(नीलम व्यास ‘स्वयंसिद्धा’ का जन्म 17 फरवरी 1973 को जोधपुर में हुआ। एम.ए, बी.एड, एम.एड तक शिक्षित। मन सीपी के मोती, छंद नीलप्रभा ,वयष्टि से समष्टि की ओर, प्रीत की रागिनी, बाल मन की उड़ान प्रतिनिधि कृतियां हैं। अनेक समाचार पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन। अनेक ऑनलाइन सम्मान मिल चुके हैं। लॉयन्स क्लब, महिला चेतना संस्थान की तरफ से सम्मानित। साहित्य साधक पटल की राष्ट्रीय सचिव। सम्प्रति : व्याख्याता (हिंदी) बी.एड. कॉलेज एवं स्वतंत्र लेखन। सम्पर्क : सूरसागर पुलिस थाना के पास, चांदपोल रोड, जोधपुर, 342024 (राज.) मो. 09414721619 ई-मेल nvyas8470@gmail.com)
शिव मनाइए
ओम नमो शिवा गौरी,
मैं दीन हीन हूँ भोरी,
द्वार तेरे आई आज,
पूज के मनाइए।
धूप दीप आरती से,
आक धतूरा बेल से,
नित अभिषेक करूँ,
शिव गुण गाइए।
भोले मेरे शिव नाथ,
शीश पर रखे हाथ,
शिव नाम रट रही,
रोग को भगाइए।
सावन सोमवार है,
पावन त्योहार है,
व्रत पूजन करती ,
मन बस जाइए।।
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शिव स्तुति
बम बम भोले नाथ,
चन्द्र विराजे है माथ,
जटाजूट चंद्रचूड़,
शिव शिव गाइए।
गौरी पति आशुतोष,
मन में भरो संतोष ,
काम क्रोध लोभ मोह,
मन से भगाइए।
ध्यान योग साधना से,
जप तप नियम से,
विषय भोग द्वेष को,
दूर कर पाइए।
ओ मेरे भोले भंडारी,
तन मन धन वारी,
मन में आ के विराजो,
तमस मिटाइए।।
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शिव से विनय
गिरिजा पति सुन लो,
अवगुण को गुन लो,
निर्मल चित्त करके,
भक्ति जगाइए।
दीन हीन रोगिणी हूँ,
दुख भय की ऋणी हूँ,
मन का संताप हरो,
क्लेश को नशाइए।
आऊँ शिवालय रोज,
पूजन से बढ़े ओज,
सोमवार व्रत करूँ,
भक्ति उर पाइए।
प्रभु सदाशिव मेरे,
मिटते जन्मों के फेरे ,
मुझको तार दो शिव,
दीपक जलाइए।।
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आई तेरे द्वार भोले
आई तेरे द्वारे भोले,
भेद जिया के है खोले,
भटक रहा मन है,
भक्ति की है कामना।
सुन ले पुकार दाता,
दीन दुखी दर आता,
मेरी सुध ले लो स्वामी,
पूरण हो साधना।
चित को एकाग्र मांगू,
कीर्तन रात मैं जागू,
सुमिरिनि दिन राती,
शुद्ध मन भावना।
तन का दीपक मानो,
बाती उर की ही जानो ,
ओमकार जाप होता,
संकट में थामना।।
