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Saturday, January 4, 2025, 4:20 pm

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रंगप्रेमियों तैयार हो जाइए 3 से 5 जनवरी को जोधपुर में तीन बेहतरीन नाटक मंचित हो रहे हैं

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शिव वर्मा. जोधपुर

जोधपुर का टाउन हॉल रेपर्टरी कंपनी, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के एक साथ तीन नाटकों के प्रदर्शन का गवाह बनेगा। जिन तीन नाटकों का मंचन किया जाएगा, वे भारतीय रंगमंच के बेहतरीन प्रस्तुतियां हैं, प्रत्येक नाटक में दर्शकों को मनोरंजन के साथ साथ कला की गहरी समझ और संवेदनशीलता का अहसास होगा। मौका होगा राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से एनएसडी द्वारा आयोजित ‘हीरक जयंती राष्ट्रीय नाट्य समारोह’ का। समारोह 3 से 5 जनवरी, 2025 तक चलेगा। इन नाटकों का प्रदर्शन टाऊन हॉल के मुख्य सभागार में शाम 7:00 बजे से होगा। गौरतलब है कि एनएसडी इस साल अपनी 60वीं वर्षगांठ ‘रंग षष्ठि’ के रूप में मना रहा है। इसके तहत देश के अलग-अलग शहरों में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के रेपर्टरी कंपनी के नाटकों का मंचन किया जा रहा है। इसी क्रम में जोधपुर में क्रमशः 3 दिन 3 नाटकों का मंचन किया जाएगा ।

3 जनवरी: नाटक ‘बंद गली का आखिरी मकान’
लेखक – धर्मवीर भारती
निर्देशकदेवेन्द्र राज अंकुर

“बंद गली का आखिरी मकान’ देवेंद्र राज अंकूर द्वारा निर्देशित एक महत्वपूर्ण हिंदी नाटक है जिसे कहानी के रंगमंच के स्वरूप में प्रस्तुत किया जाएगा । नाटक का नाम इस बात का प्रतीक है कि कहानी एक ऐसे स्थान या स्थिति का चित्रण करती है, जहां कोई रास्ता नहीं है और जहां व्यक्ति या पात्र अपनी समस्याओं और संघर्षों से बाहर निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं पा रहे हैं। इस नाटक में विभिन्न सामाजिक, मानसिक और व्यक्तिगत पहलुओं को दर्शाया गया है, जो दर्शकों को गहरे विचार और भावनाओं के साथ जोड़ता है।

4 जनवरी: नाटक ‘माई री मैं का से कहूँ’
लेखक – विजय दान देथा
निर्देशक – अजय कुमार

विजयदान देथा लिखित कहानी “दुविधा” (माई री मैं का से कहूँ ) स्त्री की इच्छा और उसकी भावनाओं तथा सामाजिक मर्यादा के बीच द्वंद्धकी कथा है। आज के इस प्रगतिशील समाज के सामने, जो की स्त्रीयों को पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलकर चलने और सामान अधिकार प्रदान करने की बात करता है। सबसे बड़ी विषमता या विडम्बना, को लेखक के शब्दों में कुछ यूँ सामने रखता है- “लुगाई की अपनीमर्ज़ी होती ही कहां है, मसान ना पहुंचे तब तक मेढ़ी और मेढ़ी से सीधी मसान’।

5 जनवरी: नाटक ‘बाबूजी’ संगीतमय प्रस्तुति

मिथिलेश्वर जी कहानी पर आधारित श्री विभांशु वैभव द्वारा नाट्य रूपांतरित बाबूजी जिसका संगीत प्रसिद्ध निर्देशक आदरणीय श्री बी वी कारंथ द्वारा अभिकल्पित किया गया है।

बाबूजी… नाटक” एक संगीतमय नाट्य प्रस्तुति है, जिसे राजेश सिंह ने निर्देशित किया है। यह नाटक भारतीय समाज और परिवारों में रिश्तों, भावनाओं और संघर्षों को बेहद गहराई से पेश करता है। नाटक का केंद्रबिंदु एक पारंपरिक भारतीय परिवार और उसके भीतर हो रहे बदलावों को दर्शाता है। खासतौर पर यह नाटक एक पिता का उसके पत्नी और बच्चों के बीच के रिश्ते पर आधारित है, जिसमें परिवार के भीतर छिपी भावनाओं, तकरारों और समझौतों को उजागर किया जाता है।

इसके अलावा 3 दिन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रशिक्षकों द्वारा कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी जिसमें 3 जनवरी को शिव प्रसाद गोंड एवं सत्येंद्र मालिक द्वारा अभिनेता एवं उसका शरीर 4 जनवरी को श्री राजेश सिंह द्बारा अभिनेता आलेख से मंच तक एवं 5 जनवरी को श्री अभिषेक मुद्गल द्वारा मंच प्रबंधन विषयो पर कार्यशालाएं अकादमी परिसर में आयोजित की जाएंगी।अकादमी सचिव सरिता फिड़ौदा एवं रंगमण्डल प्रमुख श्री राजेश सिंह ने जोधपुर के सभी रंगकर्मियों को जुड़ने की अपील की है।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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