-अयोध्या में रामकथा जारी, देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु कर रहे रसास्वादन
शिव वर्मा. जोधपुर
अयोध्या में रामकथा जारी है। संत डॉ. रामप्रसाद महाराज ने गुरु की महिमा बताते हुए कहा कि गुरु वह होता है जो अपने शिष्य को गोविंद से साक्षात्कार करवाता है। गुरु का कर्ज कभी उतारा नहीं जा सकता। गुरु अपने शिष्य की पग-पग पर रक्षा करता है। गुरु अपने शिष्य को बचाने के लिए उसकी सारी मुसीबतें अपने सिर पर ले लेता है। जब गुरु को लगता है कि शिष्य संकट में है तो गुरु उस संकट को दूर कर देता है।
गुरु और शिष्य का रिश्ता बड़ा ही शानदार होता है। गुरु के चरणों में स्वर्ग होता है। इसलिए गुरु का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए। गुरु की आज्ञा मानने में क्षण भर भी देर नहीं लगानी चाहिए। गुरु कभी कभी अपने शिष्यों की परीक्षा भी ले लेते हैं। लेकिन शिष्य को भी अपने गुरु की हर कसौटी पर खरा उतरना चाहिए।
श्रीराम ने ऋषियों के यज्ञ की सुरक्षा की, असुरों का नाश किया
संत डॉ. रामप्रसाद महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम ने ऋषि-मुनियों के यज्ञ की रक्षा की। श्रीराम ने असुरों का नाश कर दिया। प्राचीन समय में असुर ऋषि-मुनियों के यज्ञ में विघ्न डालते थे और उनकी तपस्या भंग कर देते थे। लेकिन श्रीराम ने सारे असुरों का नाश कर दिया और ऋषि-मुनियों को भयमुक्त किया। संत ने कहा कि जहां राम होते हैं वहां भय नहीं होता। राम के रहते कोई भयभीत हो भी नहीं सकता। यज्ञ की परंपरा चलती रहे और यज्ञ में विघ्न न पड़े इसलिए आसुरी शक्तियों का राम विनाश करते हैं। बताया जाता है कि यज्ञ में जो आहुति डालते हैं उसका कुछ भाग राम को मिलता है क्योंकि राम ही यज्ञ की रक्षा करते हैं।