-यह बात शायद ही आपको पता हो कि एयु बैंक के सीईओ संजय अग्रवाल ने राम मंदिर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 200 करोड़ रुपए का चंदा दिया है। इसमें 50 करोड़ से अधिक की राशि उस घोटाले का हिस्सा है जो आम ग्राहकों से लूटी गई है।
डीके पुरोहित. जोधपुर
एयु बैंक का मुख्यालय जयपुर में है और यह इंडिया का सबसे बड़ा स्मॉल फाइनेंस बैंक है। जैसा कि अपने नाम से जाना जाता है। यह स्माइल फाइनेंस करता है। मगर उसके लिए ग्राहकों को लूटा जाता है। उनकी प्रॉपर्टी को ओने-पोने दामों में बैचकर मुनाफा कमाया जाता है। यह कर्ज तो देता है मगर उसके बदले में जो संपत्ति गिरवी रखता है, कर्ज समय पर ना चुकाने पर उस संपत्ति को ओने-पोने दामों में बैचकर उस पर करोड़ों का मुनाफा कमाता है। देश भर में ऐसे 3 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं जब बैंक ने ऋणी की संपत्ति को नीलाम कर उसको घाटा पहुंचाकर अपना ऋण वसूला और उसकी बाजार कीमत उस नीलाम राशि से कई गुणा अधिक थी। ऐसे ही अनैतिक तरीके से कमाए रुपयों में से एयु बैंक के सीईओ संजय अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुप्त रूप से 200 करोड़ रुपए का चंदा राम मंदिर के लिए दिया है। यह राशि नकद दी है या चेक के जरिए इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। जब यह राशि दी गई तब अमेरिका में निवास करने वाले एक एनआरआई भी मोदी और संजय अग्रवाल के बीच थे। बताया जाता है कि एयु बैंक को विदेशों से भी फंडिंग होती है। एयु बैंक का इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा करना आसान नहीं था। सइके पीछे कुटील राजनीति और राजनेताओं का प्रश्रय भी शामिल है। संजय अग्रवाल के कांग्रेस और भाजपा के साथ कई पार्टियों के नेताओं के साथ सीधें संपर्क हैं और अग्रवाल सब पार्टियों को फंडिंग करते आए हैं।
जैसलमेर में वैद्य व्यास मेडिकल स्टोर नाम की दुकान पर जो लोन दिया गया था उसके बदले में जो जमीन गिरवी रखी गई वह एक ऐसी महिला की थी जो मानसिक रूप से पागल थी और बैक के कर्मचारियों ने जबरन उसका अंगूठा लगाकर जमीन गिरवी रखकर उसके बेटे को लोन दिया। बाद में लोन ना चुका पाने पर ओने-पोने दामों में उस प्लॉट को बेचने का नोटिस दिया गया। ऐसे मामले देश भर में तीन हजार से अधिक सामने आए हैं।
एयु बैंक का काम ग्राहकों को मूर्ख बनाना है। कभी क्रेडिट कार्ड के नाम पर, कभी सरल प्रक्रिया से लोन देने के नाम पर। एयु बैंक ने कम समय में जो 45 हजार करोड़ का बिजनेस खड़ा किया है, उसके पीछे मेहनत कम बल्कि मक्कारी अधिक है। इसके कर्मचारी पूरी तरह प्रोफेशनल हैं। यही नहीं मीठी बातों से ग्राहकों को अपने जाल में फांसना इस बैंक का हथियार है। यह पहला ऐसा बैंक है जो खाते खोलने के लिए कर्मचारी नियुक्त करता है। कर्मचारियों को बाकायदा टारगेट दिए जाते हैं कि आपको हर माह इतने खाते खोलने हैं। ऐसे कर्मचारियों को बड़ा वेतन दिया जाता है। कर्मचारी एक बार लालच में नौकरी लग जाते हैं और फिर पछताते हैं। बैंक तो पीछे ही पड़ जाता है कि हर माह खाते खुलवाओ। यह बैंक हजारों कर्मचारियों का वेतन डकार गया है जो खाते खुलवाने का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाने की वजह से बैंक की नौकरी छोड़कर चले गए हैं। ऐसे कर्मचारियों की राशि करीब 20 करोड़ रुपए होगी। इन बीस करोड़ रुपयों का कोई हिसाब नहीं है। बल्कि कागजों में कर्मचारियों को पैमेंट करना बता दिया गया है। यही नहीं बैंक विभिन्न पर्पज से लोन देती है। यह लोन सरल प्रक्रिया से देने का झांसा दिया जाता है। इसकी ब्याज दर इतनी अधिक है कि अगर आप कुछ किस्तें भी ना चुका पाओ, तो आपको ऐडी चोटी का जोर लगाना पड़ जाए।
एयु बैंक के सीईओ संजय अग्रवाल की कहानी फिल्मी है। स्मॉल फाइनेंस बैंक के एमडी सीईओ संजय अग्रवाल ने आठवीं फेल होने के बाद इंग्लिश मीडियम छोड़ कर हिंदी मीडियम से पढ़ाई शुरू की। जैसे-तैसे पढ़ाई पूरी कर एक छोटी सी फाइनेंस कंपनी खोली। मेहनत और लगन के अलावा संजय अग्रवाल के सिर पर बिजनेस का ऐसा जुनून सवार था कि आज 45 हजार करोड़ का बैंक खड़ा कर दिया। दरअसल परिवार के प्रेशर में पढ़ाई जारी तो रखी लेकिन उन्हें इस फील्ड में खुद से ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं। यही कारण था कि वे पढ़ाई को पार्ट टाइम और खेल को फुलटाइम के लिए अपनाना चाहते थे। संजय का सपना क्रिकेटर बनने का था और इसलिए पढ़ाई पर ज्यादा जोर नहीं दिया। सीएम एग्जाम भी दो बार दिया और दोनों बार फेल हो गए। हालांकि उनका जुनून काफी कुछ कर गुजरने का था। बिजनेस की तरफ गया तो छोटी सी फाइनेंस कंपनी खोली जो आज 45 हजार करोड़ का बैंक बन चुका है। संजय आज राजस्थान के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। एयु स्मॉल फाइनेंस बैंक का मुख्यालय जयपुर राजस्थान में है। इसकी स्थापना 1996 में वाहन वित्त कंपनी एयु फाइनेंसियल (इंडिया) लिमिटेड के रूप में की गई थी और 19 अप्रैल 2017 को इसे एक छोटे वित्त बैंक में बदल दिया गया। एयु स्मॉल फाइनेंस बैंक निम्न और मध्यम आय वाले व्यक्तियों और सूक्ष्म और छोटे व्यवसायों को सेवा प्रदान करता है, जिनके पास सीमित या बिल्कुल नहीं है। औपचारिक बैंकिंग और वित्त चैनलों तक पहुंच। बैंक ऋण, जमा और भुगतान उत्पाद और सेवाएं प्रदान करता है। 30 जून 2021 तक एयु स्मॉल फाइनेंस बैंक के वितरण नेटवर्क में 1000 प्लस बैंकिंग टचप्वाइंट, 23486 कर्मचारी शामिल है जो 15 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं और 2 मिलियन से अधिक ग्राहक हैं। बैंक का परिचालन 15 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में है। जिनमें राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्पप्रदेश प्रमुख राज्य है। यह अपने ग्रह राजय राजस्थान में स्थानों की संख्या के हिसाब से सबसे बड़े बैंकों में से एक हैं। कंपनी की स्थापना संजय अग्रवाल ने एक प्राइवेट लि. कंपनी के रूप में की थी और 29 जून 2017 को सार्वजनिक रूप से आईपीओ में सूचीबद्ध किया गया था। एक योग्यता धारक चार्टर्ड अकाउंटेंट और पहली पीढ़ी के उद्यमी है। बंक में 28.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। उन्हें 30 हजार से अधिक कर्मचारियों की टीम का समर्थन प्राप्त है।
घोटाले के तार खुलने की संभावना नहीं, क्योंकि राजनेताओं का अग्रवाल के सिर पर हाथ
एयु बैंक के देश भर में 50 करोड़ से अधिक के घोटाले के राज शायद ही सामने आए क्योंकि अग्रवाल पर राजनेताओं का हाथ है। देश भर में तीन हजार ऋणियों की संपत्ति ओने-पोने दाम में बेचकर उस पर पिछली गली से मुनाफा कमाकर एक तरह से घोटाला किया गया है। इसकी राशि 50 करोड़ से अधिक है। यही नहीं अपने अस्थाई कर्मचारियों जो नौकरी छोड़कर चले गए हैं उनके 20 करोड़ रुपए का वेतन भी एयु बैंक डकार गया है और कागजों में उनका भुगतान दिखा दिया गया है, जबकि यह वेतन उन कर्मचारियों को मिला ही नहीं। उनके फर्जी साइन कर दिए गए हैं। कई कर्मचारी तो आज भी वेतन के लिए चक्कर काट रहे हैं, मगर उन्हें टरकाया जा रहा है। एयु बैंक क्रेडिट कार्ड के नाम पर भी बहुत बड़ा गेम खेल रहा है। कई राज्यों में उत्तर प्रदेश और बिहार के भोले भाले लोगों के आधार कार्ड हासिल कर उनके गलते पत्ते भरवाकर और प्रावइेट संस्थानों से सेटिंग कर गलत सेलेरी भरकर उनके क्रेडिट कार्ड स्वीकृत करवाते हैं और ये क्रेडिट कार्ड उन तक पहुंचते ही नहीं है। ऐसा ही वाकया हाल ही में दैनिक भास्कर जोधपुर के कई कर्मचारियों के साथ हो चुका है। दैनिक भास्कर में एयु बैंक की ओर से लगाए गए कैंप में कई कर्मचारियों की गलत सैलेरी और गलत जानकारी भरकर क्रेडिट कार्ड और लोन के लिए आवेदन भरवाए और न तो लोन दिया और न ही क्रेडिट कार्ड दिए। पूछने पर सही जवाब भी नहीं दे रहे हैं। एयु बैंक का क्रेडिट कार्ड के नाम पर बहुत बड़ा गेम चल रहा है। ईडी के छापे तो एयु बैंक पर पड़ने चाहिए और इस मामले में घोटाले की परतें खोली जानी चाहिए।
