Explore

Search
Close this search box.

Search

Saturday, November 9, 2024, 9:40 pm

Saturday, November 9, 2024, 9:40 pm

Search
Close this search box.
LATEST NEWS
Lifestyle

दुनिया का बनकर देख लिया अब खुदकर बनकर देखें : साध्वी काव्ययशा

Share This Post

पर्युषण पर्व का 5वां दिन : साध्वियों के सान्निध्य में साधक ले रहे जीवन उपयोगी ज्ञान

शिव वर्मा. जोधपुर 

कमला नेहरू नगर प्रथम विस्तार, आचार्य श्री नानेश मार्ग स्थित समता भवन में पर्युषण के पांचवे दिवस पर पर्यायज्येष्ठा साध्वी चन्द्रकला के सान्निध्य में शासन दीपिका काव्ययशाश्री ने कहा कि दुनिया का बनकर देख लिया, अब खुद का बनकर देखें। खुद का बनने के लिए संयम का मार्ग अपनाना पड़ेगा। संयम मार्ग का आनंद बेमिसाल है। धन, दौलत बहुत थी, फिर भी सुखी नहीं हो पाये।सांसारिक जीवन त्याग कर हम साधु जीवन अपनाएं। हमने द्वेष और हिंसा में सारी जिंदगी निकाल दी, अब प्रेम से परिपूर्ण साधु जीवन को अपनाएं। गुरूजनों का भी कहना है कि सच्चा सुख संयम में है। फूलों की खुशबू तो कुछ समय तक रहती है, परन्तु संयम की खुशबू जन्म जन्मांतर तक रहती है। संयम के माध्यम से इन्द्रियों पर नियंत्रण करके ही हमें सच्चे सुख की प्राप्ति हो सकेगी।जीवन का सार संयम लेने में ही है।

प्रवचन के पश्चात्‌ उक्त अवसर पर 7 अक्टूबर,2024 को आचार्य रामेश के सान्निध्य में भीलवाड़ा में दीक्षा लेने जा रही भुनगरा गांव ,शेरगढ़ तहसील, जोधपुर हाल अटरिया रोड, छत्तीसगढ़ निवासी मुमुक्षु काजल नाहटा अपने माता-पिता प्रमिला, दिलीप नाहटा एवं परिवार जनों के साथ उपस्थित हुईं। श्री साधुमार्गी जैन संघ ,जोधपुर के पूर्व अध्यक्ष नेमिचंद पारख, राष्ट्रीय मंत्री तनसुख जैन, पूर्व राष्ट्रीय मंत्री गुलाब चौपड़ा, महामंत्री सुरेश सांखला, महिला मंडल अध्यक्ष मंजू चौपड़ा, युवा संघ अध्यक्ष रमेश मालू एवं उपस्थित अन्य सदस्यों द्वारा वैरागी काजल और उनके माता-पिता, भाई, बहन, बड़ी माँ ,परिवारजन का तिलक, रोली, कुंकुम, चादर, माला द्वारा स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। यह भी एक संयोग ही रहा कि उसी 7 तारीख को दीक्षा लेने वाली केतु, शेरगढ़ निवासी मुमुक्षु करुणा गुलेच्छा उपस्थित थीं। उनका भी स्वागत किया गया।

अपने उद्बोधन में मुमुक्षु काजल ने कहा कि नीव के बिना मंजिल की कल्पना असम्भव है, उसी प्रकार गुरु के बिना ज्ञान को हासिल करना असंभव है। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नही जिसमें गुण और अवगुण नहीं, हम दूसरों के गुणों को और अपने अंदर रहे हुए दुर्गुणों को देखें। दूसरों के अवगुणों को देखने पर हमारी आत्मा और भी धूल धूसरित हो जाएगी। मुमुक्षु करुणा गुलेच्छा ने वैराग्य मार्ग चुनने पर काजल का धन्यवाद ज्ञापित किया।

वहीँ पावटा बी रोड स्थित राजपूत सभा भवन में पर्याय ज्येष्ठा साध्वी प्रभातश्री के सान्निध्य में शासन दीपिका वरणश्री.ने फरमाया कि संयमी धन के सामने सभी धन पीछे है।संयम जीवन सार है, बाकी सब बेकार है। पर्युषण पर्व शान्ति प्रदान करने वाला है।कोई भी समय, कोई भी घड़ी,कोई भी घटना,कोई भी प्रसंग अशान्ति देने वाला नहीं है। अशान्ति हमारे अन्दर रहे हुए कसाय और आसक्ति के कारण होती है। कोई भी क्षण, कोई भी पल ऐसी स्थिति में हमें अशान्त कर सकते हैं। कहने का तात्पर्य है कि प्रत्येक दिवस हमारे लिए शान्ति प्रदान करने लायक है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम कौन सा मार्ग चुनना चाहते हैं शान्ति का या अशान्ति का। दूरदृष्टि वाला व्यक्ति भावों को जानने वाला होता है। भावों का उपयोग करने वाला होता है। सिनेमा हॉल में पिक्चर देखने की बजाय हम अपनी स्वयं की पिक्चर देखें। कर्मो के कारण हमारे द्वन्द्व पैदा होते हैं। हमारे भीतर रहे हुए कर्मों को निकलने दें और यह ध्यान रखें कि नए सिरे से कर्मों का उपार्जन न हो । कर्मों की निर्जरा और हमारे शुभ विचारों से ही हमें सम्यकत्व की प्राप्ति होती है। साध्वी जयामिश्री ने साधुमार्गी जैन परम्परा के सातवें आचार्य गणेशीलाल का जीवन परिचय बताया । साध्वी शाश्वतश्री ने प्रवचन के प्रारम्भ में अन्तगढ़ सूत्र का वाचन किया। आज का धार्मिक दिवस चौविहार दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। त्याग प्रत्याख्यान में अशोक पारख और किशोर बोहरा ने 6 उपवास,रमेश मालू, गौतम गुलेच्छा,जसराज गुलेच्छा ने 5 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किये । सौरभ बुरड़ का 8 दिवसीय नीवि तप गतिमान है। 3,5 और 8 उपवास के कई प्रत्याख्यान गुप्त रूप से भी चल रहे हैं। आज 5 सितम्बर, गुरुवार को सामुहिक रूप से 11 सामायिक,7 सामायिक, 5 सामायिक का आयोजन रखा गया है। नवकार महामंत्र का जाप दोनों जगह निरन्तर रूप से चल रहा है। प्रवचन का समय दोनों ही स्थलों पर  प्रात: 8.45 बजे का रखा गया है। दोनों ही स्थलों पर पुरुषों एवं महिलाओं के लिए प्रतिकमण की  व्यवस्था भी रखी गई है। पर्युषण पर्व के दौरान श्रावक, श्राविकाओं द्वारा सामायिक, प्रतिकमण, एकासन,आयम्बिल,उपवास, बेला, तेला,अठाई,दया भाव, दया व्रत,धार्मिक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम, कल्पसूत्र  आदि का श्रवण एवं अनेकों तप,त्याग एवं धर्म आराधना के कार्य किए जा रहे हैं। प्रतिदिन  प्रवचन  के पश्चात्‌ समता  युवा संघ द्वारा धार्मिक परीक्षा  का भी आयोजन रखा गया है। संचालन गुलाब चौपड़ा द्वारा किया गया।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment