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Thursday, April 17, 2025, 11:34 pm

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पूर्व जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास की कविता

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निराली प्रकृति

सुबह की मंगल वेला में
प्रकृति रंग बरसाती है,
इंसान के कर्मों को देखकर
उनमें रंगों को भरती है,
दोपहर में कड़ी धूप फैलाकर
मानव की परीक्षा लेती है,
मेहनत करने वालों को देख
सम्मान उनका करती है,
ऊर्जावान निर्मल हर प्राणी को
प्रकृति सुरक्षित रखती है,
प्रेम से जीवन जीने वालों को
हर प्रकार का सुख देती है,
मानव से प्रेम करने वाले को
साधन से संपन्न बनाती है,
आदर का भाव रखने वाले को
आशीर्वाद प्रकृति देती है,
प्रकृति का खेल बड़ा निराला
जीव का पोषण करती है,
संयम रखकर जीने वालों के
सिर पर ताज पहनाती है।

-गोपाल कृष्ण व्यास, पूर्व न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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