म्हारो जोधाणो
अपणायत रो डंको बाजे
आ शान है राजस्थान री,
सगळा लोगां रै हिवड़े रैवे
आ धरती मारवाड़ री।
कुरजां मुदरी मुदरी गावै
राग सुणावे भैरवी,
सब लोगां ने आशीष देवे
अवनी ईण जोधाणा री।
शीश माथै मां चामुंडा विराजे
ध्वजा उड़े गुमान री,
घणे मान सूं शीश झुकावै
आ अचला मारवाड़ री।
खेतों में सब करसा भाई
हल खड़े है मोकलो
सब तिरसां री तिरस मिटावे
आ उर्वी मारवाड़ री।
मेहरानगढ़ रो किलो लूंठो
सगळाने घणो स्वावे है,
दरसण होवे जद किले रा
हिवड़ो हरक जावे है।
छितर पैलेस री छटा देख
हिवड़ो घणो हरक रयो,
जोधाणा री वसुधा माथै
नोपत ने ढोल बाज रयो।
राव जोधा घणे मान सूं
मारवाड़ थे थरप दियो,
शीश कट्यो पण झुक्यो नहीं
ईण धरा रो मान बढ़ा गयो।
मारवाड़ रो जायो जन्मयो
प्रीत मन सूं राखे है,
तस्वीर देख ने किले री
आंसुड़ा ढलकावे है।
घणे मोद सूं अरज करूं
आ बात बड़े सम्मान री,
आ रसा नहीं ओ स्वर्ग है
आ धरती मारवाड़ री।
आ धरती मारवाड़ री।।
