Explore

Search

Monday, March 24, 2025, 8:51 pm

Monday, March 24, 2025, 8:51 pm

LATEST NEWS
Lifestyle

कविताएं : अनिल भारद्वाज

Share This Post

होली और विश्व कविता दिवस के मौके पर वरिष्ठ कवि अनिल भारद्वाज की कलम से निकली दो रचनाएं पाठकों के लिए पेश हैं-

मेरे सरताज ना आएंगे

होली में सब रंग आएंगे,
प्यासे तीर उमड़ आएंगे,
पर ए रंगों की बरसात,
मेरे सरताज ना आएंगे।

सपनों में रंग डाला तुमको
प्यासी अंखियों के काजल से,
भिगो दिया भीगी पलकों ने,
तन के सिंदूरी बादल से ।

इंद्रधनुष कांधों पर रखकर,
रंगों के कहार आएंगे,
पर ए रंगों की बारात,
मेरे सरताज ना आएंगे।

सखियों के अधरों से रह-रह,
मधुर मिलन के चित्र झरेंगे,
विरह वेदना के क्षण प्रतिपल,
विरहिन के आंसू पोंछेंगे।

पूनम की गागर सिर पर रख,
धरती गगन फाग गाएंगे,
पर ए रंगों की सौगात,
मेरे सरताज ना आएंगे।

होली में सब रंग आएंगे,
प्यासे तीर उमड़ आएंगे ,
पर ए रंगों की बरसात,
मेरे सरताज ना आएंगे।
————-+———–+———-
गीत ये बन पाए हैं
जिगर को चीर के
बाहर ये निकाले मैंने
फिर ये अरमान
आंसुओं में उबाले मैंने
तब कहीं जा के
विरह गीत ये बन पाए हैं ।
इनके सीने में गम
के तीर चुभाये मैंने
दिल पै अपनों के दिये
जख्म दिखाए मैंने
तब कहीं जा के
विरह गीत ये बन पाए हैं।
स्वरों की सेज पै
जी भर ये सजाये मैंने
लय के तारों पै
नंगे पांव चलाए मैंने
तब कहीं जाके
विरह गीत ये बन पाए हैं !
गीतकार- अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर मध्यप्रदेश
Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment