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Saturday, April 19, 2025, 12:29 pm

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स्वतंत्रता दिवस पर राजस्थान के प्रसिद्ध कवियों-कवयित्रियों की देशभक्ति पर आधारित कविताएं

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गोपालकृष्ण व्यास, पूर्व न्यायाधीश

गौरव का प्रतीक तिरंगा

तिरंगा देश की शान है,

भारत का अभिमान है,

तिरंगा छत्र छाया देकर,

सुरक्षा देश की करता है, 

शहीदों के तन से लिपट,

सम्मान उनका करता है,

लाल किले पर तिरंगा ही,

दृढ़ता का संदेश देता है,

उसके रंगों की छटा देख,

जन-जन भी गर्व करता है, 

केसरिया, सफ़ेद,  हरा रंग,

मान सभी का रखता है,

केसरिया पाग, हरा दुपटा,

प्रतीक विकास के होते हैं,

श्वेत रंग के साथ मिलकर,

संदेश  शांति  का  देते  हैं,

तीनो  रंगों की  आभा  ही,

हमें  गौरान्वित  करती  है,

जीवन के कठिन मोड़़ पर,

जीने की कला सिखाती है,

तिरंगे को जब हाथ में लेते,

सबको ताकत मिलती है,

तिरंगे के सच्चे रंगों में ही,

भारत की आत्मा बसती है।

000

आजादी का अभिमान

आज देश की माटी करती,

जन जन को आह्वान,

तिरंगा हाथ में लेकर बोलो

भारत मेरा महान,

शहीदों की शहादत ने

हिन्द की शान बढाई है,

मां भारत की सेवा करके,

वीरों ने शान बढाई है,

आजादी के मतवालों पर,

हमको हैं अभिमान,

आज देश की माटी करती,

जन जन को आह्वान,

स्वतंत्रता आंदोलन करके,

प्रजातंत्र को लाये हैं,

भारत के वीर शहीदों ने,

अपने शीश कटाये हैं,

भारत के उन मतवालों का,

हम करते हैं गुणगान,

आज देश की माटी करती,

जन जन को आह्वान,

जंजीरों में जकडी आजादी को,

संघर्ष से हमने पाया है,

भगतसिंह, आजाद, बोस ने,

रक्त से अपने सींचा है,

आओ उनको नमन करें,

बढ़े देश की ध्यान,

आज देश की माटी करती,

जन जन को आह्वान,

स्वतंत्रता की वर्षगांठ पर

हम दृढ़ निश्चय से कहते हैं,

भारत की पावन मिट्टी पर

जय घोष हिन्द का करते हैं,

आओ मिलकर काम करें,

लहराए खेत खलिहान,

आज देश की माटी करती,

जन जन को आह्वान,

शहीदों की मजारों पर,

अपना शीश झुकाते हैं,

गांधी पटेल नेहरू जी को,

हम दिल से याद करते हैं,

आजादी के मतवालों का,

हम करते हैं सम्मान,

आज देश की माटी करती,

जन जन को आह्वान,

दीन दुखी को गले लगाकर,

विश्वास का दीप जलाना है,

बसंती चोला पहन सभी को,

भारत खुशहाल बनाना है,

लहरा के तिरंगा लाल किले पर,

बना हिन्द की शान,

आज देश की माटी करती,

जन जन को आह्वान,

कोई रहे ना भूखा प्यासा,

भारत मां का कहना है,

बिजली, खेती, सड़कें, शिक्षा,

गांव गांव पहुंचाना है,

आओ मिलकर काम करें

लहराएं खेत खलिहान,

आज देश की माटी करती,

जन जन को आह्वान,

केसरिया रंग जीत दिलाता,

सफ़ेद ही शांति लाता है,

हरा रंग इस वसुंधरा को,

जीने की राह दिखाता है,

आओ मिलकर काम करें,

हो तिरंगे का सम्मान,

आज देश की माटी करती,

जन-जन काे आह्वान।

000

एन.डी. निम्बावत ‘सागर’

मेरा भारत देश महान है

मेरा भारत देश महान है।

मेरा भारत देश महान है।

ऋषियों और मुनियों की धरती

यहां पैदा होते भगवान है।

           मेरा भारत देश महान है।

राम, कृष्ण, गौतम, महावीर

उत्तम जिनका ज्ञान है।

गुरु नानक, गुरु गोविंद सिंह

अमर जिनका बलिदान है।

           मेरा भारत देश महान है।

यहां कण-कण में है प्रेम भरा

यहां मिट्टी में भी जान है।

यहां सबके अपने मज़हब है

यहां सबकी अपनी शान है।

           मेरा भारत देश महान है।

एक तरफ है खड़ा हिमालय

ऊंची जिसकी शान है

तीन तरफ है सागर गहरे

मेरे भारत की यही पहचान है।

           मेरा भारत देश महान है।

गंगा, यमुना और नर्मदा

पवित्र जिसका स्नान है

सिंधु, कृष्णा, कावेरी, ब्रह्मपुत्र

देती चेहरों पर मुस्कान है।

            मेरा भारत देश महान है।

000

विभाजन विभीषिका पर एक गीत

देश हुआ आज़ाद मगर

बड़ी कीमत चुकानी पड़ी

किसी का कटा सिर

किसी को मिली फांसी

देश का हुआ विभाजन

कैसी मजबूरी दिखानी पड़ी

              देश हुआ आजाद….

आज़ादी की जंग साथ लड़ी

नहीं था ख़्याल अलग देश का

सत्ता मिले देश की लड़़ पड़े

विभाजन की घड़नी कहानी पड़ी

               देश हुआ आज़ाद…..

विभाजन के घाव बने नासूर

जो आज भी रिस रहे हैं

न मरहम न हक़ीम कोई यहां

ये हकीक़त हर जुबानी पड़ी

               देश हुआ आज़ाद…

लम्हों ने की थी खाता

सदियां सजा पा रही है

विभाजन क्या हुआ दुश्मन हो गए

बड़ी महंगी मेहरबानी पड़ीं

              देश हुआ आज़ाद..

जमीं वही आसमां वही

मगर हवा बदल गईं

कोई द्रोपदी नहीं फिर भी

महा भारत की चौपड़ बिछानी पड़ी

               देश हुआ आज़ाद….।

000

नाचीज बीकानेरी

कौमी तराना

ए जमीन ए वतन, ए ज़मीन ए वतन ।

तुझको मेरा नमन,  तुझको मेरा नमन ।।

आबरू  तेरी  जाने  ना देंगे  कभी ।

जब तलक बाजुओं में हमारे है दम।।

दुश्मनों के इरादों का कर देंगे दमन ।।।

ए- जमीन…………………!

हौसले हैं  बुलन्द , छू लेंगे गगन ।

कोई छू के तो देखे हमारी तपन।।

बांधे रखते हैं सर पे हर दम कफ़न ।।।

ए-जमीन…………………..!

 तेरी शान-ओ-शौकत जमाने भर में है।

 ऊंचे आकाश के चांद – सितारों में है।।

 खुशियों से भर देंगें ये सारा चमन ।।।

 ए-जमीन……………………….!

बदल के रख देंगे जमाने की तशवीर ।

चमकेगी जमाने में जय हिन्द की शमशीर।।

जमाने भर को देंगें हम तौफा-ए-अमन।।।

ए-ज़मीन………………………..!

ये तिरंगा करोड़ों के दिलों की है धड़कन।

हर इक के दिलों में बसा है जन-गण-मन।।

शहीदों की शहादत को करते हैं नमन।।।

ए-जमीन……………………….!

फूले – फले सदा भारत का  ये चमन ।

सदभाव से आतंक को कर देंगे दफन।।

“जिओ और जीने दो”की है हमारी लग्न।।।

ए-जमीन……………

000

आज़ादी का जश्न मनाएं

आओ आओ आजादी का जश्न मनाएं ।

गांव गली हर नगर नगर झंडा फहराएं ।।

अनाम शहीदों की कुर्बानी को नमन करें।

आज़ादी का इतिहास रचा उन्हें मनन करें।।

रुको नहीं झुको नहीं देश के नौजवानों ।

पीछे मुड़ कर नहीं, आगे बढ़ो नौजवानों।।

आज तिरंगा हर घर घर में हम फहराएंगे।

देश भक्ति गीत गांव – गली में गुनगुनाएंगे।।

राष्ट्र प्रेम के तराने हर गली-चौराहे पर गूंजे।

भारत माता के जयकारों से पूरा देश गूंजे ।।

हिन्दू मुस्लिम मिल कर जन गण मन गाएं ।

आपसी सौहार्द की देश में अलख जगाएं ।।

एक देश एक सविंधान एकता का पाठ पढ़ें ।

आज़ादी के परवानों के हर सपने मिल गढ़ें।।

आज़ादी अक्षुण रहे हर वर्ष आए पावन पर्व ।

तिरंगे झंडे की आन बान शान में करते हैं गर्व।।

000

नीलम व्यास स्वयंसिद्धा

हम भारत के वीर सिपाही

हम भारत के वीर सिपाही, चढ़ा शीश  सुख पाते हैं।

सहते हैं वार दुश्मनों के, प्राण छोड़ तन जाते हैं।

आंधी ओ ओलों भरी राहें, सदा पार कर  जीते हैं।

आग उगलती तोपों के हम, अंगारे भी पीते हैं।

बंदूकों की गोली खाकर, झुक झुक शीश नवाते हैं।

हम भारत के वीर सिपाही……..।

धरती हमको कितना देती, अन्न फूल फल पाया है।

बदले में हम पेड़ उगाकर, वन उपवन विकसाया है।

कठिन राह बनती सुखकर, पत्थर तोड़़ बिछाते हैं।

हम भारत के वीर सिपाही…………..।

सहे कष्ट सर्दी गर्मी के, सरहद पे तन को वारे।

ठाना  संकल्प हिमालय सा, बहे लहूं के हैं धारे।

हे मातृ भूमि तुझको अर्पण, जीवन धन कर जाते हैं।

हम भारत के वीर सिपाही……….।

हिम खंडों पर चलके हमने, मंजिल अपनी  पाई है।

उफन रहे ज्वारों पे हमने, ध्वजा नई फहराई हैं।

गहन समंदर मोती खोजे, परचम फिर लहराते हैं।

हम भारत के वीर सिपाही………..।

हम भारत के वीर सिपाही, चढ़ा शीश सुख पाते हैं।

सहतें हैं वार दुश्मनों के, प्राण छोड़ तन जाते हैं।।

00

तिरंगा

तिरंगा लहरा रहा,

देश भक्ति सिखा रहा,

प्रतीक स्वतंत्रता का,

परचम  लहरा रहा,

विश्व गुरु भारत देश,

शुद्ध सभ्य परिवेश,

तीन रंगों वाला ध्वज,

सफ़ेद रंग हरा भरा,

केसरिया जोश भरे,

हरा हरियाली झरे,

श्वेत शांति प्रतीक है,

भारत शान बढ़ा रहा,

गाओ झंडा गीत प्यारा,

शस्य श्यामला ये न्यारा,

समवेत सम गान,

जन जन यूं गाता रहा।

000

सरहद बुलाती है

बजे पायल सदा आये,

करे विनती चले आओ।

कहे फौजी सुनो प्यारी,

मिलन का गीत मत गाओ।

डगर मुश्किल बहुत मेरी,

प्रभाती गीत है गाना।

मुझे सीमा बुलाती है,

किया वादा पड़े जाना।

बुलाओ ना कभी रोकर,

मुझे हिम्मत दिला पाओ।

कहे फौजी सुनो प्यारी,———–1

हिमाला दे रहा पहरा,

चले आंधी बढ़े जाते।

जवानी देश पे वारी,

लहू से शीश रंगाते।

मुझे अपना बना के तुम ,

इरादों को न झुठलाओ।

कहे फौजी सुनो प्यारी,———–2

चला हूं देश पर मरने,

नहीं आंसू बहाना जी।

लुटा दी जान सीमा पे,

मुझे घर ना बुलाना जी।

शहीदों का ठिकाना क्या,

कहे मिट्टी मिला जाओ।।

कहे फौजी सुनो प्यारी,———–3

बजे पायल सदा आये,

करे विनती चले आओ।

कहे फौजी सुनो प्यारी,

मिलन के गीत मत गाओ।।

000

मस्तक फूल चढ़ाना है

मुश्किल आये कितनी चाहे,

              आगे बढ़ते जाना है।

भारत माता के चरणों में,

             मस्तक फूल चढ़ाना है।।

सरहद पर जाकर के हमको,

                 देना  पहरा रातों में।

सच्चे मन से करनी सेवा,

            वक्त गंवा मत बातों में ।

हिंसा का हो नाश जगत में,

           अमन चैन विकसाना है।

भारत माता के चरणों में…………।

नर नारी में भेद तजो अब ,

          नारी भी बलशाली है।

हिम्मत ताकत नर के जैसी,

           दुर्गा ये मतवाली  है।

जाति धर्म का भेद मिटाकर ,

          समता भाव जगाना है।

भारत माता के चरणों में…………2

तेरा मेरा तज दे बंदे ,

        देश सभी का प्यारा है।

धरती माता पाल रही है,

       खिलता केसर क्यारा है।

स्वर्ग से सुंदर इस धरा को ,

            हमें सदा महकाना हैं।

भारत माता के चरणों में………..3

बहती धारा रक्त भरी हो,

          हम तो शीश  कटा लेंगे।

वीर जवानों की शक्ति दिखा,

           दुश्मन धूल चटा देंगे।

बच्चा बच्चा बलिदानी हो,

         परचम अब लहराना है।

भारत माता के चरणों में……….4

मुश्किल आये चाहे कितनी,

                आगे बढ़ते जाना हैं।

भारत माता के चरणों में,

            मस्तक फूल चढ़ाना है।

000

मुक्तक

जवानी वो जवानी हैं वतन के काम जो आए,

कहानी वो कहानी है लहू से जो लिखी जाए,

लुटाते जान जो हंस के  वही सच्चा सिपाही हैं,

कटा दे शीश बलिवेदी पे सदा गुणगान हम गाए।

000

कभी ज्वाला कभी तूफान, हिन्द का सैनिक लगता हैं,

हिमशिखर तो मरुथल पे रातों को वो जगता हैं,

पड़े छाले पांवों में तो लहू की धार बहती हैं,

तिरंगा कारगिल युद्ध में फहराने को भगता हैं।

000

सुनीता शेखावत ‘राष्ट्रगीत’

वीरांगनाओं का प्रतिशोध

बिंदिया चूड़ी उजड़ गई क्या त्राण चाहूंगी मैं अपने

शीश काट भेजूं रण में क्या प्राण चाहूंगी मैं अपने

मेरे रक्त में जर्रा जर्रा उस दिन ही रज घोल गया

मुझ से प्रणय बंधन वाला भारत की जय बोल गया

बंधन या आजादी थी मैं जान, सकी ना संग तेरे

जीने की बस सोच रही थी, छोड़ गया प्रियतम मेरे

यौवन में झरते फूलों को कैसे में दुत्कारूंगी

मधुमासी की रातों में तनहा तुझे पुकारूंगी

इक बाण छोड़ सीना मेरा टुकड़ों में तू बांट गया

भारत मां पहले है पगली झिड़की में तूं डांट गया

भूल जाऊंगी आलिंगन भूलूंगी अपना वो यौवन

जहां तरस तेरी देही से लिपटा था मेरा जोबन

मेहंदी वाले हाथ रगड़ धार सीखना है मुझको

दुश्मन की छाती चढ़कर वार सीखना है मुझको

मैं रणचंडी बनकर अब आतंक से भिड़ जाऊंगी

सिंहणी सी झपटूंगी और शक्ति रूप दिखाऊंगी

प्रण मेरा सुन लेना अब तब तक चैन न पाऊंगी

छीनी जिसने मांग मेरी मैं उसको नरक दिखाऊंगी।

000

आगाही

दिनकर को फरमाने वाले !

सत को आंख दिखाने वाले !!

मद की बांहों में बल होगा !

क्या उनसे सुंदर कल होगा !!

फिर तन से उथला मन होगा !

पाखंडी के वस जन होगा !!

अपनों से होगी गद्दारी !

झूठों की होगी भरमारी !!

जहां क्षितिज पर बैठ परिंदा !

चिंतित कैसे रहना जिंदा !!

चीर हरण का होगा धंधा !

ना होगा जंगली शर्मिंदा !!

कुछ राहों में व्याध आएंगे !

बच कर फिर भी बाझ जाएंगे !!

हुंकारों की होगी बोली !

ताकेगी गिद्धों की टोली !!

कुछ रज के होंगे अधिकारी !

देखेगी यह दुनिया सारी !!

आंखों में होगी चिंगारी !

आतंक की तोड़ेंगे नाड़ी !!

ना हो अब कोई बेचारी !

याद करो झांसी की नारी !!

सन सत्यावन की वो खुमारी !

प्रण  साधो विजय है तुम्हारी !!

000

वसुधा

वसुधा तेरी गोद में

जीवन का सब सार है

       माही तेरा प्यार है

       अवनी से संसार है

कहीं शिखर पर धर्म पताका

कहीं जलधि दरबार है

       कहीं शंभू की टंकारो से

       गूंज रही झंकार है

माही तेरा प्यार है

अवनी से संसार है

कहीं उगलती हीरे मोती

कहीं उफनती धान है

         वसुधे तेरी गोद में

         जीव, जगत, प्राण है

माही तेरा प्यार है

अवनी से संसार है

तेरे तन पर है परकोटे

तेरे तन दरबार है

          दीन दुखी मानवता की

          तू ही तारणहार है

माही तेरा प्यार है

अवनी से संसार है

 कहीं खेलती प्यारी कलियां

 कहीं बाग मल्हार है

        राघव  लीला में अब सारा

        झूम रहा नर, नार है

माही तेरा प्यार है

अवनी से संसार है।

000

राखी पुरोहित

एडिटर-इन-चीफ, राइजिंग भास्कर डॉट कॉम

वतन की शान तिरंगा 

वतन की शान तिरंगा अपना

जिस पर कुर्बान आन, बान, शान

सबसे प्यारा देश हमारा हिन्दुस्तान

आजादी पर मर मिटे वीर जो

हमको दिया अनोखा उपहार

आज के दिन करें याद उनको

जो करते थे तिरंगे से प्यार

धाक सही अंग्रेज़ों की

गुलामी से रहे बेहाल

भूख प्यास से व्याकुल बच्चे

बहुत सी अबला और लाचार

उन वीर शहीदों की कुर्बानी

व्यर्थ ना जाने पाए

आजादी का पर्व सुहाना

बसंती तिरंगा नभ में लहराये

ये जश्न वीरों के नाम करें

वन्दे मातरम की करें ललकार

आने वाली कई पीढ़ियां याद करेंगी

आज़ादी दिवस अपना ये

जन मन गण का कर गुणगान

राष्ट्रीय पर्व है पावन

हर त्योहार से निराला

आजादी दिलाने को हमें

पिया शहीदों ने विष प्याला

गोले बारूद के ढेर पर

मिट गए वीर जवान

नेहरू, गांधी और शास्त्री

महापुरुष अपने महान

चढ़ गए हंसकर फांसी पर

भगत सिंह जैसे वीर जवान

उन वीरों की याद कर

होती हैं आंखें नम

नतमस्तक हो हम सब मिलकर

आओ आज के दिन करें नमन।

000

संजीदा खानम ‘शाहीन’

तिरंगा

तिरंगा देश की शान है

तिरंगा हमारी जान है

तिरंगे का केसरिया

रंग बलिदान का प्रतीक है।

सफेद रंग शुभ शांति

दर्शाता है।

तिरंगे में हरा रंग खुशहाली

बताता है।

तिरंगे में अशोक चक्र जीवन

पथ पर हमेशा आगे बढ़ने का

संदेश देता है।

तिरंगे की महिमा न्यारी

तिरंगे से घर आंगन में गूंजे

किलकारी है।

वीर शहीदों की गाथाएं तिरंगा

याद दिलाए।

भारत देश का स्वाभिमान

बढ़ाए।

देश हिंदुस्तानियों में गौरवता

का भाव जगाए।

जब राष्टीय पर्व आजादी का

जश्न मनाया जाए।

तिरंगा झंडा शान से फहराया

जाए।

राष्ट्रगान जन गण मन गाया

जाए।

सभी मान मर्यादा से सम्मानपूर्वक

सावधान स्थिति में हो जाए।

अपने देश का नाम ऊंचा शान ऊंची

का गुण गान गाए।

000

 

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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