आलेख : नाचीज बीकानेरी
सदियों से हम बुजुर्गों का मान सम्मान करते आए हैं, बुजुर्गों के परामर्श से घर, परिवार, समाज के सभी काम परंपरा से करते आ रहे हैं। आज के दौर व पहले के दौर में परिवर्तन हो गया है। बहुत सी प्रचलित मान्यताएं खत्म होने लगी है। ऐसे में घर परिवार समाज में कोई बात थोपी नहीं जा सकती। आज सब के विचार से सहमत होना होता है। आज राजनीति, व्यापार, सामाजिक संगठन में युवाओं को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है क्योंकि उनकी ऊर्जा से कार्य कुशलता से सार्थक परिणाम की संभावना रहती है ।
मेरा मानना है कि समाज में युवा शक्ति को तैयार करना है तो उनको feed करना चाहिए, इसके लिए अपने आपको जिम्मेदार समझते हुए हमे समाज में छोटे छोटे कार्यक्रम, गोष्ठियां, वैचारिक स्तर पर मीटिंग, सम्मेलन, किसी प्रतिभा की वार्ता, किसी विभाग की योजना के कार्यक्रम की जानकारी का आयोजन, खेल, शिक्षा , स्वास्थ्य, उद्योग जगत पे परिचर्चा,सेवा शिविर , विभिन्न आऊट डोर इनडोर प्रतियोगिताएं, प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बन्धित जानकारी, धार्मिक, राजनैतिक सामाजिक, सांस्कृतिक G K , क्विज, लिखित परीक्षा आयोजित करना प्रतिभाओं का सम्मान, पोधार्पण, राष्ट्रीय कार्यक्रम, साक्षरता, स्कूल चलो आदि विभिन्न क्षेत्रों में छोटे छोटे स्तर पर ही सही, ये जरुरी नहीं की बड़े स्तर पर करें क्योंकि ज्यादा खर्चीले से परहेज करें। अपने गांव , गली ,शहर आदि स्तर पर स्नेह मिलन के अवसर होते हैं ।
उपरोक्त क्षेत्र में कार्यक्रम करने से आपसी संवाद,स्नेह ,मिलन, जानकारियां, परिचय, आपसी सौहार्द, कुछ नया सीखने को मिलता है बुजुर्गों के अनुभव, युवाओं का बढ़ती सोच , डेवलपमेंट ऐसे आयोजनों से कुछ समाज में चेतना का संचार होता है नए विचारों , रिश्तों को मजबूती प्रदान होती है।समाज के लोगों में जो आपसी दूरियां हैं वे नजदीकी मे बदलती है साथ ही स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के अवसर विकसित होते हैं। साथ में एक हिदायत भी है बुजुर्गों को इग्नोर न करें उनका भी मान सम्मान करें एक अक्टूबर को ” वृद्ध दिवस ” ऐसे बहुत से दिवस आते हैं जिन पर वृद्ध लोगों के लिए कार्यक्रम किए जा सकते हैं। समाज में बुजुर्गो व युवाओं को एक राय होकर कोई काम किया जाएगा तो उसमें सफलता निश्चित है।