Explore

Search

Wednesday, March 26, 2025, 5:34 am

Wednesday, March 26, 2025, 5:34 am

LATEST NEWS
Lifestyle

गीत : अनिल भारद्वाज

Share This Post

चुप बैठी हो

बहुत बोलती हैं ये आंखें,इसीलिए तुम चुप बैठी हो।

मन टटोलती हैं ये आंखें इसीलिए तुम चुप बैठी हो।

तुम कितना भी रोको इनको
अनजाने ही झुक जाती हैं।
इनसे मत अब प्यार छुपाओ
ये चुपके से कह जाती हैं।

राज खोलती है ये आंखें इसीलिए तुम चुप बैठी हो।

बहुत बोलती हैं ये आंखें,इसीलिए तुम चुप बैठी हो।

कह जातीं नजरों नजरों में
तन्हाई के गम की बातें,
मेरा हृदय रुला जाती हैं
तेरी पलकों की बरसातें।

प्यार तौलती हैं ये आंखें इसीलिए तुम चुप बैठी हो।

बहुत बोलती हैं ये आंखें,इसीलिए तुम चुप बैठी हो।

इनकी चमक खिला जाती है
पल भर में मुरझाया चेहरा,
होठों की मुस्कानों से भी
छट जाता बिछुड़न का कोहरा।

स्नेह घोलती है ये आंखें इसीलिए तुम चुप बैठी हो।

बहुत बोलती हैं ये आंखें,इसीलिए तुम चुप बैठी हो।

गीतकार- अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालिय

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment