राखी पुरोहित. जोधपुर
तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान का जन्म दीक्षा कल्याणक निमित्ते चिंतामणी पार्श्व मंडल व महावीर शासन स्थापना महोत्सव समिति के तत्वावधान में पार्श्व महिमा गुणगान किया गया।
पार्श्व महिमा गुणगान करते मंडल अध्यक्ष जवरीचंद भंडारी ने कहा तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान का जन्म पौष कृष्णा दशमी को वाराणसी (बनारस) नगर के इक्ष्वाकु वंशीय राजा अश्वसेन की रानी वामा देवी के गर्भ से हुआ था । कई संस्था संगठन से जुडे मंडल प्रवक्ता धनराज विनायकिया ने महिमा गुणगान करते कहा जैन आगमों के अनुसार तीर्थंकर बनने के लिए पार्श्वनाथ भगवान् को पूरे नौ जन्म लेने पड़े थे।विनायकिया ने कहा पूर्व जन्म के संचित पुण्यों और दसवें जन्म के तप के फलत: ही वे प्रगट प्रभावी तेईसवें तीर्थंकर बने। नव भवों के बारे मे महिमा गुणगान करते मंडल उपाध्यक्ष प्रकाश मेहता, सचिव अनिल मेहता, तपागच्छ संघ सचिव उम्मेदराज रांका ने कहा आगमों के अनुसार पहले जन्म में वे मरुभूमि नामक ब्राह्मण बने, दूसरे जन्म में वज्रघोष नामक हाथी, तीसरे जन्म में स्वर्ग के देवता, चौथे जन्म में रश्मिवेग नामक राजा, पांचवें जन्म में देव, छठे जन्म में वज्रनाभि नामक चक्रवर्ती सम्राट, सातवें जन्म में देवता, आठवें जन्म में आनंद नामक राजा, नौवें जन्म में स्वर्ग के राजा इन्द्र और दसवें जन्म में तीर्थंकर पार्श्वनाथ बने। महिमा गुणगान में मंडल के श्रवण दुगड़, ललित पोरवाल, रिखबराज बोहरा, आलोक पारख, महेद्र बोहरा, मनीष मेहता आदि कई सदस्यों ने महिमा गुणगान किया। इस अवसर पर मंडल के संरक्षक शिक्षाविद् गौतम मेहता के शादी के पचास वर्ष पूर्ण होने तथा संघ प्रवक्ता धनराज विनायकिया के राजस्थान गौरव सम्मान से सम्मानित होने पर ढेर सारी बधाईया शुभकामनाएँ प्रेषित कर दिर्घायु की कामना करते बहुमान किया गया।