्मृति में इस त्रैमासिक कार्यक्रम की श्रृंखला में आगे भी नगर के एक से बढ़कर एक रचनाकारों को आमंत्रित किया जाएगा। सांखला ने कहा कि हमें इस तरह के कार्यक्रमों के ज़रिए अच्छे-अच्छे रचनाकारों की रचनाओं से लाभान्वित होना चाहिए।
कार्यक्रम के संयोजक शाइर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि आज नगर के जिन तीन रचनाकारों ने रचना पाठ किया वे तीनों सिद्धहस्त रचनाकार हैं। संस्थान द्वारा भविष्य में भी इस कार्यक्रम के ज़रिए नगर के हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ एवं युवा रचनाकारों का एकल काव्य पाठ और सम्मान का यह क्रम जारी रहेगा।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए व्यंग्यकार एवं मरु नवकिरण पत्रिका के संपादक प्रोफ़ेसर (डॉ.)अजय जोशी ने कहा कि संस्थान का यह प्रयास सराहनीय है एवं इससे नगर के साहित्यकारों की कविताओं से लाभान्वित होने का अवसर मिल रहा है। इसके लिए संस्थान के समस्त पदाधिकारी साधुवाद के पात्र हैं।
कार्यक्रम में अनेक प्रबुद्धजन मौजूद थे। जिनमें एडवोकेट इसरार हसन क़ादरी, कवि कथाकार रवि पुरोहित,कवि कथाकार राजाराम स्वर्णकार, डॉ. गौरी शंकर प्रजापत,डॉ.मोहम्मद फ़ारूक़ चौहान, अविनाश व्यास, शाइर असद अली असद, शाइर इमदाद उल्लाह बासित, शाइर मोहम्मद इस्हाक़ ग़ौरी ‘शफ़क़’ बीकानेरी, वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती इंद्रा व्यास, वरिष्ठ लेखिका डॉ. कृष्णा आचार्य, जितेंद्र भाटी, अब्दुल शकूर बीकाणवी, कवि शमीम अहमद ‘शमीम’, शाइर मोहम्मद यासीन, शाइर अमर जुनूनी, कवयित्री मधुरिमा सिंह, साहित्यानुरागी घनश्याम सिंह, साहित्यानुरागी हरिकृष्ण व्यास, देवीचंद पंवार, रामलाल नायक, हीरालाल, कैलाश कुमार, गौरीशंकर ‘योगी’ और रामस्वरूप सहित अनेक प्रबुद्ध जन उपस्थित थे। जिन्होंने तीनों बेहतरीन रचनाकारों की बेहतरीन रचनाओं का भरपूर रसास्वादन किया। अंत में आभार संस्थान के संस्थापक शिक्षाविद संजय सांखला ने ज्ञापित किया।