-म्हानै तो फेर रूपो काको एमएलए की कुर्सी माथै देखणो है, उनणनै जीतण सू कोई नी रोक सके
-हर गांव-ढाणी री एक ही पुकार, दुबारा लाओ रूपाराम
-मानवेंद्र भागतो फिरसी, काम तो रूपो काको ही आसी…
डीके पुरोहित. जैसलमेर
जनता री ठोह लेवण नै ए संवाददाता गांव-ढाणी पूगौ। गांवों और ढाणियों में लोग तो एक ही बात कैवे है कि म्हारो तो नेता तय है। फैर एक बार रूपाराम नै ही जितावां लां…सत्ता विरोधी कोई लहर कौनी…रूपो काको काम राै आदमी है। जनता रै बिच्या रैवे, जनता रा दुख-दर्द जाणै और सबनै हर टैम हाजिर मिळे…मानवेंद्र तो ऊपर सूं आय धमक्यो है…म्हां तो उणनै बुलायाे ही कौनी…क्यों आयो…जावै पाछो झालारापाटन सूं लड़े, जैसलमेर में की मंगेई…ये शब्द जैसलमेर के हर गांव-ढाणी के हैं। पर्दे री ओट सूं बाहर निकलते ही सावकी बाई बोली- म्है तो रूपारामजी नै ही वोट देसूं, बात काम री है। जिता काम रूपारामजी किया उता तो कोई एमएलए कोनी कीदा…सावकी बाई रो कैवणो है कि रूपाराम जनप्रिय नेता है…उणनै टिकट नी मिली तो म्है तो वोट ही किणी नै नीं दैवेलां…
नैनी बाई छूटते ही बोली- म्हारै टाबरों री स्कूल क्रमोन्नत रूपारामजी करवाई, नीं तो टींगर अठै-उठै डोलता फिरता, काम रौ आदमी तो रूपाराम ही है। बाकी तो सगळा तमाशा देखणिया है, इण वास्ते म्हारी असोकजी सूं अरज है कि रूपाराम नै ही टिकट दे, रूपाराम री टिकट कटी तो समझो जैसलमेर री सीट भी गई…। नैनी बाई रा टाबर बोल्या-म्हारा नेता तो रूपो काको ही है…रूपो काको नीं तो कोई नै वोट कौनी देंवां…टेवटी बाई रै केवणौ है कि रूपाराम छत्तीस कौम रो नेता है, उणसूं बढ़िया आज री टाइम में कोई उम्मीदवार कौनी…रूपाराम आम जनता नै रे बिच्या रैवे है और सबरो मान रखैई…किनी मास्टरनी-मास्टरजी नै परेशान नहीं करे…आपरै काम सूं काम राखै और घमंड रो तो नोम कौनी…म्हा तो तय कर लियो है कि वोट दैंसां तो रूपाराम नै, बाकी किनी नै वोट कोनी देंवां…
ये कुछ बानगी है जो रूपाराम की प्रसिद्धि को दर्शाती है। जैसलमेर शहर से लेकर गांव-ढाणी तक रूपाराम की लहर है। लोग रूपाराम में देवता की छवि देखते हैं। रूपाराम से किसी की नाराजगी नहीं है। छत्तीस कौम रूपाराम के साथ है। खुद रूपाराम कहते हैं कि मैंने तो सबको राजी रखा। किसी के काम में रोड़ा नहीं अटकाया। जिता हो सकै लोगों री मदद की और फालतू पंचायती कदैई नी की…।रूपाराम धणदे बताते हैं कि जैसलमेर की जनता के वे हमेशा साथ रहे। पार्टी टिकट देगी तो उनके काम की बदौलत। मेरे काम ही मेरी पहचान है। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एमएलए बनूंगा और जनता की सेवा करूंगा। जनता की सेवा तो तब भी करता था जब पीएचईडी में था। मैंने सबका भला चाहा। गांव-ढाणी रा लोग आवता, बड़ा सुपणा ले आवता और म्है सगळा रा काम करतौ। भगवान म्हानै एमएलए बणायो तो सेवा रो और मौको मिळ्यो, फिर सूं टिकट मिली तो जनता री सेवा जारी रैवेला…।
मानवेंद्र जोर लगा रहे, मगर हताशा से घिरे…
इधर मानवेंद्रसिंह जैसलमेर विधानसभा से अपनी उम्मीदवारी जता रहे हैं। मगर रूपाराम के कद के आगै वे कहीं ठहर ही नहीं रहे हैं। खुद उनके मन में हताशा है। मानवेंद्रसिंह शिव से विधायक रह चुके हैं, झालरापाटन से वसुंधरा से हार चुके हैं। इस बार कोई रास्ता नजर नहीं आया तो जैसलमेर की ओर रुख किया। जबकि पिछले पांच साल में जनता के बीच सक्रिय रहे भी नहीं। वे जहां भी जाते हैं लोग पूछते हैं कि पांच साल कठै हा…अबै जैसलमेर री याद आई है…मानवेंद्रसिंह से जवाब देते नहीं बनता।…वे तो केवल फकीर परिवार के भरोसे बैठे हैं। जनता इस बार सालेह मोहम्मद को भी सबक सिखाने को तैयार है। सालेह मोहम्मद जैसलमेर और पोकरण को नचा रहे हैं। जनता यह बात अच्छी तरह जानती है कि कौन काम का उम्मीदवार है और कौन दिखावा करता है। अशोक गहलोत को भी आदमी की पहचान नहीं है। वे भी सालेह मोहम्मद की पूंछ बनै घूमते हैं। जबकि इस बार पोकरण से इस्माइल खां टिकट के हकदार हैं। अगर मुस्लिम केंडिडेट को पोकरण से टिकट नहीं मिलती है तो सुनीता भाटी से बेहतर कोई उम्मीदवार नहीं है। सालेह मोहम्मद के खिलाफ लहर है। लोग सालेह मोहम्मद को पसंद ही नहीं करते। उदयसिंह कहते हैं कि हमारी नेता तो सुनीता भाटी है। सुनीता भाटी को टिकट मिलेगी तो उन्हें वोट देंगे नहीं तो सालेह मोहम्मद को हरा कर रहेंगे। हरखाराम हरखते हुए कहते हैं सुनती दीदी नै टिकट नहीं मिळी तो सब खेल खतम।…
नए समीकरण : जैसलमेर से रूपाराम, पोकरण से सुनीता भाटी
जैसलमेर और पोकरण में जो नए समीकरण बने हैं। उसके अनुसार जैसलमेर से रूपाराम और पोकरण से सुनीता भाटी सशक्त उम्मीदवार बनकर उभरी है। रूपाराम ने अपने काम की बदौलत हर किसी का मन जीता है। उन्हें अपने ही घर में चुनौती देना मुश्किल है। रूपाराम और सुनीता भाटी वेलएजुकेटेड है और वोटर्स के बीच रहे हैं। सालेह मोहम्मद ने हमेशा राजनीति की है। शोर ज्यादा किया है काम कुछ नहीं किया। अब मुस्लिम भी परिवर्तन चाहते हैं। एक ही परिवार से ऊब चुके हैं। गाजी फकीर की मौत के बाद अब वैसे भी फकीर परिवार का वर्चस्व खत्म हो गया है। नाम का फकीर परिवार रह गया है। लेकिन अशोक गहलोत को यह बात समझाए कौन? उन्हें तो बस सालेह मोहम्मद ही चारों तरफ नजर आते हैं। सपने में भी सालेह मोहम्मद नजर आते हैं। जबकि सालेह मोहम्मद से इत्तर भी दुनिया है। अब नई दुनिया में कदम रखने की जरूरत है। कांग्रेस की सेहत के लिए अच्छा तो यही होगा कि जैसलमेर से रूपाराम और पोकरण से सुनीता भाटी को टिकट दी जाए। नहीं तो इसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना ही पड़ेगा। पिछली बार भी सालेह मोहम्मद रोते-गिड़कते जीते थे। चंद सैकड़ा वोटों से जीतकर सालेह मोहम्मद ने जता दिया कि वे जनाधार खो चुके हैं। भाजपा थोड़ा और प्रयास करती तो पोकरण की सीट कांग्रेस के हाथ से जाती हुई नजर आ रही थी।
विधायक रूपाराम धनदेव द्वारा ग्राम पंचायत बैरसियाला में किए गए सार्वजनिक कार्यों पर एक नजर :
1. खुहड़ी रोड से धाणेली गांव तक ग्रेवल रोड निर्माण।
2. धाणेली ग्राम में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय से उच्च माध्यमिक विद्यालय (8th से 12th) को क्रमोन्नत किया गया।
3. दीपसिंह ढाणी धाणेली में सोलर ट्यूबवेल खुदवाया गया।
4. मेघवाल वास धाणेली में ट्यूबवेल स्वीकृत।
5. बैरसियाला में ट्यूबवेल स्वीकृत।
6. बैरसियाला से काठा तक ग्रैवल रोड निर्माण।
7. बैरसियाला से दव फाँटा तक ग्रैवल रोड निर्माण स्वीकृत।
8. भंवरसिंह की ढाणी में सोलर ट्यूबवेल निर्माण।
9. मालन बाई मंदिर के पास (धाणेली के पश्चिम में) सोलर ट्यूबवेल निर्माण स्वीकृत।
10. मेघवाल वास धाणेली में न्यू ट्रांसमीटर स्वीकृत।
11. उप स्वास्थ्य केंद्र धाणेली में एएनएम स्वीकृत।
गांवों के विकास में रूपाराम ने बेहतरीन कार्य किए :
विधायक रूपाराम धनदेव द्वारा ग्राम पंचायत बैरसियाला में ऐतिहासिक कार्य हुए है। आज तक इतने कार्य भी किसी विधायक के कार्यकाल में नहीं हुए। बात केवल बैरसियाला की नहीं है। जैसलमेर में पिछले पांच साल में पानी का संकट नहीं हुआ। पीएचईडी के मंझे हुए अफसर रहे रूपाराम के मैनेजमेंट से हर बस्ती को पानी मिला। गांव-ढाणी में पानी की किल्लत नहीं आई। बिजली भी निर्बाध मिली। शिक्षा, सड़क, अस्पताल, टांका निर्माण, स्कूल क्रमोन्नत जैसे सैकड़ों कार्य हुए। यह रूपाराम की उपलब्धि है। रूपाराम ने खोया कुछ नहीं बल्कि जैसलमेर की जनता का प्रेम ही पाया है। वे जब पहली बार हारे थे तो भी उन्होंने सब जनता के सहयोग का आभार जताया था। जीते तो फिर जनता की सेवा में लगे रहे।
लोगों का कहना है कि नेता तो बस रूपाराम है…
जैसलमेर की जनता का कहना है कि नेता तो बस रूपाराम है। कांग्रेस का मतलब ही रूपाराम है। रूपाराम का सरल, सौम्य और अच्छा-सादगी भरा व्यवहार लोग अपनी किस्मत समझते हैं। रूपाराम के प्रति जनता के मन में नाराजगी भी नहीं है। इसका कारण वे खुद हैं। रूपाराम ने जैसलमेर की जनता की मन से सेवा की है। उन्होंने हमेशा सुख-दुख में जैसलमेर की जनता का साथ निभाया है। पिछले दिनों उनके जन्म दिन पर जैसलमेर के युवाओं ने रक्तदान शिविर लगाया। बड़ी संख्या में युवाओं ने ब्लड दिया। जैसलमेर जैसे छोटे शहर के लिए यह बड़ी उपलब्धि रही है। लोगों का तो यही कहना है कि उनके नेता तो रूपाराम हैं।