Explore

Search

Friday, May 16, 2025, 10:15 am

Friday, May 16, 2025, 10:15 am

LATEST NEWS
Lifestyle

डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि” की एक गजल

Share This Post

गर तुम न मिलती मुझको…

बेकार थी हयात हमारी तुझ को न पाया होता,
गर तुम न मिलती मुझको तो वक्त जाया होता।

बेख़बर सा था अनजान सी गलियों से तुम्हारी,
फंसता जाल में न तुम्हारे, गर न सताया होता।

पगली रातों को तुमने, खुद को यूं क्यों जगाया,
मुहब्बत थी अगर मुझसे तो जरा बताया होता।

ख़्यालों में सताना तेरा मुझ को अच्छा न लगा,
दर्द ए दिल गर था अपना समझ सुनाया होता।

इक पल मुस्कुरा के मुझको देखा होता जानम,
पल पल साथ तुम्हारे मेरी रुंह का साया होता।

उल्फ़त का ये सफ़र मुश्किल से “जैदि”कटा है,
आसान सफ़र कटता,अगर दिल लगाया होता।

डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
बीकानेर।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment