(मारवाड़ के परंपरागत त्योहारों पर पूर्व जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास कविताएं लिखते रहे हैं। इसी कड़ी में कजली तीज पर उनके द्वारा लिखी प्रासंगिक कविता पाठकों के लिए पेश है।)
कजली तीज माता का प्यार
आया तीज का त्योहार
सुहागन करती है शृंगार,
कजली मां की पूजा कर
लेती आशीर्वाद, बारम्बार,
भूखी प्यासी रहकर वो
व्रत रखती बहनों के साथ,
जब तक चंंदा नहीं उगता
करती उनका भी इंतजार,
तीज के दिन झूला झूलकर
पानी पीती सिर्फ एक बार,
दर्शन चांद का किये बिना
नहीं खाती दाना फलाहार,
बदली छाने से कभी कभी
दर्शन होते नहीं तत्काल,
पति की लम्बी आयु होगी
यह रहता मन में विश्वास,
उनकी इस त्याग तपस्या से
अंकुरित होते जाते संस्कार,
तीज मां की कृपा से मिलता
सुखी रहने का हर अधिकार,
हमारी उजली संस्कृति में
त्योहारों से बढ़ता है प्यार,
जीवन सुखी करने के लिए
हम देते रहते सबको उपहार।
000