संगम को समर्पित संकीर्तन…प्रयागराज के लगे जयकारे, प्रसादी में उमड़े भक्त
पंकज जांगिड़. जोधपुर
प्रयागराज संगम केवल जल की धारा मात्र नहीं है। यह हमारे आध्यात्मिक संस्कारों को और आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाने का उपक्रम है। सदियों से मोक्ष की इच्छा रखने वालों के लिए गंगा-यमुना-सरस्वती की त्रिवेणी स्थली प्रयागराज में 144 साल बाद जब महाकुंभ का संयोग बना तो देश-विदेश के श्रद्धालु 55 करोड़ से अधिक पहुंचे और यह सिलसिला अभी भी जारी है। ऐसे महातीर्थ स्थल प्रयागराज को नमन करते हुए प्रतापनगर क्षेत्र की जगदंबा कॉलोनी में एक संकीर्तन का आयोजन किया गया। इसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में जीवन की क्षणभंगुरता को देखते ही प्रभु नाम का यशोगान किया गया।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार कुंभ के दौरान पवित्र संगम में स्नान करने से नकारात्मक कर्म दूर होते हैं और आत्मा शुद्ध होती है, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक नवीनीकरण के मार्ग पर चलने में मदद मिलती है। हिंदू धर्म में अंतिम लक्ष्य जन्म और मृत्यु के चक्र से मोक्ष या मुक्ति प्राप्त करना है। इन सभी उद्देश्यों के साथ कुछ दिन पूर्व कुंभ स्नान के लिए जगदंबा काॅलोनी से रवाना हुए भक्तों के एक दल के सुखमय और मंगलमय तीर्थ यात्रा कर जोधपुर लौटने के उपलक्ष्य में “एक शाम त्रिवेणी संगम प्रयागराज के नाम” संकीर्त्तन व प्रसादी का आयोजन हुआ, जिसमें अनेक श्रद्धालु शामिल हुए।
संकीर्तन में प्रयागराज में महाकुंभ के सफल आयोजन का मुद्दा गूंजा
कार्यक्रम में प्रयागराज महाकुंभ के सफल आयोजन का मुद्दा गूंजा। सभी भक्तों ने ऐसे भव्य आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश-विदेश से करोड़ों लोगों ने पहुंचकर बता दिया कि हमारे तीर्थ मुक्ति के दाता हैं। गंगा-यमुना-सरस्वती का संगम 144 साल बाद कुंभ के रूप में हमारे सामने इस साल आया और श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था और प्रतिबद्धता दिखाई।
पुष्पवर्षा कर किया स्वागत, बच्चों ने संगीत पर नृत्य किया
कार्यक्रम में पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। संयोजक व दल की सदस्या बसंती देवी चौहान ने बताया कि परिजनों व काॅलोनी वासियों ने भव्य स्वागत कर आशीर्वाद व गंगाजली पात्र प्राप्त किया। संकीर्त्तन के दौरान सोहम भजन मंडली ने गंगा मैय्या, देवी-देवताओं व संदेशप्रद भजनों के साथ मनमोहक होरियों की प्रस्तुतियां दी तो महिलाएं, बच्चें व उपस्थित श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो कर पुष्प वर्षा के साथ भावनृत्य करते हुए भक्ति में सराबोर नजर आए। तत्पश्चात सभी ने प्रसादी का लाभ लिया। इस आयोजन की व्यवस्था में धनपत सिंह चौहान, रुप सिंह चौहान व अर्जुन सिंह चौहान ने सहयोग व सेवाएं प्रदान की।
