Explore

Search
Close this search box.

Search

Friday, November 8, 2024, 5:48 pm

Friday, November 8, 2024, 5:48 pm

Search
Close this search box.
LATEST NEWS
Lifestyle

डीके पुरोहित का आज के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण गीत

Share This Post

(पत्रकार सीधा हमला करता है और कवि संकेतों में बात कहता है। ऐसा ही कुछ संकेत करता है डीके पुरोहित का यह गीत)

दुनिया जहर पिलाती रही

 

दुनिया जहर पिलाती रही

हम अमृत लुटाते रहे

कांटों ने दिए लाख जख्म

फूल थे कि मुस्काते रहे

वो आदमी थे जिनका काम

अपनों से दगा करना रहा

हम तो कुछ थे ही नहीं

हमारा क्या जिंदा-मरना रहा

शून्य तो परिभाषित होता

इससे कम खुद को गिनाते रहे

दुनिया जहर पिलाती रही

हम अमृत लुटाते रहे

खुदा होता जो मैं तो

हर खता की सजा देता

जो होता भगवान तो

मौत का बिगुल बजा देता

शब्दों के रहे जो साधक

खुद का कागज पर गलाते रहे

दुनिया जहर पिलाती रही

हम अमृत लुटाते रहे

सोचता हूं कभी अकेले में

क्यों बनाते हैं इबादत के घर

क्या कमी है परमतत्व को

क्या कमी है उसके दर

मैं मूरख नादां सही

समझदार तर्क बताते रहे

दुनिया जहर पिलाती रही

हम अमृत लुटाते रहे

पत्थरों में पत्थर को पूजते

मीनारों में उसे पुकारा

चर्च-मंदिर-गुरुद्वारों में 

क्यों ढूंढ़ते रहे सहारा

दुखियारे मां-बाप को

क्यों न गले लगाते रहे

दुनिया जहर पिलाती रही

हम अमृत लुटाते रहे।

 

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment