ये पितरों के दिन
पितृ पक्ष पितृ देवों के घर आने के दिन।
जीवन में खुशहाली लाते ये पितरों के दिन।
जल तर्पण है अर्पण तुमको,
श्रद्धा सुमन चढ़ते तुमको,
रुचिकर व्यंजन अर्पित तुमको,
दो आशीष हृदय से हमको।
श्रद्धांजलि स्वर्ग में भेजी हैं तुमको अनगिन।
जीवन में खुशहाली लाते ये पितरों के दिन।
स्वर्णिम जिक्र तुम्हारा होता,
मन ही मन में मन खुश होता,
बिना तेल बाती खुशियों का,
दिल में दीप प्रज्ज्वलित होता।
ये लगता लौट आए फिर भूले बिसरे दिन।
जीवन में खुशहाली लाते ये पितरों के दिन।
जब ये श्राद्ध के दिन आते,
साथ अगर तुमको ले आते,
हम भी तुमसे बातें करते,
अपने मन की तुम कह जाते।
वे पल रत्नजड़ित लगते सोने से लगते दिन।
जीवन में खुशहाली लाते ये पितरों के दिन।
देव लोक से समय मिले तो,
इस बिछड़े घर से मिल जाना,
अग्यारी से बाहर आकर,
साक्षात् दर्शन दे जाना।
तुमसे मिलने को आएंगे गुजरे सारे दिन।
जीवन में खुशहाली लाते ये पितरों के दिन।
गीतकार -गीतकार-अनिल भारद्वाज एडवोकेट उच्च न्यायालय ग्वालियर