अकादमी की पूर्व अध्यक्ष बिनाका जेश मालू ने लगाए भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप, बोलीं- गहलोत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं बंद कर दीं
कला और कलाकारों के साथ अन्याय हुआ, लगता है इस बार अकादमी का पूजरा बजट ही लैप्स हो जाएगा
पारस शर्मा. जोधपुर
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की पूर्व अध्यक्ष बिनाका जेश मालू ने राज्य की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मालू का कहना है कि भाजपा सरकार के एक कार्यकाल में एक पैसे का काम नहीं हुआ और उलटे सरकार ने अशोक गहलोत सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं ही बंद कर दी है।
मालू ने कहा कि राज्य की सर्वोच कला संस्कृति संरक्षण एवं संवर्धन संस्थान के रूप में जाने वाले राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर विगत एक वर्ष से ठप्प व निष्क्रिय पड़ी है। यहां वर्ष पर्यंत एक पैसे का भी कार्यक्रम नहीं हुआ है l मुझे कहते हुए दुःख होता है कि जबसे प्रदेश में भाजपा सरकार बनी है तब से अकादमी बेहाल और लाचार हो गयी है l प्रदेश के कलाकारों व संस्कृतिक कर्मियों की कोई सुनने वाला नहीं है। सभी कार्यकम व योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है l विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा 100 करोड़ रुपयों से प्रारंभ की गयी कलाकारों को वर्ष में 100 दिन रोजगार देने की देश की पहली गारंटी व वाद्ययंत्र खरीद सहायता जैसी महत्वाकांक्षी योजना भी बंद कर दी गयी है, जबकि हमने इस योजना प्रारम्भ के अल्पकाल में ही लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपयों की सहायता से प्रदेश के 13 हजार से अधिक कलाकरों को लाभान्वित किया था।
कलाकारों को आर्थिक सहायता नहीं मिल रही
मालू ने कहा कि जरुरतमंद कलाकारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने वाला कल्याण कोष से सहायता बंद है, जबकि हमने विपरीत परिस्थितियों में इस योजना में पांच करोड़ से अधिक की राशि से दस हजार से अधिक कलाकारों को घर बैठे आर्थिक सहायता पंहुचाई थी l मुझे यह बताते हुए हर्ष है कि हमने वर्तमान नयी सरकार के गठन से पूर्व अपने अल्प कार्यकाल में अकादमी के माध्यम से प्रदेश में नए व समृद्ध सांस्कृतिक वातावरण के निर्माण का प्रयास किया था l जिसमें अनेक नवाचारों के साथ अकादमी ने गांव कस्बे के जमीनी कलाकारों को जोड़ने के प्रयास किये तथा कला हितेषी मुख्यमंत्री के प्रोत्साहन से अपेक्षा से अधिक योजनायें व धन सरकार से लाने में कामयाब हुए l
भाजपा सरकार ने अकादमी की गतिविधियों को आगे नहीं बढ़ाया
मालू ने कहा कि हमने अकादमी में लंबे समय बाद कलाकारों के मानदेय व प्रदर्शन फीस में पचीस फीसदी से अधिक वृद्धि तथा कार्यक्रमों की संख्या में व्यापक बढ़ोतरी की। साथ ही बंद पड़ी रंगयोग पत्रिका का प्रकाशन, लुप्त हो रही कला विधाओं की ऑडियो वीडियो रिकार्डिंग, मासिक नाट्य योजना, मासिक संगीत सभा, बाल प्रतिभा प्रतियोगिताएं, कार्यशालाएं व प्रशिक्षण, सेमिनार, संगोष्ठियों सहित सम्मान व पुरुस्कार योजनाओं को पुन: प्रारम्भ किया l नवाचार करते हुए हमने पहली बार अंतराष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन जोधपुर में किया, जयपुर में पांच हजार लोक कलाकारों का विशाल कला समागम किया, प्रदेश की विविध विधाओं से जुड़े कलाकारों के बारे में विश्व फलक पर जानकारी व उन्हें प्रदर्शन के अधिक अवसर उपलब्ध कराने की दृष्टि से ऑनलाइन कलाकार सूचना संग्रहण योजना प्रारंभ की, लोकानुरंजन मेले को विशालता देते हुए इसे पहली बार अशोक उद्यान में भव्य रूप से आयोजित किया, जिसको देश विदेश के लगभग एक लाख दर्शकों ने आनंद उठाया, राज्य में लुप्त हो रहे लोकवाध्य के संरक्षण हेतु पारम्परिक कारीगरों के साथ युवा लोगों के साथ निर्माण की कार्यशाला, मंच पार्श्व तकनीक कार्यशाला, लेखक-निर्देशक कार्यशाला व नाट्य लेखन प्रतियोगिता का पहली बार वृहद् स्तर पर आयोजन किया गया l
हमने 480 दिन के कार्यकाल में 32 हजार कलाकारों को अवसर प्रदान किए
मालू ने कहा कि मुझे गर्व है कि हमने अपने 480 दिन के कार्यकाल में प्रदेशभर में 639 कार्य प्रदर्शन करते हुए 24 करोड़ 30 लाख रुपयों की स्वीकृति से लगभग 32 हजार कलाकारों को अवसर प्रदान किये, जो अपने आप में अभी तक का एक रिकॉर्ड है।
अकादमी संचालित पश्चिमी राजस्थान का एक मात्र प्रदर्शन योग्य प्रेक्षागृह जयनारायण व्यास टाउनहाल को मुख्यमंत्री गहलोत ने साढ़े ग्यारह करोड़ रुपयों की राशि स्वीकृत कर इसका विस्तार व आधुनिकीकरण करवाया था, लेकिन सरकार बदलते ही इसके शेष कार्य अधूरे छोड़ दिए गए हैं, जिससे आयोजकों व कलाकारों को अनेक असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है l हमारे द्वारा अनेक कलाकारों को स्वीकृति के बाद भी वाध्य योजना की धन राशि का भुगतान नहीं किया गया है l अभी सितम्बर माह में एक मात्र निम्न स्तरीय आयोजन ओमशिवपुरी राष्ट्रीय नाट्य समारोह उसके सभी नाटक क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों द्वारा ही प्रायोजित थे, अकादमी ने तो आमंत्रण पत्र व पोस्टर तक नहीं बनवाया l
कला-संस्कृति के उन्नयन की योजनाएं कार्यक्रम बंद हो गए
मुझे अत्यंत पीड़ा के साथ कहना पड़ रहा है कि वर्तमान में उपरोक्त कला संस्कृति के उन्नयन की सभी महत्वपूर्ण योजनायें व कार्यक्रम बंद हो गए हैं, जिससे राज्य का सृजनधर्मी अपने आपको असहाय व ठगा हुआ महसूस कर रहा है, साथ ही प्रदेश के कलाप्रेमी दर्शक भी विविध कार्यक्रमों से वंचित हो गए हैं l दुर्भाग्य है कि आज अकादमी में न नियमित अध्यक्ष है और न हीं कोई पूर्णकालिक सचिव, जो राज्य की कला संस्कृति के बारे में सोच सके l लगता है इस बार अकादमी का पूरा बजट ही लेप्स हो जायेगा, यदि ऐसा होता है तो यह राज्य के कलाकारों के साथ अन्याय व अपराध होगा l मेरा मानना है कि किसी भी सरकार को कला साहित्य संस्कृति जैसे विषयों को राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, क्योंकि ये जीवन व अभिव्यक्ति के आवश्यक सरोकार है। मेरा राज्य के मुख्यमंत्री से आग्रह है कि संस्कृति हित में अविलम्ब अकादमी बोर्ड का गठन करते हुए उन्हें पर्याप्त बजट प्रदान करे, जिससे प्रदेश के संगीत नृत्य नाटकों व लोक कलाकारों को प्रभावी प्रदर्शन के अवसर प्राप्त हो सके साथ ही कला संवर्धन तथा संरक्षण के रुके हुए अनन्य कार्यों को आगे बढाया जा सके l