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Friday, May 2, 2025, 3:44 pm

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राइजिंग भास्कर स्थापना दिवस स्टोरी-2…श्री मां और श्री अरविंद सृष्टि के आरंभ से ही ‘TIME TRAVEL’ की अपनी अभूतपूर्व यात्रा पर हैं..!

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लेखक : रविदत्त मोहता, चिंतक और आकाशवाणी जोधपुर से सेवानिवृत्त डायरेक्टर

(रविदत्त मोहता का परिचय इतना ही नहीं हैं कि वे आकाशवाणी के सेवानिवृत्त डायरेक्टर हैं। वे ब्रह्मांड को अपने भीतर जीने वाली सत्ता है। शब्द उनके आंगन में अठखेलियां करते हैं। ईश्वरीय अनुभूतियों को वे अपने भीतर गहरे तक महसूस करते हैं। एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने में विश्वास रखने वाले मोहता अमेरिका प्रवास के दौरान कई अनुभवों को महसूस कर चुके हैं। उनका लेखन का फलक ब्रह्मांडीय खोज से परे है। गहराई सागर से भी अधिक। मोहता इस युग के महान दार्शनिक हैं। उनकी कृतियों का मूल्यांकन आने वाला समय करेगा। उन्होंने पांच से अधिक कृतियां रची हैं। वे इन दिनों टाइम ट्रेवल पर उपन्यास लिख रहे हैं।)

राइजिंग भास्कर का 12 मई को तीसरा स्थापना दिवस है। इस दिन जोधपुर का भी स्थापना दिवस है। आज से हम प्रतिदिन 12 मई तक विशेष स्टोरी और आलेख प्रकाशित करेंगे। इसी कड़ी में पढिए दार्शनिक लेखक और चिंतक रविदत्त मोहता का टाइम ट्रेवल और अध्यात्म को आत्मसात करता हुआ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लिखा आलेख-

कभी-कभी हम खुद कुछ नहीं लिखते…बल्कि  “पहले से लिखे हुए” को ही ‘कोई और’ पुनः लिख रहा होता है..! ऐसा ‘स्टीफ़न हॉकिंग’ के साथ हुआ था। इस महान वैज्ञानिक की पूरी उम्र ही ‘पहले से लिखे हुए’ को ‘पुनःलिखने’ में व्यतीत हुई…उनकी बहुचर्चित दो पुस्तकें-   ‘A BRIEF HISTORY OF TIME’ और ‘THEORY OF EVERYTHING  इसका प्रमाण हैं…! पहले लिखे हुए से मेरा मतलब है कि जो कुछ अस्तित्व में पहले से ही है…उसे बस लिख लेना…

इसे ही तो हम पृथ्वी पर विज्ञान और अध्यात्म कहते हैं..!

बाद में इस महान वैज्ञानिक सर स्टीफ़न ने Time travel पर बहुत काम किया। जिसका जिक्र आज मैं इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि इसका सम्बन्ध श्री मां और श्री अरविन्द के पृथ्वी पर किए गए अपने पार्थिव EVOLUTION TRAVEL के अभूतपूर्व Time travel से है..!

सर स्टीफ़न को हमेशा यह डर रहता था कि कहीं ऐसा न हो कि ‘भविष्य से कोई यात्री’ TIME Travel करके हमारे दौर की पृथ्वी पर चला आये… और हमारी वर्तमान सभ्यता को तहस-नहस कर दे..! क्योंकि स्टीफ़न यह जानते थे कि टाइम ट्रेवल करना सम्भव है!लेकिन उन्हें चिंता यह भी थी कि अगर वो ‘TIME TRAVELLER’ भविष्य से टाइम ट्रेवल करके हमारे दौर में सचमुच चला आया…और पृथ्वी की past ‘टाइम ट्रेवल’ पर निकल गया तो उसके एक मिनट की PAST TRAVEL से ही पूरी पृथ्वी नष्ट हो जाएगी..!!

अब आप यह सोच रहे होंगे कि एक मिनट पीछे PAST में टाइम ट्रेवल करने से इतनी बड़ी पृथ्वी कैसे समाप्त हो सकती है..?

इस पर स्टीफ़न ने अपनी थ्योरी में कहा-

“मान लो मनुष्य ने past में एक मिनट पीछे जाने की TIME MACHINE बना ली..और कोई एक भविष्य से आया हुआ टाइम ट्रैवलर past की एक मिनट की यात्रा पर निकल गया…और उसने अपनी यात्रा के दौरान खुद को past में एक मिनट पीछे जब देखा, तो खुद से खुद को गोली मार दी…तब होगा यह कि वो past में तो तुरंत मर ही जायेगा…लेकिन जब वो वापस एक मिनट बाद वर्तमान में लौटेगा तो खुद को present में भी मरा हुआ पायेगा..!

अब प्रश्न यह खड़ा होता है कि उसको वर्तमान में गोली किसने मारी..?

तो प्रश्न यह भी खड़ा होता है कि जब वो एक मिनट पहले मर चुका था, तब वो अपने Time travel की भूतकाल की यात्रा पर कैसे निकल सकता था…?”

आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं…इसलिए स्टीफ़न ने कहा कि भूतकाल में टाइम ट्रेवल कभी नहीं किया जा सकता..और जो कभी कोई एक मिनट के लिए भूतकाल के टाइम ट्रेवल में निकलने को कामयाब हो गया तो सम्पूर्ण पृथ्वी तत्काल नष्ट हो जाएगी..!

इसका कारण उन्होंने यह बताया कि ब्रह्मांड की भौतिक केमिस्ट्री “सह-अस्तित्व” से बुनी हुई है… पृथ्वी पर हरेक मनुष्य की मृत्यु के साथ-साथ कई रिश्तों का, कई खेतों के अन्न का, कई नदियों के पानी का, आकाश से बरसी हुई हर एक उस बून्द की भी मृत्यु हो जाती है…जो उस दिवंगत मनुष्य की देह पर पड़ी होती है..! यानी हर मनुष्य के साथ उसके जीवन में आये वे सभी सम्पर्क नष्ट हो जाते हैं…जो उसके DNA के साथ तक जुड़े होते हैं…यानी पूरी मानव प्रजाति और धरती का गुरुत्वाकर्षण नष्ट हो जाता है…इतनी बड़ी घटना एक स्थूल शरीर के भूतकाल में एक मिनट की टाइम travelling से सौर- मंडल में इतनी बड़ी दुर्घटना घटित कर सकती है..! इस तरह यह एक तरह के परमाणु बम की तरह “time chain reaction blast” हो जाता है..इसी वजह से श्री अरविन्द और श्री मां ने अतीत की नहीं बल्कि पृथ्वी पर भविष्य की यात्रा की। वे पृथ्वी को अतीत के मानव से आगे उसके अतिमानव संस्करण की ओर ले गए..!

2009 में स्टीफ़न ने एक प्रयोग और किया। ये वो दिन थे,जब स्टीफ़न को यह लगने लगा था कि उनकी मृत्यु नजदीक आ रही है..सो वो यह जानना चाहते थे कि क्या पृथ्वी पर कोई भविष्य से आया हुआ Time Traveller मौजूद है क्या ..?

इसका पता करने के लिए उन्होंने एक गुप्त पार्टी  university of cambridge में आयोजित की..

और उसमें भविष्य से आये हुए उन सभी  time travellers को उन्होंने आमंत्रित किया, जो past में time travel करने हेतु पृथ्वी पर आए होंगे..!!

यह पार्टी इतनी गुप्त थी कि किसी को भी इसकी उन दिनों कानों-कान खबर नहीं थी।

यह दिन 28 जून 2009 का था।पर उस दिन उनकी इस पार्टी में एक भी time traveller नहीं आया। हालांकि बाकायदा खाने की टेबलों पर भोजन रखा हुआ था। स्वागत के लिए फूलों के गुलदस्ते भी रखे हुए थे। पर एक भी time traveller उनकी पार्टी में नहीं आया। स्टीफ़न लगभग दो-तीन घण्टे अकेले एक कमरे में बैठे हुए उन  time  travellers का इंतजार करते रहे..!

बाद में उन्होंने उस आमंत्रण पत्र को इंटरनेट में सार्वजनिक कर दिया.. और लोगों को बताया कि वर्तमान समय 2009 की 28 जून की तारीख तक कोई भी टाइम ट्रैवलर पृथ्वी पर उनकी जानकारी में मौजूद नहीं है, लेकिन मैं समय की अनन्त गहराईयों में इंटरनेट पर यह आमंत्रण पत्र इसलिए छोड़ रहा हूँ कि अगर भविष्य में कोई टाइम ट्रैवलर मेरी मौत के बाद पृथ्वी पर आ जाये तो उसे मेरा यह आमंत्रण पत्र प्राप्त हो सके..?

अब आप सोच रहे होंगे कि इस तरह का प्रयोग स्टीफ़न क्यों करके गए हैं..? तो इसका कारण यह है कि हमारी पृथ्वी पर किसी भी घटना के पीछे एक वैज्ञानिक Cause and Effect होता है..जिसको सरल शब्दों में मैंने “सह-अस्तित्व” लिखा है!लेकिन विज्ञान कहता है कि यह ब्रह्मांड cause and Effects से बना है,इसलिए पृथ्वी पर स्टीफ़न ने आमंत्रण पत्र  को इंटरनेट पर share करके Time travellers को Cause and Effect का का vibrate message अस्तित्व में छोड़ दिया है कि जिससे वे पृथ्वी के इस मैसेज को अंतरिक्ष के किसी डार्क मैटर के बादल में तैरते हुए प्राप्त कर सकें..और पृथ्वी की ओर चले आए..इसीलिए स्टीफ़न ने पार्टी के उस कार्ड को सार्वजनिक कर दिया..!

तो अब मैं आपको आगे की time travel यात्रा पर लिए चलता हूँ…!

वैसे जिस भविष्य से आने वाले टाइम travellers की बात स्टीफ़न कर रहे थे,वो हमारी मानसिक घड़ी और पार्थिव स्थूल प्रचलित गणनाओं पर आधारित ‘भविष्य’ की बात कर रहे थे..जिसे हम पृथ्वी पर “कल या परसों”कहते हैं…! क्योंकि पार्थिव-विज्ञान आज भी मनुष्य के मानसिक विकास की अपनी अधूरी यात्रा पर ही अभी तक ठहरा हुआ है ,और अपने मानसिक सफर पर उकड़ू बैठा हुआ है..!!

मानसिक यंत्र (skull) कभी भी Time travel नहीं कर सकता..क्योंकि पार्थिव विज्ञान हर काल गणना पृथ्वी के मानसिक पांवों से पार्थिव यात्रा तय करती है..जबकि Time travel एक अपार्थिव यात्रा करती हुई अपार्थिव घटना है..!अपार्थिव BEING ही Time travellers हो सकते हैं..और वे ही समय में Evolution travel पर यानी Time travel पर निकल सकते हैं..!

मैंने श्रीअरविन्द आश्रम के साधक “मोना” की एक किताब-‘मधुर मां’ में श्रीअरविन्द के time travel पर निकलने की घटना को पढ़ा है,जिसे आज मैं आप सभी भाई-बहनों के साथ share करना चाहता हूं. मेरा व्यक्तिगत विचार है कि श्री मां और श्री अरविन्द पृथ्वी पर अपने अभूतपूर्व TIME TRAVEL पर थे.., हालांकि मोना जी ने अपनी किताब में ऐसा नहीं लिखा है…

मोना लिखते हैं कि किस प्रकार “सावित्री”लिखने से पूर्व श्रीअरविन्द और श्रीमाँ में एक संवाद हुआ था!श्रीमाँ..मोना को उस किताब में बताती हैं-

“…’सावित्री’ लिखने से पहले श्रीअरविन्द ने मुझसे कहा था:”मुझे एक नया साहस का कार्य करने की प्ररेणा मिल रही है।शुरू में मैं सकुचा रहा था … !      लेकिन अब मैंने निश्चय कर लिया है।लेकिन अब भी नहीं जानता कि मैँ कहाँ तक सफल होऊंगा।मैं सहायता के लिए प्राथना करता हूँ।”और तुम जानते हो,वह साहस कार्य क्या था?वह था-”शुरू करने से पहले..” मैं तुम्हें सावधान कर दूं,यह उनके बोलने का तरीका था,नम्रता और दिव्य विनय से इतना भरा हुआ।वे कभी दबाव डालते हुए नहीं बोलते थे।और जिस दिन उन्होंने वास्तव में यह काम शुरू किया तो उन्होंने मुझसे कहा-

“मैंने अनन्त की विशालता में अपने-आपको एक बिना पतवार की नाव में छोड़ दिया है।”

और एक बार शुरू करके वे बिना रुके पन्ने-पर-पन्ने लिखते चले जाते थे..मानों वह ऐसी चीज थी,जो वहां ऊपर पहले ही तैयार हो चुकी थी,उन्हें बस उसे कागजों पर स्याही से लिप्यन्तरित करना था।”

व्यक्तिशः मैं श्रीअरविन्द की महान किताब “सावित्री” को पृथ्वी प्रदान की गयी एक Time Machine मानता हूं।यह एक ऐसी मशीन है कि जिसको पढ़ते हुए हम एक साथ भूतकाल,वर्तमान और भविष्य की यात्रा पर निकल जाते हैं..हम सभी “सावित्री” को पढ़ते हुए..समय की अनन्त गहराईयों में…और पृथ्वी के वर्तमान,भूत और भविष्य-काल के Time travel पर होते हैं..!

अब एक बात, जो मुझे श्रीमाँ के प्ररेणा से पृथ्वी के कान में कहनी है,वो यह है कि पार्थिव विज्ञान की थ्योरी यह मानती है कि ब्रह्मांड में कोई भी घटना बिना Cause and Effect के हो नहीं सकती..इसीलिए स्टीफ़न ने यह invitation card अस्तित्व में Cause और Effect को पैदा करने के लिए पृथ्वी पर छोड़ा हैं…

जबकि श्रीअरविन्द ने सावित्री में लिखा है –

“यह ब्रह्मांड “अविचारित विचार”से प्रकट हुआ है..!”

ब्रह्मांड में घटना के घटित होने की वजह से पृथ्वी पर Cause और Effect घटित होताहै..

‘अविचारित ब्रह्मांड”का जन्म पार्थिव पृथ्वी के भौतिकी-नियमों के अधीन नियंत्रित नहीं होता है..?यह असम्भव है.!!

मैंने सावित्री को पढ़ते हुए यह जाना है कि श्रीअरविंद और श्रीमाँ सावित्री के पृष्ठों पर अनन्त की अपनी काल निरपेक्ष युगल -Time travel यात्रा पर हैं..!

मैं श्रीअरविन्द और श्रीमाँ को पृथ्वी का पहला “युगल Time traveller” मानता हूं..सृष्टि के जन्म से लेकर पृथ्वी पर पैदा होने वाले अतिमानव तक के क्रमिक विकास की यात्रा..मृत्यु पर विजय की कोशिका यात्रा और सुदूर लोकों की श्रीअरविन्द यात्रा… यह सब क्या सावित्री में लिखा गया Time travel नहीं है..?

मेरी दृष्टि में अस्तित्व का सम्पूर्ण Time travel “सावित्री” पुस्तक के पृष्ठों पर श्रीअरविन्द ने अपनी कालजयी कलम से दर्ज कर दिया है..!

ब्रह्माण्ड का यह नियम है कि कोई भी “यूनिवर्सल घटना”पहले ब्रह्मांड में घटित होती है..बाद में वो पृथ्वी की पार्थिव पोशाकें पहनकर धरती पर उतरती है..

सर स्टीफ़न हॉकिंन का जन्म 8 जनवरी 1942 में हुआ था।और उनकी मृत्यु 14 मार्च 2018 को हुई..!जबकि श्रीअरविन्द भविष्य से Time travel करते हुए हमारी पृथ्वी की ओर 15 अगस्त 1872 को आये…और 5 दिसम्बर 1950 को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हुए.. अपने शरीर को पृथ्वी की प्रकृति में संरक्षित करके वायुमंडल में प्रवेश कर गए ..इसी तरह श्रीमाँ भविष्य से Time travel करते हुए पृथ्वी पर 21 फरवरी 1878 को आयी और पृथ्वी की प्रकृति में अपनी देह रखकर वो भी वायुमंडल में 1973 में प्रस्थान कर गयी …!

सर स्टीफ़न द्वारा मुद्रित करवाया गया time travellers के लिए वह invitation card.. जिस पर 28 जून 2009 की तारीख लिखी है..!  आज भी इंटरनेट पर देखा जा सकता है..!

अभी बहुत कुछ है..जो सावित्री में भरा पड़ा है..समय आने पर खुद ‘अतिमानव” श्रीअरविन्द की कालजयी कृति सावित्री के पृष्ठों से बाहर निकल कर हम सबके साथ टहलने लगेगा…!

आओ..आज हम सभी श्रीमाँ के पुनीत जन्म दिवस पर, श्रीअरविन्द के आशीर्वाद के साथ, यूनिवर्स के अमर पथ “सावित्री” का हाथ पकड़कर.. श्रीमाँ को प्राप्त करने के लिए अपने-अपने  Time travel पर निकल पड़े…।

(यह आलेख आपको कैसा लगा आप 9340931517 पर अपनी राय भेज सकते हैं)

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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