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जंगे आज़ादी में जैनियों का अमूल्य योगदान पर त्रिदिवसीय कार्यशाला का हुआ आगाज

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राखी पुरोहित. जोधपुर 

हर वर्ष की भांति इस वर्ष जैन समता वाहिनी एवं महावीर शासन स्थापना समारोह समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जंगे आज़ादी में जैन समाज के अमूल्य चिरस्मरणीय योगदान पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आगाज हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए जैन समता वाहिनी के राष्ट्रीय महासचिव सोहन मेहता ने कहा कि देश आज़ादी की आजादी का आगाज मुग़लों के युग से ही शुरू हुआ था, जिसमें महाराणा प्रताप के साथ जैन समाज के महानायक भामाशाह का त्याग रहा। वहीं 1857 में हुई क्रान्ति में धन व शस्त्र उपलब्ध करवाने के कारण ही अमीरचंद बांठिया व हुक्मीचंद कानूंगों को फांसी दी गई थी। इस अवसर पर महावीर शासन स्थापना समारोह समिति के राष्ट्रीय सचिव धनराज विनायकिया ने कहा कि गांधीजी से पचास वर्ष पहले जैन शिरोमणि वीर राघवचंद गांधी ने विदेश से राष्ट्रीय आज़ादी का शंखनाद फूंका था।

इस अवसर समिति के प्रचार मंत्री दीपक सिंघवी ने कहा कि आज़ादी के लिए अंग्रेज़ी के शासन के विरोध में अन्तरराष्ट्रीय रेडियो विदेश में स्थापित करने वाली उषा मेहता और आज़ादी का प्रतीक महान तिरंगा सबसे पहले प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को देश की सौ महान आज़ादी की वीरांगनाओं की ओर से नेतृत्व करते भेंट करने वाली हंसा मेहता ये जैन जगत की महान बेटियां थी। कार्यशाला समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन सिंघवी ने किया व मेहता तथा विनायकिया ने सभी का आभार जताया।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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