19 जुलाई को जोधपुर बंद का आह्वान, ये ऐसी मांग है जिस पर कभी बंद नहीं होते, काश प्रकृति से हर कोई प्रेम करे, आज नहीं चेते तो कल इसके भयानक परिणाम भोगने होंगे
राखी पुरोहित. जोधपुर
आपने वर्ष 2024 की गर्मी को सहन किया था। चल रहे वर्ष 2025 के बारे में यूरोपियन यूनियन की कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सर्विस (C3S) ने और अधिक ग्लोबल वार्मिंग (गर्मी) बढ़ने के आंकड़े दे के बताया है कि औद्योगिक सभ्यता की शुरुआत से आज तक धरती के औसत तापमान में 1.6 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो चुकी है। यह औसत तापमान 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ने के बाद धरती पर मानवीय जीवन अत्यंत कठिन हो जाएगा। अतः आज की दुनिया चरम सीमा से केवल 0.4 डिग्री सेल्सियस पीछे है। पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन (ग्लोबल वार्मिंग) की अंतिम सीमा पार करने के करीब पहुंच चुका है।
हाल ही में कैलिफोर्निया, अमरीका के लॉस एंजिल्स शहर की आग की विभीषिका के समाचार भी हम सुन चुके है। धरती पर जलवायु परिवर्तन हमारे जीने के सम्पूर्ण तंत्र को कमजोर कर रहा है।
हमारे जीवन के लिए शुद्ध हवा, साफ पीने का पानी, प्राकृतिक खेती, जंगल, वनस्पति, पशु जगत एवम् समस्त जैव-विविधता जरूरी हैं।
दूसरी तरफ दुनिया की बड़ी महाशक्तियां (अमरीका, रूस, चीन, इत्यादि इत्यादि) युद्ध गतिविधियों अथवा हथियार बेचने में लगी हुई हैं। देशों को आपस में लड़वाने तथा देशों के अंदरूनी संघर्षों के लिए बारूद-हथियार सप्लाई कर रहे हैं। विज्ञान का दुरुपयोग पर्यावरणीय बर्बादी अथवा इन्सानी भाईचारे को गरीबी में धकेलने एवम् नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है।
ऐसे समय में राजस्थान के तामपान (जलवायु-तंत्र) के लिए जरूरी पेड़-पौधों को बर्बाद करके एवम् खेती-किसानी पर कब्ज़ा करके तथाकथित विकास के नाम पर कॉरपोरेट कंपनियां राजनीतिक सत्ता के साथ मिलकर अथाह मुनाफा हासिल करना चाहती हैं। आने वाले दशक से पहले ही यह तथाकथित विकास राजस्थान की खेती को तबाह कर देगा।
जोधपुर सहित पश्चिमी राजस्थान के जिलों में सौर ऊर्जा की परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार कॉरपोरेट कंपनियों को कृषि योग्य भूमि और पेड़-पौधों (विशेष के खेजड़ी के पेड़ों) वाली जमीन दे रही है। कंपनियां खेजड़ी के पेड़ों की अंधा-धुंध कटाई आधुनिक मशीनों से कर रही हैं। राजस्थान में पहले से ही गर्मी के मौसम में तापमान बहुत अधिक होता है। खेजड़ी की कटाई तथा सौर ऊर्जा की प्लेटों के प्रभाव के साथ-साथ बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव पश्चिमी राजस्थान में खेती, पशु-पक्षी जीवन और वनस्पति के लिए अत्याधिक घातक होने की संभावना है। सौर ऊर्जा की प्लेटों की धुलाई में लगने वाला पानी, कृषि योग्य पानी में कटौती करेगा। कुल मिलाकर इस क्षेत्र की शहरी एवम् ग्रामीण आबादी के लिए गर्मी का मौसम असहनीय हो जाएगा।
ध्यान रहे कि 26 दिसंबर 2024 को बीकानेर की जनता ने खेजड़ी की कटाई को रोकने के लिए बंद का आयोजन कर विरोध जताया था। इसी क्रम में ऐतिहासिक तौर पर जागरूक समाज एवम् पर्यावरण समर्थक संगठनों ने जोधपुर की जनता से 19 जनवरी 2025 को बंद का आवाहन किया है।
बंद को सफल बनाएं
आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि इस बंद की सफलता के लिए जोधपुर के सभी सामाजिक एवम् नागरिक संगठन आगे आएंगे और कंपनियों एवम् सरकारों की पर्यावरण विरोधी कार्यवाईयों का विरोध करेंगे। अगर राजस्थान सरकार जनता एवम् पर्यावरण के पक्ष में खेजड़ी कटाई को रोकने की कार्रवाई नहीं करती है, तो जनता अपने आंदोलन को तेज करने पर मजबूर होगी।
– रामगोपाल बिश्नोई (संयोजक, पर्यावरण संघर्ष समिति, खेजड़ला) और बाकी स्थानीय साथी
