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Sunday, February 16, 2025, 6:16 pm

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76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर कवि सम्मेलन व मुशायरा आयोजित हुआ

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देशभक्ति कविताओं से सराबोर हुआ लक्ष्मी नारायण रंगा सृजन सदन

राखी पुरोहित. बीकानेर 

बीकानेर साहित्य संस्कृति कला संगम संस्थान एवं राष्ट्रीय कवि चौपाल प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देशभक्ति रचनाओं पर केंद्रित कवि सम्मेलन एवं मुशायरा नत्थूसर गेट के बाहर स्थित लक्ष्मी नारायण रंगा सृजन सदन में कामयाबी के साथ आयोजित हुआ ।

राजस्थानी भाषा के ख्यातनाम कवि-कथाकार कमल रंगा की अध्यक्षता में आयोजित होने वाले इस कवि सम्मेलन एवं मुशायरा में नगर के हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ एवं युवा रचनाकारों ने अपनी देशभक्ति के भावों से ओतप्रोत रचनाओं के प्रस्तुतीकरण से राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस को काव्यात्मक रूप से मनाया। कवि सम्मेलन एवं मुशाएरे की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि गणतंत्र दिवस हमें हमारे संविधान के महत्व की याद तो दिलाता ही है साथ ही हमारे अधिकारों एवं कर्तव्यों को परिभाषित करता है यह दिन देश की विभिन्न ज़ातियों, संस्कृतियों और धर्म में समभाव एवं भाईचारे का अवसर देता है। इस अवसर पर कमल रंगा ने अपनी राजस्थानी कविता की इन पंक्तियों ‘थांरो जज़्बो, थांरी लूंठी हूंस/ त्याग-तप-समरपण रो रगत दूणी रे ताप पाण इण धरा रो उजळ है पाणी’ से आज़ादी के पहले और बाद के समस्त शहीदों को श्रद्धापूर्ण नमन किया।

कवि सम्मेलन व मुशाएरा की मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री मोनिका गौड़ ने कहा कि हम सबको देश की एकता एवं विकास के लिए काम करना है और आज बीकानेर साहित्य संस्कृति कला संगम ने गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में यह आयोजन करके उल्लेखनीय कार्य किया है। हमारे देश के संविधान ने सभी धर्मों को समानता और बराबरी का अधिकार दिया है। यही हमारे देश के संविधान की ख़ूबसूरती है। इस अवसर पर मोनिका गौड़ ने अपनी भावनात्मक काव्य पंक्तियों से ममतामयी मातृभूमि के प्रति अपनी श्रद्धा का इज़हार इन पंक्तियों से किया-‘पूजाअर्चना आरती,करती सब तैयारी मां/धरती, कुदरत, भोर सांझ सी,लगती हमको प्यारी मां/धर कर माथ हरे सब पीड़ा ग़ज़ब डाक्टर न्यारी मां/ब्रह्मा विष्णु रब दिखता जब ध्यान से निहारी मां/आशीष स्नेह करुणा भर रखती,अक्षत ममता भंडारी मां।’ कवि सम्मेलन एवं मुशाएरे के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ शाइर क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि हमारा देश न्यारे न्यारे फूलों का एक ऐसा हसीन गुलदस्ता है जिनकी महक से वतन का चमन सुशोभित हो रहा है। हमारे देश का संविधान ज़ात-पात एवं धार्मिक आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करता, यही इस संविधान की सबसे बड़ी ख़ूबी है। गणतंत्र दिवस देश के संविधान लागू होने का दिन है। हमें हमारे देश के संविधान का पूर्णतः पालन करना चाहिए।

इस अवसर पर क़ासिम बीकानेरी ने अपनी देशभक्ति ग़ज़ल की इन पंक्तियों से श्रोताओं में देशभक्ति का जज़्बा भर दिया-‘वतन की आबरू को हम चलो मिलकर बचाएंगे/ पुकारा है वतन ने जान हम इस पर लुटाएंगे।’ कवि सम्मेलन एवं मुशाएरे में डॉ. गौरी शंकर प्रजापत, डॉ.कृष्णा आचार्य,वली मोहम्मद ग़ौरी,शिव दाधीच,जुगल किशोर पुरोहित, विप्लव व्यास, यशस्वी हर्ष, मोइनुद्दीन मुईन, शमीम अहमद ‘शमीम’ बाबूलाल छंगाणी,राजाराम स्वर्णकार, सुश्री अक्षिता जोशी, कैलाश टाक, लीलाधर सोनी, इसरार हसन क़ादरी, गिरिराज पारीक ने अपनी देशभक्ति रचनाओं से समां बांध दिया। जगदीश प्रसाद शर्मा एवं महेंद्र जोशी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। रचना पाठ करने वाले समस्त रचनाकारों का माल्यार्पण दोनों आयोजक संस्थाओं द्वारा आत्मिक स्वागत किया गया। प्रारंभ में सभी का स्वागत संस्कृतिकर्मी डॉ. मोहम्मद फ़ारूक़ चौहान ने किया। अंत में सभी का आभार डॉ. अजय जोशी ने ज्ञापित किया। कवि सम्मेलन व मुशाएरे का सफल संचालन कवि गिरिराज पारीक ने किया।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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