लेखक : प्रवीण मैढ़
M.Sc (Physics), CAIIB, PGD HRM, (मानव संसाधन प्रबंधन), शिक्षा परामर्शक, प्रभारी,शिक्षा प्रकोष्ठ मैढ़ क्षत्रिय समाज, राजस्थान, वरिष्ठ संकाय, बैंकिंग शिक्षण संस्था। निदेशक परामर्शक मण्डल सत्यमेव जयते सिटिजन सोसायटी। अध्यक्ष: रोप स्किपिंग एसोसिएशन,राजस्थान। उपाध्यक्ष क्रीड़ा भारती प्रांत जोधपुर NCC C Certificate.
दसवीं उत्तीर्ण करने के बाद विषय का चयन महत्वपूर्ण होता है। स्टूडेंट्स कई बार सही गाइडेंस के अभाव में तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कौनसा विषय लेना चाहिए जो उसके भावी कॅरिअर में सहायक हो। कई अभिभावक जो पढ़े लिखे नहीं होते या बच्चे के भविष्य को लेकर सजग नहीं होते, निर्णय लेने में बच्चे की मदद नहीं कर पाते। इसके लिए राह बता रहे हैं प्रवीण मेढ़…पढिए ये आलेख…
व्यक्तित्व विकास में शिक्षा का विशिष्ट महत्व है। शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाकर उसके आत्मविश्वास में वृद्धि करती है।
शिक्षा कौशल एवं ज्ञान में वृद्धि एवं व्यवसाय के अवसर के साथ आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देती है। वर्तमान समय में विज्ञान, तकनीकी, प्रौद्योगिकी कृत्रिम प्रबुद्धता (AI) के माध्यम से लक्ष्य प्राप्त करना आसान ही नहीं हुआ है अपितु प्रतिस्पर्धा भी बहुत बढ़ गई है।
प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन में 16 से 24 वर्ष की आयु सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। इस अवधि में व्यक्ति अपने बौद्धिक, शारीरिक, एवं सामाजिक विकास के साथ-साथ अपने जीवन के लक्ष्य को भी साधता है। इतना ही नहीं वह व्यक्ति से व्यक्तित्व के रूप में स्थापित होने के मार्ग को भी प्रशस्त करता है अर्थात् निर्णय लेने की क्षमता में उत्तरोत्तर वृद्धि करता है। विषय चयन करने की प्रक्रिया यदि सरल नहीं है तो इतनी कठिन भी नहीं है कि आप निर्णय न ले सकें। चुकी 16 वर्ष की आयु परिपक्वता की पूर्णता नहीं है अतः विद्यार्थियों को अपनी बुद्धिमता, योग्यता, क्षमता उपलब्ध संसाधन, स्वयं की रुचि, अभिरुचि का समावेश कर योग्य शिक्षकों एवं शिक्षा परामर्शदों से मार्गदर्शन प्राप्त कर विषय का चयन करना चाहिए।
इसके साथ ही परिवार की आर्थिक व सामाजिक स्थिति का आकलन कर कुछ नवाचार भी करने का प्रयास करना चाहिए। ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहां अभी भी प्रतिस्पर्धा कम है। प्रत्येक विद्यार्थी में बुद्धि ईश्वर प्रदत्त होती है। शिक्षा-प्रशिक्षण एवं संस्कार कौशल में उत्तरोत्तर वृद्धि करते हैं। शिक्षा और बुद्धि के सर्वोत्तम उपयोग को ज्ञान कहते हैं जिससे स्वयं, समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में विद्यार्थी अपनी अहम् भूमिका निभा सकते हैं।
प्रमुख रूप से दसवीं कक्षा के पश्चात् विज्ञान, वाणिज्य, कला, कृषि एवं व्यापार तथा उद्योग महत्वपूर्ण विषय हैं। विज्ञान के अन्तर्गत–जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान पशु एवं जीव जंतु विज्ञान, अभियांत्रिकी, सैन्य विज्ञान, सूचना एवं प्रसारण विज्ञान, संगणक के साथ ही साथ वर्तमान समय में कृत्रिम प्रबुद्धता, खगोलीय विज्ञान, शैक्षिक प्रशिक्षण प्रमुख हैं।
वाणिज्य के अन्तर्गत–लेखाशास्त्र अर्थशास्त्र व्यापार पद्धति उद्योग आयात-निर्यात सनदी लेखाकार(CA), कम्पनी सचिव, वित्तीय नियोजन, कारपोरेट प्रबन्धन ,वित्तीय क्षेत्र बैंकिंग एवं सेवा क्षेत्र प्रमुख हैं। कला एवं विधि में न्याय, भाषा साहित्य, इतिहास, भूगोल, भूगर्भ शास्त्र, पत्रकारिता, शिक्षा मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र समाजशास्त्र गृह विज्ञान शिक्षा एवं सेवा क्षेत्र प्रमुख हैं।
कृषि में कृषि विज्ञान, कृषि उत्पादन, पशुपालन, मत्स्य एवं अन्य कीट पालन, कृषि उत्पादन का विपणन, कृषि में प्रौद्योगिकी जलवायु तापमान सिंचाई एवं मुदा की प्रकृति शिक्षा प्रशिक्षण एवं शोध कार्य प्रमुख हैं। यह महत्वपूर्ण होगा की विषय चयन आपके द्वारा निर्णय लेने की योग्यता में वृद्धि करने का आरंभ है उच्च माध्यमिक कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आप और विश्लेषण कर अपनी दिशा को चुन सकते हैं साथ ही उपर्युक्त वर्णित क्षेत्र के अतिरिक्त इनसे सम्बन्धित अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें व्यावसायिक शिक्षा डिप्लोमा बहुत सरलता से किया जा सकता है। व्यवसाय के साथ शिक्षा भी ली जा सकती है। सुरक्षा सेवाओं अथवा अपना व्यवसाय करके वहाँ अपना अध्ययन भी निरन्तर रख सकते हैं। इस प्रकार जैसे-जैसे आप उत्तरोत्तर कक्षाओं में बढ़ते जाएंंगे वैसे-वैसे आपके लिए नए विकल्प खुलते जाएंगे और आप अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर बढ़ते जाएंगे।
खेलों में बना सकते हैं भविष्य
विभिन्न खेलों में भी आप उच्च कोटि के निष्णद खिलाड़ी बनकर अथवा अपने पारंपरिक व्यवसाय में अपने अध्ययन का उपयोग करके उसे उत्तरोत्तर नहीं ऊंचाइयां प्रदान कर सकते हैं। जीवन में उच्च कोटि की सफलता प्राप्ति हेतु एकाग्रचित होकर नियमित रूप से निरन्तर पुरुषार्थ कीजिए। भाग्य,अथवा सिफारिश ऐसे शब्दों को अपने मस्तिष्क में स्थान न दीजिए, रुचि-अरुचि,अच्छा-बुरा में अपना समय व्यर्थ ना करें,किसी भी आशंका को दूर करने हेतु सहयोगी- सहपाठी अथवा गुरुजन से मार्गदर्शन, विचार विमर्श अवश्य करें,अपने आत्म बल और आत्मविश्वास में कमी ना आने दें। पूर्ण प्रतिबद्धता से अपने लक्ष्य की तरफ दृढ़ निश्चय करके आगे बढ़ते जाएं सफलता आपकी होगी।
