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Sunday, November 10, 2024, 7:03 am

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35-40 साल तक कांग्रेस में राजनीतिक सफर करने वाली शारदा चौधरी की संगीत यात्रा शुरू

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इंटरव्यू : शारदा चौधरी, पूर्व उपायक्ष, कांग्रेस पार्टी, जोधपुर

-शारदा चौधरी के पिता रेलवे में अधिकारी रह चुके हैं। जाट कम्युनिटी में पति ने सरपंच का चुनाव लड़ा और खुद शारदा चौधरी पार्षद का चुनाव लड़ चुकी है। सफलता बेशक नहीं मिली, पर निराश नहीं हुई। कांग्रेस में 15 साल तक महामंत्री और 17 साल तक उपाध्यक्ष रह चुकी शारदा चौधरी को बचपन से गाने का शौक रहा है और इन दिनों वह यूट्यूबर है और राजस्थानी लोकगीत और भजन गाती हैं। करीब करीब 35-40 साल के राजनीतिक सफर के बाद अब संगीत की यात्रा की ओर झुकाव। राइजिंग भास्कर के ग्रुप एडिटर डीके पुरोहित ने कुछ सवाल उन्हें वाट्सएप किए थे जिनके उन्होंने सिलसिलेवार जवाब दिए। उनकी स्पष्टवादिता से आज के नेता सीख ले सकते हैं। यहां उनके जवाब कॉपी पेस्ट कर लिखे जा रहे हैं। उनके जवाब से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई। 

(शारदा चौधरी जब गातीं है तो इस तरह हुजूम उमड़ पड़ता है। उनके चाहने वाले कम नहीं हैं।)

हमारे कुछ सवाल थे जो निम्न प्रकार है। उन्होंने सिलसिलेवार जवाब दिए जो सभी सवालों के आखिर में दिए जा रहे हैं।

प्रश्न : आपकी बतौर सामाजिक कार्यकर्ता या कहें राजनीति में पदार्पण कैसे हुआ? क्या पारिवारिक पृष्ठभूमि में कोई पहले से नेता है?
प्रश्न : क्या आपने कोई चुनाव लड़ा है? जैसे पार्षद, सरपंच या कोई अन्य या फिर पार्टी में बतौर पदाधिकारी ही सेवा देती आई हैं।
प्रश्न : कांग्रेस पार्टी में आप है यानी आप कांग्रेस का चेहरा है। कांग्रेस का आप क्या भविष्य देखती हैं? क्या जनता कांग्रेस को नकार चुकी है, या फिर से कांग्रेस खड़ी होगी?
प्रश्न : कोरोना काल में आपने वैक्सीन लगाने का सराहनीय कार्य किया था। यह प्रेरणा आपको कैसे मिली?
प्रश्न : हमें जानकारी मिली है कि आपने कोरोनाकाल में वैक्सीन लगाने के पैसे भी लिए और सीएमएचओ बलवंत मंडा से वैक्सीन मंगवाकर अपने घर पर भी लोगों के लगवाई। कृपया बताएं कि इस बात में सच्चाई है या नहीं? अगर नहीं तो घर पर वैक्सीन लगाने का कौनसा नियम था?
प्रश्न : समाजसेविका के रूप में आपने अब तक क्या महत्वपूर्ण कार्य किए? कृपया कुछ का उल्लेख करें।
प्रश्न : काफी दिनों से आप अपना यूट्यूब चैनल चला रही हैं और राजस्थानी लोकगीत, भजन आदि अपनी आवाज में डाल रही हैं। आपको गाने का शौक कब से है? क्या आप अब राजनीति छोड़कर गायन में मुकाब बनाना चाहती हैं?
प्रश्न : अपने यूट्यूब चैनल से आपको कितना रिस्पॉन्स मिल रहा है? आगे अपना क्या भविष्य देखती हैं?
प्रश्न : समाज में आए दिन महिलाओं से रेप हो रहे हैं। अब तो बच्चियों से भी रेप हो रहे हैं। बतौर कांग्रेस की जिम्मेदार पदाधिकारी होने के बावजूद आपने आवाज क्यों नहीं उठाई। इस मुद्दे पर आप खामोश क्यों रही?
प्रश्न : क्या भविष्य में कोई चुनाव लड़ने का इरादा है?

शारदा चौधरी के जवाब-

1995 में पार्षद का चुनाव लड़ा, जीत निश्चित थी, सामने वाली पार्टी ने फर्जी वोट डाल दिए

मैं अभी किसी पद पर नहीं हूं, जब से नए जिलाध्यक्ष बने। मैंने  1995 में पार्षद का चुनाव लड़ा था। मेरी जीत निश्चित थी। लेकिन बिल्कुल थोडे वोट से पीछे रही। सामने वाली पार्टी ने फर्जी वोट डाल दिए। मैंने एकदम पहली बार घर से बाहर कदम रखा। बच्चे छोटे थे। परिवार की जिम्मेदारी थी। पहले राजनीति में कम भाग लेती थी। मेरे पति ने संरपच का चुनाव लड़ा। उस टाइम मैं जोधपुर में थी। डिलेवरी हुई थी। इसलिए नहीं देखा। पीहर में पिताजी रेलवे में अधिकारी थे। तब उनको पूछते थे पापाजी वोट किसको देंगे तब कहते थे बेटा इंदिरा गांधी को दूंगा कांग्रेस को रेलवे में सभी हाथ के निशान पर वोट देते थे।

15 साल महामंत्री, 17 साल उपाध्यक्ष रहीं, ना किसी को पैसे दिए ना किसी से लिए

कांग्रेस में ब्लॉक उपाध्यक्ष, वार्ड अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। मैने निर्दलीय चुनाव लडा। बाद में वोट अच्छे आये तब गहलोत साहब ने बुलवाया कि आप कांग्रेस के लिए कार्य करें। उसके बाद सुरेश व्यास यूथ कांग्रेस अध्यक्ष थे। मुझे संयोजक बनाया। मेरी वजह पार्टी में महिलाएं ज्यादा आने लगी। मेरे काम को देख कर मुझे सचिव का पद मिला। फिर 15 साल महामन्त्री पद पर रहीं। 17 साल उपाध्यक्ष रहीं। शहर जिला कांग्रेस कमेटी जोधपुर में और मैंने कांग्रेस के लिए बहुत काम किया। निर्दलीय पार्षद तख्तसिंह भाटी को निर्दलीय जिता कर निगम में बोर्ड कांग्रेस का बनवाया। मैरे जितना कार्य किसी महिला ने नहीं किया। मैंने कभी भी किसी नेता से इलेक्शन में पैसा, गाड़ी कभीं नहीं लिया। मेरे घर से गाड़ी लेकर जाती थी। ना मैंने किसी को पेसे दिए ना ही कभी लिए। ये मेरा रिकॉर्ड है।

कांग्रेस को नकारना ये तो बिल्कुल नहीं हो सकता

कांग्रेस को नकारना, ये तो बिल्कुल नहीं हो सकता। पार्टी हमेशा नया चेहरा चाहती है। कांग्रेस का भविष्य उज्जवल है। जनता ने ठान लिया है राजस्थान में एक बार हाथ, एक बार कमल। काफी टाइम से यही चल रहा है।

हां मैंने बीमार, बुजुर्गों को घर पर वैक्सीन लगाई, पर पैसे नहीं लिए, यह मेरे खून में ही नहीं

वैक्सीन कैम्प दो बार कोरोना काल में लगाए। गणेशपुरा टीम के साथ 25 दिन तक खाना वितरण किया। पैदल आने वाले जरूरतमंद लोगों को काफी मदद पहुंचाई। उसमें भी हमने पैसे किसी से नहीं लिए। सामान लोग पहुंचाते थे। सभी की मदद से। दोबारा कोरोना आया तब 200 पलंग बिस्तर पैसैंट के लिए खाने की व्यवस्था की, लेकिन पैसैंट बढ़े नही थे तब जरूरत नहीं पडी। अजय त्रिवेदी साथ थे। खर्चा सभी मेरा था। उसके बाद मेरे कार्य को देखकर पुलिस अधिकारियों ने कहा कि पुलिस लाइन में कैम्प लगाएं। मैंने गीता बरवड़ से बात की। तब वे बोलीं कि आप लगाओ, वैक्सीन की व्यवस्था मैं कर दूूंगी। तब मैंने मेरे खुद के खर्चे से टैंट कुर्सियां कैम्पर पानी की व्यवस्था की। सेवादल के सचिव ओमप्रकाश परिहार ने कोरोना में सहयोग किया। अपना पूरा टाइम उस वक्त दिया। वैक्सीन की जरूरत पड़ती तो कभी गीता कौशिक को कॉल करते।  मैं मंडा साहब से कहती थी जब वैक्सीन कम पडती। तब उस कैम्प में पुलिस अधिकारी और सभी थाने के पुलिस कर्मी उनकी फैमैली पुलिस लाइन फिर आस पास एरिये से भी लोग आ जाते थे। सभी को वैक्सीन का फायदा मिला। उस वक्त सभी को पता है कि वैक्सीन बड़े ही टाइट होकर देते थे सीएमएचओ। रही बात मेरे घर की तो उस टाईम थोडी कम वैक्सीन देने लगे तो कुछ बीमार पैसेंट, बुजुर्ग, महिलाएं जो भीड में नहीं आ सकीं उनको एक बार मेरे घर पर वैक्सीन लगाई थी। दस या पन्द्रह लोगों को लगी होगी। वैक्सीन के पैसे लेने की बात झूठी है। एक भी बंदा कह दे पैसे लेते देखा गया। ये मेरे खून में ही नहीं है। मुझे राजस्थान जाट महासभा का जिलाध्यक्ष बनाया, तब मैंने हॉस्पिटल में चार बार कम्बल कुर्सियां व्हीलचेयर भेंट की। दो बार मथुरादास हॉस्पिटल में और दो बार उम्मेद हॉस्पिटल मे ठंडे पानी की मशीनें भी भेंट की। पावटा हॉस्पीटल मे मेरी तरफ से लगी है। बाकी जाट ग्रुप मिल कर लगाते हैं।

बच्चियों-महिलाओं के साथ रेप गलत, एक बार आवाज उठती है, फिर दब जाती है

मैं जब कांग्रेस के पद पर थी, तब बनाड रोड पर एक बच्ची के साथ रेप हुआ था। जयपुर टीम आई तब मैं और शुभलक्ष्मी जी कांग्रेस की नेता और जयपुर की टीम दो दिन तक इन्क्वायरी कर जयपुर रिपोर्ट भेजी थी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी में। वैसे संगठन काफी लगे रहते हैं। हम भी सोशल मीडिया पर मैसेज करते हैं। बच्चियों के साथ रेप होना गलत है। एक बार आवाज उठती है फिर दब जाती है। हमने कांग्रेस में काफी आवाज उठाई थी।

अब कांग्रेस में काम करने की बिलकुल इच्छा नहीं, बाकी भाग्य में लिखा वो होगा

मुझे भजनों का शौक बचपन से ही था, इसलिए सब्जेक्ट मेरा म्यूजिक था…

अब आपने पूछा कहा से सीखा- छोटी छोटी सेवाएं देते थे। सक्षम थे। एक दिन एक महिला बोली मेरी बेटी की शादी के लिए पैसे नहीं हैं। मैंने मोहल्ले वासियों से बात की और मेरे फ्रैंड सर्किल में बात की। तब सभी ने एक एक आइटम दे दिए । उसके बाद एक और बच्ची की शादी की। मुझे भजनों का शौक बचपन से ही था। इसलिए सब्जेक्ट मेरा म्यूजिक था। कृष्ण मंदिर में खडी सप्ताह होती थी। मोहल्ले में फ्रैंड सर्किल में रोज रोज  गाते गाना सीख गई। बाकी सब्जेक्ट म्यूजिक था। तब मुझे दिक्कत नहीं आई। बाद में धीरे धीरे कृष्ण मंदिर में खडी सप्ताह में सात आठ घंटे तक भजन गा लेती थी। फिर एक साल पहले मुझे इन्द्रा ढावसी कलाकार मेरे मिलने वाले आए। तब उनके ऑफिस में जाकर दस भजन बन्ना बन्नी गाये। फिर इस लाइन में आते ही पता चल गया।  अभी पीपाड़ महादेव स्टूडियो में गा रही हूं। ये मेरा शौक था। कमाने का कोई लालच नहीं है। राजनीति में अशोक गहलोत साहब ने चुनाव लडने के बाद पार्टी में जुडने के लिया कहा तो पहला श्रेय उनको जाता है। राजस्थान जाट सभा की प्रदेशाध्यक्ष हूं। राजाराम मील साहब ने मुझे मेरा काम देख कर चार साल में ही जोधपुर जिलाध्यक्ष से प्रदेशाध्यक्ष बनाया। मुझे कांग्रेस व समाज में किसी सिफारिश से नहीं मेरे काम से पद मिला है। बस कांग्रेस पार्टी ने ये पद दिए। बस मैंने जैतारण से टिकट मांगा था नहीं दिया। ये सब मेरी किस्मत में नहीं था। मैं किसी को दोष नहीं देती। है भाग्य में जो लिखा होता वही। यहां मेरा सफर खत्म। कांग्रेस ने कभी भी मेरा पर्सनल काम नहीं किया। एक भी नेता नहीं कह सकता शारदा चौधरी का ये कार्य किया। ये सफर रहा। अब बिल्कुल इच्छा नहीं है कांग्रेस में काम करने की। फिर आगे जो भाग्य में लिखा होगा वो होगा।

 

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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