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पर्युषण हमारे पाप रूपी मैल धोने को आया है : साध्वी चंद्रकला

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शिव वर्मा. जोधपुर 

जोधपुर के कमला नेहरू नगर प्रथम विस्तार, आचार्य श्री नानेश मार्ग स्थित समता भवन में एवं पावटा बी  रोड स्थित  राजपूत सभा  भवन में श्री साधु मार्गी जैन संघ जोधपुर द्वारा पर्युषण पर्व मनाया जा रहा है।  साध्वी  चन्द्रकला ने कहा कि पर्युषण पर्व हमारे पाप रूपी मैल को धोने आया है। हम पर्युषण की आराधना कर अपने आप को, अपनी आत्मा को पवित्र बनायें। हमारे मन में हमेशा धर्म मनोरथ की भावना जगे। हम सबका नजरिया , दृष्टिकोण और सोच अलग अलग है । हमारी सोच ही हमें सुखी और दुःखी बनाती है। हमारी सोच और नजर के अनुरूप हमारा नजारा बदल जाता है। एक व्यक्ति आधी पानी से भरी गिलास देखकर खुश होता है वहीँ दूसरा व्यक्ति पूरी की जगह आधी भरी देख दुखी होता है।

कहने का तात्पर्य है हमारा नजरिया सकारात्मक होगा तो हम हमेशा सुखी रहेंगे और नकारात्मक रहेंगे तो सिवाय दुख के कुछ भी हासिल होने वाला नही है। दीपावली, होली, अन्य त्योहारों पर हम नये कपड़े, नये वस्त्र, मिठाई, पकवान खाते हैं वहीँ पर्युषण पर्व हमें सादगी के साथ त्याग, तप ,उपवास, ज्ञान,ध्यान के साथ हमें धर्म आराधना करने की प्रेरणा देता है।

पर्युषण हमें अपनी गलतियों, रही भूलों का प्रायशचित करने का अवसर प्रदान करता है। हम शुद्ध भावों से अपनी गलतियों की आलोचना करें। आलोचना में इतनी शक्ति है कि यह हममे निर्मलता, पवित्रता का संचार कर हमें मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर करती है। पावटा बी रोड स्थित राजपूत सभा भवन में पर्याय ज्येष्ठा साध्वी प्रभातश्री ने फरमाया कि शान्ति की चाह लिए व्यक्ति इधर से उधर घूम रहा है। उसकी वही स्थिति है, कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूँढे बन माय। अर्थात्‌ शान्ति हमारे भीतर ही विधमान है ,आवश्कता है हमें अपने भीतर की ओर गहराई से झांकने की।यदि हम शान्ति को बाहर ढूँढ़ते रहेंगे तो वो हमें जन्म जन्मांतर तक भी मिलने वाली नही है।पर्युषण पर्व हमारे भीतर की तरंगों को तरंगित करनेवाला है। मन की तरंगें हमेशा एक सी नही रहती। पत्ता हवा के वेग के अनुसार हिलता है।मोह के वेग से हमारे मन में भी तरंग उठती है। मोह एक है, इसके प्रकार भिन्न भिन्न है। हमें तरंगे शान्त होने का इंतजार नही करना है । हमें दृढ़ता के साथ मोह से दूर होकर संयम जीवन स्वीकार करना है।

संयम से जुड़े होने पर मोह के थपेड़े हमें अलग थलग नही कर सकेंगे। इस प्रकार हमें मोह माया से दूर रहकर धर्म, आराधना के क्षेत्र का चयन कर आत्म कल्याण का मार्ग चुनकर अपने जीवन को सफल बनाना है।साध्वी जयामिश्री ने साधुमार्गी परम्परा के द्वितीय आचार्य शिवलाल म.सा. एवं जोधपुर के ही जाये जन्मे तृतीय आचार्य उदयसागर म.सा.का जीवन परिचय बताया । साध्वी शाश्वतश्री ने प्रवचन के प्रारम्भ में अन्तगढ़ सूत्र का वाचन किया। आज का धार्मिक दिवस, मौन दिवस के रूप में मनाया गया। त्याग प्रत्याख्यान में समता भवन में जितेन्द्र छाजेड़ ने 8 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किये । इसके अलावा भी अन्य कई प्रकार के प्रत्याख्यान भी किए गए। प्रवचन का समय दोनों ही स्थलों पर  प्रात: 8.45 बजे का रखा गया है।दोनों ही स्थलों पर पुरुषों एवं महिलाओं के लिए प्रतिकमण की  व्यवस्था भी रखी गई है।पर्युषण पर्व के दौरान श्रावक, श्राविकाओं द्वारा सामायिक, प्रतिकमण, एकासन,आयम्बिल,उपवास, बेला, तेला,अठाई,दया भाव, दया व्रत,धार्मिक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम, कल्पसूत्र  आदि का श्रवण एवं अनेकों तप,त्याग एवं धर्म आराधना के कार्य किए जाएंगे। प्रतिदिन  प्रवचन  के पश्चात्‌ समता  युवा संघ द्वारा धार्मिक परीक्षा  का भी आयोजन रखा गया है।संचालन गुलाब चौपड़ा द्वारा किया गया। इस मौके पर सुरेश सांखला भी मौजूद थे।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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