इस खबर को हिन्दुस्तान संवाददाता ने 1997 के दिसंबर माह में हिन्दुस्तान में प्रकाशनार्थ भेजी थी। 1995 में संवाददाता का अपहरण हुआ था और 1997 में उसे वापस धरती पर भेजा गया। इस खबर को हिन्दुस्तान संवाददाता द्वारा हिन्दुस्तान को भेजने के अगले दिन बाद ही हिली ग्रह ने मानसिक संदेश भेजकर कहा कि फिलहाल विश्व विजयी अभियान स्थगित कर दिया गया है। समय आने पर पुनः विश्व विजयी अभियान शुरू करेंगे।
इस खबर को हिन्दुस्तान ने प्रकाशित नहीं किया था
हिली ग्रह से संबंधित जो खबर हिन्दुस्तान संवाददाता ने भेजी थी उसे हिन्दुस्तान ने प्रकाशित नहीं की थी। अब हिली ग्रह ने डीके पुरोहित को मानसिक संदेश भेजकर पुनः कहा है कि अब हमारा विश्व विजयी अभियान शुरू हो गया है। फिर से डी.के. पुरोहित की ज्ञानेंद्रियों का संचालन हिली ग्रह से किया जाएगा। हिली ग्रह के लोगों ने संदेश भेजा है कि आपमें (डीके पुरोहित) कई शक्तियां भर दी गई है। आप गायब हो सकते हो। आप रूप बदल सकते हो। किसी की लिखावट लिख सकते हो। भूतकाल या भविष्यकाल में जा सकते हो और किसी की भी आवाज बोल सकते हो। यहां तक कि आप किसी भी व्यक्ति के विचार भी बदल सकते हो। लेकिन इन सभी शक्तियों का प्रयोग डीके पुरोहित खुद अपनी मर्जी से नहीं कर सकेगा बल्कि हिली ग्रह से ही शक्तियों का संचालन होगा।
वर्ष 1997 के दिसंबर माह में डीके पुरोहित ने हिन्दुस्तान को खबर भेज कर बताया था कि वह अपने घर की छत पर ध्यान कर रहा था। तभी एक पतंग छत पर आकर गिरी। इस पतंग से प्रकाश कोंधा और उनमें से माचिस की तीली आकार के चार आदमी निकले। वे थे-हिली वन, हिली टू, हिली थ्री और हिली फोर। उन्होंने समझाया कि हम आपके दोस्त हैं और आपको अपने ग्रह लेकर जाएंगे। आपके भीतर रसायन भर कर संकर नस्लों का विकास करेंगे और आपकी ज्ञानेंद्रियों का संचालन अपने ग्रह से करेंगे। आपके जैसे कई प्रतिरूप बनाएंगे, लेकिन आपकी अपनी विशिष्ट पहचान होगी जो केवल आप ही जान पाएंगे। इसके बाद क्या हुआ डीके पुरोहित को कुछ भी नहीं मालूम। दो साल बाद यानी 1997 में जब धरती पर आया तो यह सब घटना सपना लगा। इसी सपने को खबर बनाकर 1997 के दिसंबर माह में हिन्दुस्तान को भेजी थी। उस समय आलोक मेहता हिन्दुस्तान के कार्यकारी संपादक हुआ करते थे।
क्या कहती है राजस्थान पत्रिका की खबर
वर्ष 1997 में नवंबर या दिसंबर माह में ही राजस्थान पत्रिका में एजेंसी के हवाले से एक खबर मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित हुई थी। इस खबर का मजमून यह है कि अज्ञात ग्रह के लोग धरती पर आते हैं और सोते हुए लोगों का अपहरण कर अपने ग्रह ले जाते हैं और संकर नस्लों का विकास करते हैं। धरती के लोगों में तरह-तरह के रसायन भरे जाते हैं। यह खबर भी विज्ञान के रहस्यों पर व्यक्ति का विश्वास बढ़ाती है। अब सवाल उठता है कि राजस्थान पत्रिका जैसे प्रतिष्ठित अखबार की यह खबर क्या मिथ्या थी। कहते हैं इस ब्रह्मांड में असंख्य ग्रह हैं। इलीयन भी होते हैं। विज्ञान भी इसे मानता है। अगर डीके पुरोहित की खबर पर अविश्वास किया जाता है तो सारे विज्ञान पर अविश्वास किया जाना चाहिए। भूल जाना चाहिए कि कोई कहीं ग्रह है और भूल जाना चाहिए कि कोई इलीयन जैसी चीज भी होती है। अभी डीके पुरोहित की स्थिति यह है कि डॉक्टर उसे मानसिक रोगी मानते हैं और उसका पहले डॉ. देवराज पुरोहित और उसके बाद अब डॉ. जीडी कूलवाल से इलाज चल रहा है। समय-समय पर डीके पुरोहित की तबीयत खराब भी हो जाती है। मगर उसके सारे काम व्यवस्थित होते हैं। थोड़े दिन पहले ही डीके पुरोहित 5168 साल पहले महाभारत युद्ध काल में पहुंच गया था और पूरे दो साल बाद लौटा था। तब डीके पुरोहित ने 701वें श्लोक की खोज की थी।
मुख्य सवाल जिसके बारे में पाठकों को जानना जरूरी है-