डीके पुरोहित. जैसलमेर
समय से बलवान कोई नहीं। अभी-अभी ओम जी. बिस्सा से जब जैसलमेर के वरिष्ठ पत्रकार प्रेम जगानी के निधन के समाचार प्राप्त हुए तो बड़ा दुख हुआ। ऊंघते धोरों वाले शहर जैसलमेर में कलम के माध्यम से जागृति लाने और प्रशासन और राजनेताओं की नींद उड़ाने वाले और तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्त करने वाले प्रेम जगानी निडर पत्रकार थे। वे कभी भी जल्दबाजी में कलम नहीं चलाते थे। पूरी जानकारी हासिल कर और तथ्यात्मक पत्रकारिता के पक्षधर थे। उन्होंने जैसलमेर में तब पत्रकारिता की पौध अंकुरित की जब हिचकोले खाते शहर में अधिकारी आना पसंद ही नहीं करते थे। काले पानी के रूप में जाने जाने वाले जैसलमेर शहर में उस समय पत्रकारिता करना आसान नहीं था।
प्रेम जगानी अपने आप में एक संस्था थे। अधिकारी और नेता उनसे खौफ खाते थे। उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। गांव गांव जाकर पत्रिका के पॉपलर कॉलज आओ गांव चले को उन्होंने वर्षों तक चलाया और शायद ही कोई गांव या ढाणी छोड़ी हो जिसके बारे में लिखा नहीं हो। उनकी कलम में ताकत थी। राजस्थान पत्रिका को जैसलमेर में स्थापित करने का श्रेय प्रेम जगानी को ही जाता है। उनके पुत्र अरुण जगानी ने अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए पत्रकारिता को कॅरिअर बनाया। लेकिन बात प्रेम जगानी के करें तो वो समय ऐसा था जब पत्रकारिता का महत्व बहुत अधिक था। क्योंकि जैसलमेर जैसे शहर की समस्याओं का उठाना जरूरी था। प्रेम जगानी ने जैसलमेर की समस्याओं को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उठाया। उन्होंने एक खबर प्रकाशित की थी- जिसे हेरोइन समझा वो सड़ा आटा निकला…। यह उनकी निडर और खोजपरक पत्रकारिता का प्रतीक था। प्रेम जगानी ने एक बार में मुझे बताया था कि पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि बड़ी मात्रा में हेरोइन पकड़ी है। सारे पत्रकार खबर लेकर निकल गए। प्रेम जगानी ने हेराइन को चखकर देखा तो पता चला कि यह तो सड़ा आटा है और उन्होंने राजस्थान पत्रिका में इस झूठ का पर्दाफाश किया। यह घटना बताती है कि कभी भी जल्दबाजी में न्यूज नहीं चलानी चाहिए। आज की पीढ़ी बिना सोचे समझे कुछ भी न्यूज छाप देती है। जैसलमेर के पत्रकारिता के इतिहास में प्रेम जगानी का नाम कभी भुलाया नहीं जा सकता। राइजिंग भास्कर परिवार इस दुख की घड़ी में प्रेम जगानी के परिवार के साथ है और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
