-प्लेग के परंपरागत डीएनए ने बदला रूप, अब और भी जानलेवा साबित हो सकता है, अभी भी कंट्रोल नहीं किया तो दुनिया पर मंडरा रहे खतरे के बादल
ओम गौड़. कैलिफोर्निया
प्लेग येर्सिनिया पेस्टिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह आमतौर पर पिस्सू द्वारा फैलता है। जब यह कीड़े चूहों या गिलहरियों जैसे संक्रमित जीवों को काटते हैं। वैज्ञानिकों ने इसका डीएनए ढूंढ़ लिया था। लगभग 3800 वर्ष पहले कांस्य युग के कंकालों में प्लेग के संकेत मिल चुके हैं। प्लेग ने समय-समय पर दुनिया पर हमला बोला। रिपोर्ट है कि प्लेग के डीएनए ने अपना स्वरूप बदल लिया है। अब यह और भी घातक हो गया है और इस बार प्रशांत महासागर में संक्रमित चूहों के माध्यम से कैलिफोर्निया में तबाही मचा सकता है। रिपोर्ट मिली है कि प्रशांत महासागर में समुद्री चूहे संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। इसके संपर्क में कैलिफोर्निया शहर आ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो मौत का तांडव शुरू हो सकता है।
गौरतलब है कि प्लेग एक संक्रामक रोग है जो लोगों और जानवरों को प्रभावित करता है। कभी ब्लैक डेथ कही जाने वाली यह बीमारी सैकड़ों साल पहले दुनिया को अपनी चपेट में ले चुकी है। आज भी यह बीमारी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। रिपोर्ट है कि प्रशांत महासागर में संक्रमित चूहों में इसके डीएनए ने स्वरूप बदल लिया है और नए तरीके से मानव जाति पर हमले को तैयार है। बताया जाता है कि इस नए तरह के प्लेग का अभी कोई इलाज नहीं है। यह हवा से हवा में फैलता है। इसका कोई टीका नहीं बना है। इससे पहले अमेरिका के एरिजोना, कोलोराडो, न्यू मैक्सिको में कभी कभार प्लेग के मामले आ चुके हैं। लेकिन इस बार कैलिफोर्निया इसकी चपेट में आ सकता है। प्रशांत महासागर में इसके हालात बन रहे हैं।
पहली बार प्लेग महामारी फैली उसे जस्टिनियन प्लेग कहा जाता है यह 541 और 542 वर्षों में आई थी। छठी से आठवीं शताब्दी तक प्लेग की कई लहरें यूरोप और एशिया में फैली। दूसरी महामारी जिसे ब्लैक डेथ के नाम से जाना जाता है 1347 में इटली पहुंची। इतिहासकारों का मानना है कि यह मध्य एशिया में शुरू हुई और पिस्सू और चूहों द्वारा ले जाए जाने वाले वाले व्यापारिक जहाजों पर सवार होकर यूरोप में आई। यह तेजी से पूरे यूरोप में फैल गया और अगले 5 वर्षों में महाद्वीप की लगभग एक तिहाई आबादी मर गई।
यह दूसरी महामारी 1400 के आसपास समाप्त हो गई, लेकिन यूरोप में अगले 400 वर्षों में भी घातक प्रकोप जारी रहा। 1600 के दशक के मध्य में इटली में प्लेग ने नेपल्स और जेनोवो की दो तिहाई आबादी को मार डाला और लंदन ने अपनी आबादी का एक चौथाई हिस्सा खो दिया। 1770 में मॉस्को में प्रकोप से लगभग 1 लाख लोग मारे गए। तीसरी प्लेग महामारी 1855 में दक्षिण पश्चिम चीन में शुरू हुई। यह वहीं से फैली जिससे कैंटन में लगभग 70 हजार लोग मारे गए। 1900 के दशक की शुरुआत में यह जापान, आस्ट्रेलिया और उत्तर और दक्षिणी अमेरिका तक पहुंच गया। अनुमान है कि 1800 के दशक के अंत और 1900 की शुरुआत में प्लेग से भारत में 12 मिलियन लोग मारे गए थे। ताजा संकेत के मुताबिक अब प्रशांत महासागर में संक्रमित चूहों से बदले हुए डीएनए के रूप में प्लेग हमले को तैयार है। ये चूहे सिएरा नेवादा, सेंटल वैली की उपजाऊ कृषि भूमि में अपना घर बना रहे हैं।