नाचीज बीकानेरी की एक कविता
याद रखें असली घर मेरा घर ये पूरी कायनात है मुझे वो सब कुछ मिलता है जो मेरे रब ने दिया है। भूल सकता नहीं उसके कर्म को शुक्र है उसका मैं खुश हूं घर में । नाशुक्रा कभी नहीं रहा कोशिश यही रहती है लब पर रहे उसका नाम । इस घर से उस … Read more