कविता : नाचीज बीकानेरी
आओ हम मिल दशहरा मनाते हैं आओ हम मिल दशहरा मनाते हैं। अब मारें अपने दश-दुष्कर्मों को ।। क्यों मारते हैं हर वर्ष रावण को। आओ हम मारें अपने अंहकार को। मरता क्यों नहीं फिर ये, रावण । हां, रोकें हो रही अमानुषता को।। न्याय नहीं जब शासन व्यवस्था में। तो फिर आओ जमीर … Read more