(प्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती फतह कुमारी व्यास की आज पुण्यतिथि है। उन्होंने 50 वर्षों तक राजस्थानी लोक गीतों को गाया। श्रीमती व्यास का गाया लोक गीत उड़ उड़ रे माहरा काळा रे कागला की रिकार्ड जोधपुर की ग्रामीफोन कम्पनी दुर्गा सिंह एंड सन्स ने 1954 में बना कर रिलीज की। एशियार्ड 1982 के उद्घाटन में समारोह में घूमर नृत्य का पार्श्व गायन किया। आकाशवाणी की बी हाई कलाकार थी । 1950 से उनके लोक गीतों का प्रसारण नियमित रूप से होता था। सन 2001 ने उन्हें राजस्थान संगीत नाटक एकादमी ने राज्यस्तरीय सम्मान से सम्मानित किया। श्रीमती व्यास के पुत्र पूर्व जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने अपनी माताजी और प्रसिद्ध कलाकार श्रीमती फतह कुमारी व्यास की पुण्यतिथि पर भाव भीनी श्रद्धांजलि कविता के माध्यम से दी है। प्रस्तुत है कविता। )
जीजी को समर्पित मन के भाव
उड़ उड़ रे
माहरा काळा रे कागला
जब गीत, गूंजता कानों में,
स्वर फतह कुमारी जी का
लगता है सुरीला मौसम में,
स्वर कोकिला जब गाती है
सामने चेहरा भी दिखता है,
पक्षियों के गीत सुनाने से
संस्कृति का सृजन होता है,
लोक प्रेम की छटा बिखरना
लोगों को अच्छा लगता था,
लोक गायिका फतह कुमारी
मीठे स्वर में गीत गाती थी,
आवाज की खनक सुनकर
महिलाएं दौड़ी आ जाती थी,
क़ुरजां घूमर और पणिहारी
त्योहारों पर प्रेम से गाती थी,
निर्मल वाणी से सहज रहकर
अपना सबको बनाती थी,
अपनी अलग लोक शैली से
संस्कृति की गंगा बहाती थी,
लोक गीतों की स्वर लहरी की
याद हमको बहुतब सताएगी।
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