राखी पुरोहित. जोधपुर
आगामी 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा महोत्सव मनाया जाएगा। इस रात चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होगा और आसमां से अमृत की बरसात होगी। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की कलाओं में विशेष गुण होते हैं जो मनुष्य के लिए लाभकारी होते हैं। इस रात लोग खीर को चंद्रमा की कलाओं में पोषित कर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं। आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है।
दमा की चिकित्सा के लिए आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा को विशेष अवसर माना जाता है। इस अवसर पर दमा रोगियों को विशेष रूप से तैयार दवा दी जाती है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा में पोषित खीर का प्रसाद ग्रहण करने से व्यक्ति साल भर निरोग रहता है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार हिंदू महीने अश्विन की पूर्णिमा को मनाया जाता है और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। पूर्णिमा तिथि रात 8:40 बजे शुरू होती है और 17 अक्टूबर को शाम 4:55 बजे समाप्त होती है। माना जाता है कि यह रात भक्तों के लिए समृद्धि और आशीर्वाद लेकर आती है।
हार्वेस्ट मून के नाम से जाना जाता है शरद पूर्णिमा को
शरद पूर्णिमा को ‘हार्वेस्ट मून’ के नाम से भी जाना जाता है। इसे भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। खास तौर पर महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में। यह पूर्णिमा की रात को पड़ता है और मानसून के मौसम के खत्म होने का प्रतीक है।
जोधपुर में मंदिरों में होंगे कई आयोजन
शरद पूर्णिमा पर मंदिरों में कई आयोजन होंगे। मंदिरों में खीर का प्रसाद चांदनी में रखकर पोषित किया जाएगा और भक्तों में बांटा जाएगा।
शरद ऋतु की शुरुआत इसी दिन से मानी जाती है
शरद ऋतु की शुरुआत इसी दिन से मानी जाती है। शरद पूर्णिमा के बाद मौसम में बदलाव शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे सर्दी का असर दिखाई देने लगता है। इस बार जोधपुर में अच्छी बारिश हुई है। अधिक बारिश होने की वजह से बताया जाता है कि सर्द ऋतु जल्दी शुरू हो जाएगी।
योगेश्वर श्रीकृष्ण इस रात रचाते हैं रास
बताया जाता है कि योगेश्वर श्रीकृष्ण इस रात गोपियों संग रास रचाते हैं। योगेश्वर श्रीकृष्ण को परफैक्ट ईश्वर माना गया है। शरद पूर्णिमा की रात श्रीकृष्ण रास रचाते हैं। यह हिंदू शास्त्रों में विशेष रात मानी गई है।