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Thursday, September 12, 2024, 1:28 pm

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 बेहद नफरतों के दिनों में नाटक ने दिया प्रेम और सदभाव का वैश्विक विचार

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-युवा पीढी को सोशल मीडिया दिग्भ्रमित कर फैला रही है नफरत
-नाटक के प्रारंभ में दर्शकों ने आगामी दिनों में प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव की आचार संहिता का पूर्ण पालन करते हुए निरपेक्ष व निर्भीक होकर मतदान की शपथ ली 
राखी पुरोहित. जोधपुर
सोशल मीडिया और नेटवर्किंग वर्तमान में जहां युवाओं को दिग्भ्रमित कर रहा है वहीं धर्म, नस्ल और देश की सीमाओं में नफ़रत की कड़वी फसल पनप रही है, लेकिन प्रेम का बन्धन समस्त सीमाओं को लांघकर किसी की परवाह किये बग़ैर अपनी मंज़िल पाने के लिये हर सम्भव प्रयास करता रहा है, यही सन्देश देता नाटक बेहद नफ़रतों के दिनों में, का मंचन शुक्रवार की शाम जय नारायण व्यास स्मृति भवन में चल रहे छः दिवसीय इकत्तीसवें ओम शिवपुरी नाट्य समारोह की पांचवीं शाम खेला गया। नाटक का कथानक एक भारतीय हिन्दू लड़के और एक पाकिस्तानी मुस्लिम लड़की के प्रेम संबंध के इर्द-गिर्द घूमता है, जो एक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर मिलते हैं। चैटिंग के दौरान धीरे-धीरे उनको एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगता है और दोनों को एक-दूसरे से प्रेम हो जाता है। लड़के के पिता हिन्दू उदारवादी संगठन में पदाधिकारी हैं जबकि लड़की का भाई धार्मिक कट्टरपंथी है जो तालिबान का सदस्य भी है। उनकी पृष्ठभूमि को देखते हुए इस युगल के दोस्त उनकी धार्मिक पहचान को उनके परिवारजनों से छिपाकर उनका विवाह करवा देते हैं लेकिन लड़की का भाई विवाह के बाद जब अपनी बहन के ससुराल जाता है तो सच्चाई का खुलासा होता है। दोनों परिवार अब और भी अधिक नफरत और धर्मांधता से भर जाते हैं। यह नाटक एक ऐसे विश्व की कल्पना करता है जिसमें सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट के जरिए देशों और संप्रदायों के बीच गलत धारणाएं खत्म करके एक नए विश्व का निर्माण किया जा सकता है।
अकादमी सचिव लक्ष्मीनारायण बैरवा ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के इस समारोह में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दे पर मंचित नाटक मुशर्रफ़ अ़ालम ज़ौक़ी की कहानी पर आधारित है जिसका नाट्यान्तरण स्वयं निर्देशक दौलत वैद ने किया है। मंच पर फरहान की भूमिका में दक्ष, राजेन्द्र राठौड़ बने आदित्य, शाहिस्ता के किरदार में सारिका तथा मौलवी बने रौशिक ने अभिनय की छाप छोड़ी वहीं अनुश्री, उज्जवल, दिव्यांश, सुधांशु, दीपक धीरज जीनगर, सिमरन, आकाश, खुशी तथा फैज़ान ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया। रंगदीपन केशव का, वस्त्र विन्यास गरिमा, संगीत सावन कुमार जांगिड़ तथा मंच प्रबन्धन में अभिषेक मुद्गल ने प्रभाव छोड़ा।
नाटक के निर्देशक दोलत वेद का अभिनंदन  वरिष्ठ रंगकर्मी सुनील माथुर व अकादमी सचिव एल एन बेरवा ने पुष्प गुच्छ व मोमेंटो दे कर किया तथा संचालन एम. एस. ज़ई ने किया।
शनिवार 21 अक्टूबर को इस समारोह की अन्तिम प्रस्तुति के रूप में रिफ़्लेकशन इंडिया परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स मुम्बई के फ़रीद अहमद निर्देशित हास्य नाटक चन्दु की चाची का मंचन किया जाएगा।
Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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