(दिलीप केसानी मशहूर उपन्यासकार, कहानीकार और गीतकार हैं। आपकी कहानियां ऑल इंडिया रेडियो पर कई बार प्रसारित हो चुकी हैं। करीब दस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और 60 से अधिक गीत विभिन्न प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने के साथ फिल्मों से जुड़ाव है। यहां केसानी की हाल ही में लिखी ताजा गजल पेश है।)
फ़साना
ज़िंदगी भर का फ़साना क्या है,
लौट कर आना, फिर जाना क्या है।
रंजो-ओ-सितम में रही एक ही उम्मीद,
हर ख़ुशी का ये बहाना क्या है।
हमको मालूम है अरज़-ए-वफ़ा,
इश्क़ करके फिर निभाना क्या है।
जिसे पाया नहीं, उसे खोना कैसा,
दिल लगाकर उसे पाना क्या है।
ख़ुद के चेहरे में है तेरा ही चेहरा,
ख़ुद से ख़ुद को ये छुपाना क्या है।
