(आज ही के दिन 1949 में जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट की स्थापना हुई थी। इस बात को 75 साल हो गए। पौन शताब्दी हो गई और समय के साथ न्याय ने अपने को पोषित किया। न्याय की यात्रा कभी खत्म नहीं होने वाली यात्रा है। इस यात्रा का एक पड़ाव रहे हैं पूर्व न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास। उन्होंने अपने समय को शिद्दत के साथ जिया और समय के शिलालेख पर अपनी अमित छाप छोड़ी। राजस्थान उच्च न्यायालय की प्लेटिनम जुबली पर उन्होंने अपने मन के भाव कविता के माध्यम से अभिव्यक्त किए हैं। साथ ही पूर्व न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, वर्तमान मुख्य न्यायाधीश, भ्राता न्यायाधीशों को शुभकामना देते हुए जनता को भी शुभकामनाएं दी हैं और मन से आशीर्वाद दिया है। यहां प्रस्तुत है उनकी यह कविता।)
न्याय यात्रा…
पचहत्तर वर्षों की यात्रा में
न्याय मार्ग प्रशस्त किया,
निष्पक्षता और न्यायतंत्र से
जनतंत्र को मजबूत किया,
राज्य की न्यायपालिका ने
अधिकारों को रक्षित किया,
न्याय का परचम फैलाकर
संविधान का सम्मान किया,
गरिमा को बनाये रखते हुए
प्रजा को बड़ा विश्वास दिया,
अधिवक्ताओं ने मेहनत करके
न्याय का मार्ग संचित किया,
सादगी और सरलता रखकर
न्याय का मंदिर बना दिया,
सशक्त दलीलों की शक्ति से
दुखियों को न्याय दिला दिया,
नियमों की व्याख्या करके
न्यायाधीशों ने उपचार किया,
अपराध करने वालोँ के लिए
दण्ड देने का पूरा प्रयास किया,
पचहत्तर वर्ष के न्याय वृक्ष को
विद्वानों ने कर्म से सींचा है,
अपनी पूरी क्षमता दिखा कर
संविधान को गीता ही माना है,
वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने हमको
संस्कारों से सिंचित किया है,
न्यायाधीशों ने अपनी क्षमता से
न्याय का परचम फैला दिया,
प्लेटिनम जुबली कार्यक्रम में
अभिवादन हमारा मन से किया,
आभा गरिमा देखकर उसकी
हम सबका हृदय भी खिल उठा
ऊर्जावान इस पीढ़ी को देखकर
हम आशीर्वाद हृदय से देते हैं,
सबके उज्ज्वल भविष्य के लिए
हम भगवान से प्रार्थना करते हैं।
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