वैज्ञानिक बोले- ट्राइकोडर्मा हरजियेनम जैविक खेती का प्रभावी बिन्दु है
सोहनलाल वैष्णव. बोरुन्दा (जोधपुर)
कृषि-उद्यान विभाग ने रबी मशाला जीरा फसल की उन्नत खेती की तकनीकी में उन्नत किस्म के बीज, बीजोपचार, भूमि उपचार, बुवाई पूर्व संतुलित मात्रा में खाद व उर्वरक, फसल चक्र पद्धति की उपयोगी जानकारी किसानों को दी।
सहायक कृषि अधिकारी रफीक अहमद कुरैशी ने खेत में किसानों से विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि जीरा फसल की उन्नत खेती में बीज उपचार कार्य करना महत्वपूर्ण होता है। फसल में विभिन्न रोग का नियंत्रण के लिए बीजोपचार पद्धति को प्राथमिकता से किया जाए तो बीज, भूमि जनित उत्पन्न कई रोग से फसल का बचाव होता है। बीजोपचार में ट्राइकोडर्मा हरजियेनम से बीज उपचार, भूमि उपचार करने को लेकर विस्तार से किसानों को जानकारी दी।
पूर्व सहायक कृषि अधिकारी एवं किसान भीकाराम डांगा ने कहा कि वह ट्राइकोडर्मा का उपयोग करते हैं इसलिए विशेषकर जीरा फसल में इसका अच्छा लाभ मिला।ट्राइकोडर्मा से बीजोपचार से जीरा फसल में रोग की सम्भावना काफी हद तक कम हो जाती है।इस मौके पर कई किसान उपस्थित थे।
इनका कहना है
दस ग्राम ट्राइकोडर्मा हरजियेनम प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचार किया जाता है। ढा़ई किलोग्राम ट्राइकोडर्मा हरजियेनम +एक सौ किलोग्राम गोबर की खाद में निर्धारित पद्धति से मिलाकर प्रति हेक्टर की दर से भूमि उपचार किया जाता है। इसी दर से खड़ी फसल में भी उपयोग से विभिन्न रोग से निजात पाने में सहायक होगा। ट्राइकोडर्मा हरजियेनम एक सौ पच्चीस रूपये प्रति किलोग्राम की दर से एटीसी केन्द्र रामपुरा पर उपलब्ध है। जीरा फसल में उखटा व जड़ के रोग के लिए बहुत ही उपयोगी है ट्राइकोडर्मा हरजियेनम। यह जैविक खेतीं का भी प्रभावी बिन्दु है।
–बंशीधर रेगर, पौध रोग विशेषज्ञ-आईपीएम, एटीसी रामपुरा।
विशेषकर जीरा फसल में बीजोंपचार करना निहायत जरूरी है। इस वर्ष जिले में 92000 हेक्टर में जीरा मशाला फसल की बुवाई का लक्ष्य है। ध्यान योग्य महत्वपूर्ण बिन्दु है रबी की सभी फसलों में बुवाई पूर्व बेसलडोज में तीन बैग एस एस पी उर्वरक के साथ एक बैग यूरिया उर्वरक का अनुपात में मिलाकर भूमि में उपयोग से फसल उपज का निश्चित रूप से अच्छा लाभ होगा।
–बी.के. द्धिवेदी, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार जिला परिषद जोधपुर।