Explore

Search

Saturday, January 18, 2025, 12:51 pm

Saturday, January 18, 2025, 12:51 pm

LATEST NEWS
Lifestyle

कमिश्नर स्पॉ-हुक्का बार पर दबिश दे वाह-वाही लूट रहे, अपराधी निरंकुश घूम रहे, नशा नौ-नौ ताल नाच रहा, मुख्यमंत्री तक स्वीकार कर रहे, पुलिस किस युग में जी रही है?..

Share This Post

2 जून को एक युवक के बदमाशों ने दोनो हाथ काट दिए…आखिर क्यों?…

राइजिंग भास्कर डॉट कॉम के ग्रुप एडिटर डीके पुरोहित का जोधपुर पुलिस कमिश्नर राजेंद्रसिंह के नाम खुला पत्र

प्रिय राजेंद्रसिंह जी,

आप स्पॉ सेंटर पर दबिश पर दबिश दे रहे हैं। हुक्का बार वालों का आपने जीना हराम कर दिया है। शराब तो रात आठ बजे के बाद वैसे ही बिक रही है और आप कार्रवाई करने का दावा करते रहे हैं। आपकी बहादुरी की आप खुद ही पीठ थपथपा रहे हैं। कुछ स्पॉ सेंटर बंद कराना वाकई आपकी महान उपलब्धि है। हुक्का बार पर कार्रवाई कर वाकई आप इतिहास बना रहे हैं। पर शायद आप भूल रहे हैं कि सड़क पर ऑटो चालक की पत्थर मारकर हत्या कर दी जाती है। सरे आम युवक के बर्बरता से दोनों हाथ काट दिए जाते हैं। बजरी माफिया का आंतक अभी तक रुका नहीं है। खनन माफिया का फन अभी तक कुचला नहीं जा सका। शहर नशे की आगोश में है। मेडिकल छात्र की हॉस्टल में नशे के ओवरडोज से मौत हो जाती है। स्टूडेंट्स-युवा नशे से बर्बाद हो रहे हैं। मुंबई पुलिस आकर करोड़ों की एमडी ड्रग्स मामले में कार्रवाई करके चली जाती है और आपकी पुलिस बेबस देखती रह जाती है। जेलों तक में नशा पहुंच रहा है। आप शायद नहीं जानते या जानना नहीं चाहते शहर की हर चाय की थड़ी पर अफीम खुलेआम बेची जा रही है। हर गली-चौराहों पर स्मैक-गांजा बिक रहा है। भांग का नशा तो किस हद तक पैर पसार चुका है, इस बारे में हम बात ही नहीं कर रहे। ट्रांसपोर्ट नगर तस्करी का बहुत बड़ा हब बना हुआ है। आपकी पुलिस के पास न केवल जानकारी है, वरन आपकी पुलिस भी अपराधियों से मिली हुई है। पर आप किस युग में जी रहे हैं पुलिस कमिश्नर साहब। इतना लाचार पुलिस कमिश्नर..! आप अकेले पुलिस कमिश्नर नहीं है जो लाचार हैं। यहां पुलिस कमिश्नर सारे लाचार ही आए हैं। क्योंकि निचले स्तर के अधिकारी अपराधियों से मिले हुए हैं। उनकी हफ्ता वसूली कहीं बंद नहीं हो जाए इसलिए वे सबसे बड़े अधिकारी यानी कमिश्नर को हमेशा मिस्गाइड ही करते हैं।

कुछ साल पहले यहां जालोरी गेट पर दंगा हो गया था। इस दगे की जांच रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई। आप भी शायद इस मामले में रुचि नहीं लेंगे। लेकिन जनता को जानने का अधिकार है कि दोषी कौन है? आखिर दंगे क्यों होते हैं? आपके सामने भी ऐसी परिस्थितियां आ सकती है। बहरहाल मुद्दा हमारा यह नहीं है। हम आपसे पूछना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की ऐसी क्या मजबूरी थी कि कहना पड़ा कि जोधपुर में बदमाश निरंकुश है। वो भी ऐसे पुलिस कमिश्नर के जोधपुर में होते हुए जिन्हें खुद मुख्यमंत्री पोस्टिंग देते हैं और जोधपुर में आए चार-पांच महीने ही हुए हैं। यानी चार पांच महीने में ही अपराधी निरंकुश हो गए हाे तो पुलिस कमिश्नर साहब आपका होना हमारे लिए शर्मनाक बात है। जिस सरकार का मुखिया आपकी काबलियत पर प्रश्न चिह्न लगा रहा हो तो आपको अपने बारे में मंथन करना ही चाहिए।

जोधपुर में पत्रकार के रूप में कार्य करते हुए मुझे 21 साल हुए हैं। कुल पत्रकारिता का 30-32 साल का अनुभव है। मगर मुझे याद नहीं आ रहा है कि कोई मुख्यमंत्री अपने ही द्वारा नियुक्त किए हुए अधिकारी के बारे में ऐसी राय व्यक्त करता हो। जब से जोधपुर में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू हुई जितने भी पुलिस कमिश्नर आए उन्होंने कोई महान कार्य नहीं किए हैं। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद भी जोधपुर में अपराध कम नहीं हुए। बल्कि और ही बढ़ते गए हैं। पुलिस कमिश्नर इसलिए बिठाया गया ताकि अपराध पर लगाम लगाई जा सके। लेकिन अफसोस सारे पुलिस कमिश्नर नाकारा सिद्ध हुए। बुराई का ठीकरा केवल आप पर फूटा और वो भी उस सरकार के मुखिया ने यह आरोप लगाया जिसने खुद आपकी नियुक्ति की। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में भी पुलिस कमिश्नर नियुक्त हुए। उनके कार्यकालों में भी पुलिस कमिश्नर नाकारा ही सिद्ध हुए। मगर खुले में मुख्यमंत्री ने जो आरोप लगाया है उसके बाद आपको अपनी कार्य प्रणाली के बारे में सोचना होगा।

पुलिस कमिश्नर काफी जिम्मेदारी का पद होता है। उसके नीचे कई आईपीएस और आरएएस अफसर होते हैं। इतनी बड़ी अफसरों की फौज उसके नीचे होती है, मगर फिर भी शहर में अपराधों पर अंकुश नहीं लगे तो पुलिस के उस अधिकारी को अपनी कार्यशैली को लेकर मंथन करना ही चाहिए। दरअसल दोष आपका नहीं है पुलिस कमिश्नर साहब। सभी पुलिस कमिश्नरों की तरह आप भी उतने ही दोषी है अपनी वर्किंग को लेकर। क्योंकि आपके मातहत जो अफसर कार्यरत है वहां से अपराधियों को प्रश्रय देने का सिलसिला शुरू होता है। पुलिस ने जनता का विश्वास खो दिया है। अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। क्योंकि निचले स्तर के अफसर बेलगाम होते जा रहे हैं। वे अपने सुप्रीमों को हमेशा अंधकार में रखते हैं। जितने भी थाने के एसएचओ है उन पर कंट्रोल जरूरी है। वे आम आदमी के साथ न्याय नहीं करते। थानों में आम आदमी की सुनवाई नहीं होती। बिना न्यायालय के आदेश के थानों में आम आदमी की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होती। अगर कोर्ट आदेश न दे तो थानों के एसएचओ आम आदमी को थानों में घुसने ही ना दें। पुलिस के इस चेहरे को बदलने की जरूरत है।

कमिश्नर साहब सच हमेशा कड़वा होता है। मगर अच्छा अफसर वही होता है जो अपनी आलोचना को भी पॉजिटिव तरीके से लेता है। हम आपके आने के बाद अभी आपसे मिले नहीं। एक दो बार फोन पर बात जरूर हुई है, पर आपको तो शायद याद भी नहीं होगा। हमें याद दिलाना भी नहीं है। केवल सूचना देना हमारा मकसद नहीं है। आपकी खबरें तो दूसरे अखबार और मीडिया छाप ही देता है। आप खुद विज्ञप्तियां जारी कर देते हैं। यह छपे नहीं छपे कोई मायने नहीं रखता। लेकिन जब एक मुख्यमंत्री को कहना पड़े कि जोधपुर में बदमाश निरंकुश है तो आपसे संवाद करना आवश्यक हो जाता है। आप शायद भूले नहीं होंगे कुड़ी भगतासनी सेक्टर आठ निवासी हरीश लोहार जो ऑटो चालक था। उसकी 19 फरवरी को रात नौ बजे हत्या कर दी गई। वो सवारी को छोड़ने गया था। यानी की आपकी पुलिस के राज में एक ऑटो चालक जो सवारी को छोड़ने जा रहा था, उसका मर्डर हो जाता है। यही नही ये पंक्तियां लिखी जा रही है तब कुछ समय पहले एक निरपराध व्यक्ति के बर्बरता से दोनों हाथ काट दिए जाते हैं। आखिर पुलिस के होते हुए अपराधियों के इतने हौसले बुलंद कैसे हो जाते हैं। सीधा सी बात है पुलिस से अब कोई नहीं डरता। खासकर जोधपुर की पुलिस ने अपराधियों के साथ अपणायत का रिश्ता बना लिया है। या फिर पुलिस ने अपराधियों से सांठ-गांठ कर ली है। एक आईपीएस अफसर हमेशा अपनी ड्यूटी के प्रति गंभीर होता है। मगर उसको मिस्गाइड करने वाले खूब होते हैं। पुलिस कमिश्नर साहब हम आपकी काबलियत पर सवाल खड़ा नहीं कर रहे। मगर आपका कमजोर पक्ष यह है कि आप अपने मातहतों पर कंट्रोल खो चुके हो। आपको जो बताया जा रहा है सच उतने तक ही नहीं है। शहर में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी आप तक सही रूप से पहुंच ही नहीं रही। यह शहर स्पॉ और हुक्का बार से निजात ही नहीं चाहता जो संगठित गिरोह अपराध कर रहे हैं उस पर नकैल कसने की जरूरत है। साइबर ठगी के प्रकरण तो आपकी पुलिस दर्ज ही नहीं करती। बैंकों में बुजुर्गों की जीवन भर की कमाई चोर उड़ा ले जाते हैं। आप आदमी के साथ आए दिन ठगी होती है। नकबजनी के मामले इतने बढ़ गए हैं कि कार्रवाई कुछ मामलों में ही होती है और चंद मामलों का ही खुलासा होता है। आपकी पुलिस चौराहों पर चालान काटने में लगी रहती है, मगर आप आदमी के दर्द को सुनने की किसी को चिंता नहीं है। कमिश्नर साहब कभी आप बिना वर्दी के शहर के भ्रमण पर निकले हैं? कभी आपने आम आदमी से सड़कों पर बिना वर्दी में बात की है? कभी आप एसी रूम से बाहर निकले हैं? कभी आपने थानों में जाकर रात में कार्रवाई की है? यहां तो ईमानदार पुलिस अफसरों के तबादले हो जाते हैं और भ्रष्ट अफसर मलाईदार पदों पर जमे रहते हैं। आपके कार्यकाल में ही कितने ही आपके मातहत अफसरों पर आरोप लगे, पर आपने कोई कार्रवाई की? नहीं की? क्योंकि आपमें इच्छा शक्ति ही नहीं है।

कमिश्नर साहब, यह शहर एक जमाने में बहुत ही शांत और शालीन था। देखते ही देखते शहर अपराध की आगोश में घिर गया है। इसकी तह में जाने की क्या आपने कभी कोशिश की? आपको आए करीब चार-पांच महीने हो गए हैं, क्या आपने शहर की स्टडी की? यहां किस तरह का क्राइम हो रहा है और क्यों हो रहा है? इसके बारे में कभी आपने विचार किया? क्या आपने कभी पुरानी फाइलों की स्टडी की? आपने केवल वही कदम उठाए जो आपके मातहत अफसरों ने बताए। कमिश्नर साहब स्पॉ सेंटर और हुक्का बार के खिलाफ कार्रवाई करके आपने कौनसा तीर मार लिया। आज भी पूरे शहर में शराब की दुकानों पर खुले आम आठ बजे के बाद शराब बिक रही है, आपकी पुलिस तो केवल शराब की दुकान वालों से हफ्ता वसूली कर रही है। क्या आप खुद सड़कों पर कभी कार्रवाई करने उतरे? पुराने मामले जो पैंडिंग चल रहे हैं और उनमें कौन-कौन दोषी रहे हैं, उनकी फाइलों को कभी आपने खंगाला? पुराने हिस्ट्रीशीटर आपने चुनाव के दौरान खूब गिरफ्तार किए। एक ही रात में सैकड़ों लोगों के खिलाफ कार्रवाई की? फिर भी अपराधी आपसे खौफ क्यों नहीं खा रहे?

कमिश्नर साहब, आपने आपने आईपीएस बनने के लिए बहुत मेहनत की है। आईपीएस अफसर हमेशा जिम्मेदार चेहरा होता है। पूरी सरकार और पूरी जनता उस पर भरोसा करती है। मगर आपने वो भरोसा खो दिया। जब एक मुख्यमंत्री कहने लगे कि जोधपुर में बदमाश निरंकुश है तो इसमें कुछ तो सच्चाई होगी? कमिश्नर साहब अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा। आपको कड़े कदम उठाने होंगे। इस शहर को संगठित गिरौह से आजादी दिलानी होगी। गली-गली में नशे के कारोबार से मुक्ति दिलानी होगी। एसएचओ पर कंट्रोल करना होगा। थानों में आम आदमी के लिए जगह बनानी होगी। पुलिस के चेहरे को बदलने की जरूरत है। इसके उलटा हो रहा है। आम आदमी पुलिस से भयभीत रहता है और अपराधी खुले सांड की तरह घूम रहे हैं। अपराधियों में पुलिस का कोई भय ही नहीं है। अब भी आप नहीं संभले तो वो समय दूर नहीं जब अपराधी इस शहर की सूरत बिगाड़ देंगे, पूरी तरह। आपको जो ट्रेनिंग दी जाती है। आपने जो स्टडी की है। आपके पास जो लंबा अनुभव है। उन सबका इस्तेमाल करते हुए कड़े कदम उठाने होंगे। तभी पुलिस जोधपुर जैसे शहर में खोया विश्वास बना सकती है। वरना दूसरे पुलिस कमिश्नरों की तरह अपना टाइम पूरा कर आपका भी ट्रांसफर हो जाएगा और आप इस शहर के लिए कुछ नहीं कर पाएंगे। अभी भी आपके पास समय है, कुछ कर गुजरने का। कुछ कीजिए। क्योंकि समय किसी का इंतजार नहीं करता। आपके पास जितना भी जोधपुर में समय है अपराधियों के खिलाफ आपका गुस्सा जुनून के हद तक दिखना चाहिए। संगठित गिरोह के खिलाफ आपका आईपीएस दिमाग दिखना चाहिए। दिखना चाहिए कि एक आईपीएस अपराधियों से अकेला लोहा ले रहा है। एक आईपीएस के खौफ से दुर्दांत अपराधी डरने चाहिए। उठो और मोर्चा खोल दो बदमाशों के खिलाफ। यही शहर की मांग है और यही इस शहर की आपसे अपेक्षा है।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment