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Tuesday, March 18, 2025, 12:34 pm

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लक्ष्मीनारायण रंगा साहित्य के मौन ऋषि थे : जेठानन्द व्यास

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रंगा का समृद्ध साहित्य मानवीय संवेदना का सच्चा दस्तावेज है : मालचंद तिवाड़ी

राखी पुरोहित. बीकानेर 

देश के ख्यातनाम साहित्यकार, चिंतक एवं शिक्षाविद् कीर्तिशेष लक्ष्मीनारायण रंगा की दूसरी पुण्यतिथि पर आयोजित चार दिवसीय ‘सृजन सौरम-हमारे बाऊजी’ समारोह के दूसरे दिन लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन-सदन में सांय 5 बजे आत्मिक श्रृद्धासुमन-भावांजलि का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए देश के ख्यातनाम साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी ने कहा स्व. रंगा प्रयोगधर्मी व सफल रचनाकार थे। उन्होने भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्वपूर्ण प्रसंगों को समकालीन संदर्भाें में नई अर्थवत्ता प्रदान कर अपनी साहित्य विधाओं में उन्हें रचते हुए अपनी सृजनात्मक-संवेदनात्मक ऊर्जा से साहित्य और रंगमंच में महत्वपूर्ण अवदान दिया। कीर्तिशेष रंगा विभिन्न कलानुशासनाें के माध्यम से जीवन पर्यन्त अपनी सकारात्मक सोच एवं कार्यशैली के माध्यम से समाज को एक नई दिशा प्रदान करते रहे। रंगा ने साहित्य एवं रंगकर्म के अलावा नृत्य, संगीत, खेल व शिक्षा क्षेत्र में भी अपनी अहम भूमिका का निवर्हन किया।
तिवाड़ी ने आगे कहा कि स्व. रंगा ऐसी विलक्षण प्रतिभा के धनी थी, जिन्होंने मनुष्यता और रचनात्मकता को एकम्-एक कर कई नवाचार किए। रंगा का समृद्ध साहित्य मानवीय संवेदना का सच्चा दस्तावेज है। अपने विविधवर्णी और लगभग साहित्य की सभी विधाओं में रचनाकर्म से रंगा ने हिन्दी और राजस्थानी में इतना विपुल सृजन किया जो अपने आप में एक कीर्तिमान है। बीकानेर के साहित्य जगत में स्व. लक्ष्मीनारायण रंगा जैसे बहुआयामी और चतुर्मुखी प्रतिभा के धनी रचनाकार की अनुपस्थिति से अनेक बार एक विराट शून्य का अहसास होता है।

समारोह के मुख्य अतिथि बीकानेर पश्चिम के विधायक जेठानन्द व्यास ने कहा कि लक्ष्मीनारायण रंगा साहित्य के मौन ऋषि थे। उन्होने बीकानेर का गौरव अपनी बहुआयामी प्रतिभा के माध्यम से पूरे देश में ऊँंचा किया। उनका साहित्य, रंगकर्म एवं शिक्षा के प्रति सारा समर्पण पूर्ण रूप से सामाजिक सरोकारों को समर्पित रहा। आपके वैचारिक आभा मण्डल एवं मार्गदर्शन से कई पीढ़ियां संस्कारित हुई है। रंगा के विराट व्यक्तित्व से नई पीढ़ी को प्रेरणा लेकर उनकी समृद्ध साहित्यिक एवं कला परंपरा को आगे ले जाना होगा। इस अवसर पर विधायक व्यास ने नत्थूसर गेट से आगे की ओर आने वाले मार्ग का नाम कीर्तिशेष लक्ष्मीनाराण रंगा के नाम से करने की मांग पर विश्वास दिलाया कि मैं इस बाबत पूर्ण प्रयास करूंगा।

प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने अपने पिताश्री से जुड़े कई निजी प्रसंग साझा करते हुए खासतौर से उनके शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक नवाचारों का उल्लेख करते हुए उन्हें समाज हित में बताया। कार्यक्रम प्रभारी युवा कवि पुनीत कुमार रंगा ने अपने दादाश्री स्व. रंगा के उनके साहित्य एवं जीवन जीने की कला एवं आदर्शो मे बारे में प्रकाश डालते हुए निजी प्रसंग एवं अनछुए जीवन दर्शन के पहलु साझा किए इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार-आलोचक डॉ. मदन केवलिया ने अपने संदेश के माध्यम से अपनी श्रृद्धांजलि देते हुए कहा कि वह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उदयपुर से अपना संदेश भेजते हुए वरिष्ठ साहित्यकार भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ ने अपनी आत्मिक भांवांजलि के माध्यम देते हुए कहा स्व. रंगा साहित्य, रंगकर्म एवं शिक्षाविद् के साथ-साथ अन्य कला अनुशासनों के मौन साधक थे। वरिष्ठ कवि हरिदास हर्ष ने अपनी भांवांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि स्व. रंगा सदैव प्रेरणादायी एवं पथ-प्रदर्शक रहे। साथ ही संस्कारों के प्रति प्रबल सचेत थे।

इस अवसर पर वरिष्ठ कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी, बुलाकी शर्मा, ओमप्रकाश सारस्वत, अविरल शर्मा, वसंुधरा आचार्य आदि ने अपनी विचाराजंलि रखते हुए उन्हें साहित्य का प्रकाश स्तम्भ बताया। इस अवसर पर डॉ. भंवर भादाणी, बुलाकी शर्मा, डॉ. प्रेम नारायण व्यास, डॉ. कृष्णा आचार्य, अविनाश व्यास, गिरिराज पारीक, शुंभदयाल व्यास, शंकरलाल तिवाड़ी, भैरूरतन छंगाणी, गोपाल कुमार कुण्ठित, राजाराम स्वर्णकार, राजेन्द्र सुथार, घनश्याम साध, सौरभ बजाज, जितेन्द्र शर्मा, एडवोकेट द्वारकाप्रसाद पारीक, राजेश पुरोहित, दीपक पुरोहित, भंवर मोदी, चन्द्रशेखर आचार्य, कैलाश टॉक, इन्द्रा व्यास, डॉ. फारूख चौहान, विपल्व व्यास, हरिकिशन व्यास, आनंद छंगाणी, राहुल आचार्य, अरूण जे. व्यास, सुशील छंगाणी, भवानी सिंह, नवनीत व्यास, अशोक शर्मा, अंकित रंगा, सुनील व्यास, आत्माराम भाटी, गंगा बिशन बिश्नोई, जुगल किशोर पुरोहित, डॉ. नृसिंह बिन्नाणी, कासिम बीकानेरी, जाकिर अदीब, इसहाक हसन गौरी, अख्तर अली, कालूराम सुथार, कन्हैयालाल पंवार, किशन कच्छावा, सुषमा रंगा, विभा रंगा, हेमलता व्यास, अर्चना शर्मा सुशील रंगा, बिन्दु प्रकाश रंगा, शशि शेखर रंगा, तोलाराम सारण, घनश्याम ओझा ने अपनी गरिमामय साक्षी देते हुए स्व. रंगा को पुष्पांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम का संयोजन करते हुए वरिष्ठ उद्घोषक ज्योति प्रकाश रंगा ने कीर्तिशेष रंगा के व्यक्तित्व और कृतित्व के संदर्भ में कई अनछुए पहलू साझा करते हुए बताया कि रंगा का विराट साहित्य समर्पण समाज को हमेशा दिशा देता रहेगा। कार्यक्रम में वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने चार दिवसीय समारोह की मूल भावना साझा करते हुए कहा कि किसी साहित्यकार की स्मृति में रक्तदान जैसे राष्ट्रीय महत्व के आयोजन होना अपने आप में एक पुनीत उपक्रम है। अंत में डॉ. चारूलता व्यास ने आभार व्यक्त किया।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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