शिव वर्मा. जोधपुर
सिख रेजिमेंट के 76 वर्षीय गौरव सेनानी ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया, जो पिछले वर्ष इन्फैंट्री दिवस पर 1 लाख कदम चले थे, वे इस वर्ष इन्फैंट्री दिवस 2024 के उपलक्ष में जयपुर में 1.25 लाख कदम चलेंगे। उनका सवा लाख कदम चलने का यह प्रयास गुरु गोविंद सिंह जी के महाकाव्य और सिख रेजिमेंट की परंपरा “सवा लाख से एक लडाऊ” से प्रेरित है।
‘आगे कदम’ स्लोगन के साथ वे दिन भर लगभग 17 घंटे वॉक करेंगे और जवानों के देश के प्रति समर्पण और त्याग को अपने अंदाज में सम्मान देंगे। इस वॉक की शुरुआत ब्रिगेडियर गुलिया 26 अक्टूबर को मध्यरात्रि 12 बजते ही वैशाली नगर की महादेव नगर कॉलोनी स्थित अपने घर से करेंगे।
ब्रिगेडियर कुलदीप 7 से 8 किमी प्रति घंटे की स्पीड से सवा लाख कदमों की पदयात्रा करेंगे। रात 12 बजे से पैदल चलते हुए लगातार घर के आसपास पदयात्रा करेंगे। उसके बाद प्रातः विजय द्वार स्थित सिख बटालियन के गुरुद्वारे में माथा टेकते हुए मिलिट्री एरिया के वॉर मेमोरियल में शहीदों को सलामी देंगे। दोपहर 11 बजे से 4 बजे तक अपनी वॉक ग्रास फार्म नर्सरी पार्क, खातीपुरा में करेंगे। फिर विजय द्वार स्थित गांडीव स्टेडियम पहुंचेंगे और अपनी वॉक का अंतिम चरण पूरा करेंगे। यहां कुछ देर सैनिकों के साथ वार्ता के बाद आदित्य विहार महादेव नगर पार्क अपने गृह स्थान को प्रस्थान करेंगे। इस दौरान सिख रेजीमेंट के 10 से 15 जवानों का दस्ता भी इनके साथ लगातार पैदल का हिस्सा होंगे, जो कुछ किमी के बाद बदलते रहेंगे। इनके साथ पुत्रवधू सोनिया, भतीजे रजनीश एवं अन्य परिजन भी होंगे।
रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह ने पिछले साल 2023 में इन्फेंट्री दिवस पर एक लाख कदम चलने का लक्ष्य निर्धारित किया था, परन्तु शाम 6 बजे तक ही उन्होंने एक लाख 15 हजार स्टेप्स लगभग 104 किलोमीटर का लक्ष्य पूरा कर लिया था। बीते 10 सालों में अरावली की पहाड़ियों पर बने जयगढ़, नाहरगढ़ व जैन मंदिर जैसे सभी क्षेत्रों को अकेले पैदल चलकर कवर कर चुके हैं। अपने कदमों से वे जयपुर का हर कोना नाप चुके हैं।
चौथी जनरेशन के फौजी रहे कुलदीप सिंह गुलिया, मूल रूप से जयपुर से हैं। अपनी 108 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के दो ही दिन बाद 28 अक्टूबर को कुलदीप 76 वर्ष के होने जा रहे हैं। उन्होंने मिलिट्री स्कूल अजमेर से पढ़ाई पूरी की। 1972 में कमीशन हुए ब्रिगेडियर गुलिया ने गांधी नगर में एक इन्फेंट्री ब्रिगेड 4 सिख की कमान संभाली थी और वे बरेली में माउंटेन डिवीजन के डिप्टी जीओसी थे। उन्होंने जयपुर और सरिस्का के आसपास की लगभग सभी पहाड़ियों और किलों का पता लगाया है, 70 साल की उम्र के बाद कई मौकों पर एक ही दिन में 60-70 किलोमीटर से अधिक की ट्रैकिंग करते हुए पूरे भारतीय हिमालयी राज्य में ट्रैकिंग की है। ब्रिगेडियर गुलिया ने ‘सिक्किम की मानव पारिस्थितिकी’ (पीएचडी थीसिस के रूप में भी काम किया), ‘आपदाओं की उत्पत्ति’ (2001 में गुजरात भूकंप के मद्देनजर, और पुनर्वास कार्य) जैसी किताबें लिखी हैं और ‘हिमालयन अध्ययनों का विश्वकोश’ के 15 खंडों और ‘मानव पारिस्थितिकी का विश्वकोश’ के 5 खंडों में योगदान दिया है।