अध्ययन के दौरान स्लरी पर शोध किया, पर्यावरण के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं
राइजिंग भास्कर डॉट कॉम. जोधपुर
इंजीनियर निर्मल कुमार माथुर ने सेवा के साथ शिक्षा में भी जज्बा दिखाया है। उन्होंने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि उम्र सिर्फ एक संख्या से ज्यादा कुछ नहीं है। इंसान यदि दृढ़तापूर्वक और परिश्रम और लगन से कुछ करना चाहे तो सब कुछ सुगम है, कुछ भी मुश्किल नहीं है। माथुर ने 66 वर्ष की उम्र में 80 प्रतिशत से अधिक अंकों से एमई की डिग्री हासिल की है। कायस्थ समाज के शिरोमिण, प्रमुख समाजसेवी, मुस्कान ग्रुप सहित अनेक सामाजिक संगठनों के माध्यम से मानव, पशु-पक्षियों के कल्याण और सेवा के लिए समर्पित माथुर पर्यावरण और गौ सेवा के क्षेत्र में भी कार्य कर रहे हैं। कोरोनाकाल में जब चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। ऐसे समय में अपने मित्रों को संग लेकर मुस्कान ग्रुप का गठन किया और प्रथम पीड़ितों को लॉकडाउन में ढील के पश्चात अपने घरों को लौटने वाले या जीवन यापन के लिए निकलने वाले, कच्ची बस्तियों में आर्थिक अभाव वाले हर उम्र के 2670 लोगों को शूज बांटे और भोजन सामग्री वितरित की। लगातार 48 दिन तक नाश्ता और दोनों समय का भोजन पहुंचाया। कोरोना की दूसरी लहर में चारों ओर आक्सीजन के अभाव में हाहाकार मचने पर ब्रेथ बैंक की स्थापना कर देश विदेश से 11 पीड़ितों को कन्सन्ट्रेरेटर मंगवा कर राहत पहुंचाने जैसा महत्वपूर्ण कार्य किया। वर्तमान में भी ब्रेथ बैंक से लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
शोध : स्लरी में निश्चित मात्रा में मिट्टी मिलाकर 32% लागत मूल्य में बचत संभव
माथुर ने सेवानिवृत्ति के पश्चात सभी क्षेत्रों में सक्रिय रहकर मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कुछ नया और उपयोगी करने की ठानी। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में बाधा बन रही मार्बल स्लरी के सड़क निर्माण में उपयोग किए जाने की संभावना पर गहन स्टडी कर यह निष्कर्ष प्रस्तुत किया कि खनन के पश्चात खदानों से सड़कों और खनन क्षेत्रों के समीप डाली गई अनुपयोगी और पर्यावरण के लिए हानिकारक मार्बल स्लरी को सड़क निर्माण के लिए उपयोग में ली जाने वाली मिट्टी में निश्चित मात्रा में मिलाकर उपयोग में लेने से लगभग 32 प्रतिशत तक लागत मूल्य में बचत की जा सकती है। साथ ही हवा के साथ-साथ उड़ने वाली मार्बल स्लरी ( बारीक डस्ट) से गावों के तालाबों को दूषित होने और बंजर होती भूमि का बचाव किया जा सकेगा।
जरूरतमंदों को फीस, पुस्तकें, गणवेश वितरित करते हैं
माथुर जरूरतमंद स्टूडेंट्स के लिए फीस, पुस्तकों और ड्रेस की व्यवस्था करते हैं। वे कई बार पौधरोपण कर चुके हैं। पर्यावरण के क्षेत्र में उन्होंने सराहनीय कार्य किया। वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों का एकाकीपन दूर करने के लिए कार्य किया। कई बार फल-फ्रूट और पौष्टिक आहार वितरित किया जो अब भी जारी है। उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।