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Monday, April 28, 2025, 7:29 pm

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पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी की सार्वजनिक राय- वोट का अधिकार व्यक्ति की “एजुकेशन के अनुपात में हो”; अगर जज यह फैसला कर दे तो लोकतंत्र की हत्या ही हो जाए

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पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी का बयान ऐसे समय में आया है, जब पूरे देश में आतंकवाद पर बहस चल रही है, रविवार को जोधपुर के स्टील भवन में संगोष्ठी चल रही थी। पूर्व जस्टिस कोठारी ने एक संदर्भ में कहा कि देश में वोट प्रणाली को एजुकेशन से जोड़ा जाए। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि मतदान का अधिकार व्यक्ति की शिक्षा के अनुपात में होना चाहिए…आइए इस बहस को आगे बढ़ाते हैं…
पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी संविधान के ऐसे जिम्मेदार पद से जुड़े रहे हैं जिनकी बातों को समाज गंभीरता से लेता है। लेकिन जब उन्होंने राइट टू वोट काे एजुकेशन से जोड़ने की बात कही तो हम कहना चाहेंगे कि वे इस देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं, क्या वे चाहते हैं कि मुट्‌ठी भर लोग इस देश के लोकतंत्र को कुचल कर रख दें। फर्जी डिग्रियां लेकर और शिक्षा के नाम पर वोट के अधिकार हासिल कर हमारे भारत की मूल आत्मा को लहूलुहान कर दे…श्रीमान कोठारी जी आपसे ऐसे मूर्खतापूर्ण बयान की उम्मीद नहीं थी, आपको अगर न्याय करना होता तो यह न्याय नहीं होता…आपकी बातें बिल्कुल एकतरफा और अतार्किक हैं..।

डीके पुरोहित. जोधपुर

‘आतंकवाद की चुनौतियां और हमारी भूमिका’ विषय पर रविवार को शास्त्री नगर स्थित स्टील भवन में संगोष्ठी आयोजित की गई। इस मौके पर पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी भी मौजूद थे। उन्होंने आतंकवाद के संदर्भ में ही अपनी बात रखते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि वोट के अधिकार को एजुकेशन से जोड़ा जाए। आगे उन्होंने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि व्यक्ति का वोट का अधिकार उसकी शिक्षा के अनुपात में होना चाहिए। उनका बयान ऐसे समय में आया है जब देश में आतंकवाद पर बहस चल रही है। पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी जैसे बुद्धिजीवी का हो सकता है यह व्यक्तिगत बयान हो। मगर जब पूर्व न्यायाधीश जैसा व्यक्ति सार्वजनिक रूप से ऐसा बयान दे तो उस पर बहस होनी ही चाहिए।

राइजिंग भास्कर ने पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी के बयान को कई वकीलों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों के सामने रखा। कई लोग खामोश रहे। पर वरिष्ठ साहित्यकार हरीदास व्यास ने प्रतिक्रिया जरूर व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के कई सरगना पढ़े लिखे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि जेएनयू के विद्यार्थी तो आतंकियों के साथ हैं। इसी तरह वरिष्ठ विचारक और पत्रकार अयोध्याप्रसाद गौड़ ने कहा कि मैं सहमत नहीं हूं। शिक्षित लोगों से भरपूर ब्यूरोक्रेसी और न्यायपालिका ने देश का कितना भला किया है आपको पता है। ये समग्र लोकतंत्र नहीं हुआ। एक तरह का आरक्षण है। उसमें फिर फर्जी डिग्री ले आएंगे सब। जब पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी बोल रहे थे किसी भी बुद्धिजीवी ने उनकी बात का विरोध नहीं किया। इस कार्यक्रम को कवरेज करने के लिए यह पत्रकार भी मौजूद था। मैंने तय कर लिया था कि उनकी इस बात पर विशेष आलेख लिखूंगा। क्योंकि ऐसा विषय है जो देश को लेकर गंभीर विषय है। लोकतंत्र की दिशा तय करने वाला है।

अगर वाकई पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी जैसे बुद्धिजीवी ऐसी बात कहते हैं तो हमें सोचना चाहिए कि लोकतंत्र को किस दिशा में हम ले जाना चाहते हैं। यह मुद्दा देश के लोकतंत्र की हत्या करने जैसा हुआ। भला यह क्या तर्क हुआ कि पढ़े लिखे व्यक्ति का वोट प्रतिशत अधिक हो और अनपढ़ का कम। जब देश का संविधान बनाया जा रहा था तब इस देश को लोकतंत्र का स्वरूप रखा। लोकतंत्र की नींव भी यही है कि समानता। मगर संविधान की पालना करवाने वाले पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी जैसे व्यक्ति साफ-साफ कहे कि लोकतंत्र में वोटिंग प्रणाली को एजुकेशन से जोड़ें यानी राइट टू वोट को एजुकेशन से जोड़ें। यह अगर अदालत में केस चल रहा होता और पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी को फैसला करना होता और वाकई राइट टू वोट को एजुकेशन से जोड़ दिया जाए तो लोकतंत्र की हत्या हो जाए।

इस गंभीर मुद्दे पर देश के बुद्धिजीवी नहीं बोलेंगे क्योंकि पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी जैसे पावरफुल व्यक्ति की बात काटने से वे डरते होंगे। लेकिन डॉ. हरीदास व्यास ने जो बात कही वो एक दम सही है। जेएनयू में विद्यार्थी खुद आतंकवादियों के साथ हैं। दूसरी ओर वरिष्ठ चिंतक और पत्रकार अयोध्याप्रसाद गौड़ की बात काबिले गौर है उनका कहना कि लोग फर्जी डिग्रियां लेकर आ जाएंगे। इन सबसे हटकर हम अगर बात करें तो यह अराजगता वाली स्थित पैदा कर देगी। इस देश में मुट्‌ठी भर लोग देश पर राज करेंगे और देश के लोकतंत्र को कुचल कर रख देंगे। पूंजीवादी ताकतें इस देश पर राज करेंगी और लोकतंत्र में ऐसा दौर शुरू हो जाएगा जो इस देश के लोकतंत्र की आत्मा को कुचल कर रख देगी। हम यह आलेख खासतौर पर लिख रहे हैं और देश-दुनिया को बताना चाहते हैं कि पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी जैसे व्यक्ति की राय लोकतंत्र को लेकर कितनी खोखली है। हालांकि हर बुद्धिजीवी को अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन जो व्यक्ति कभी न्यायाधीश के आसन पर बैठा हो उसे सार्वजनिक जीवन में भी सोच समझकर टिप्पणी करनी चाहिए। क्योंकि लोग एक पूर्व न्यायाधीश की बातों को गंभीरता से सुनते हैं। उस संगोष्ठी में किसी भी बुद्धिजीवी ने उनकी बात पर टिप्पणी व्यक्त नहीं की। या तो बुद्धिजीवी उनकी बात को समझ नहीं पाए या फिर एक पूर्व जज से पंगा लेने की स्थिति में नहीं थे। मगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत ही हम पूर्व जस्टिस कोठारी की टिप्पणी पर अपनी बात रख रहे हैं और यह बताना चाहते हैं कि पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी जैसे न्यायाधीश की सोच लोकतंत्र विरोधी है।

इतिहास पर नजर डालें। जितनी भी आतंकवादी घटनाएं हुई हैं और आगे भी होंगी। क्या उसमें पढ़े लिखे लोग इन्वॉल नहीं थे या आगे भी नहीं होंगे। हमने कई केस में देखा कि सर्वोच्च डिग्रियां प्राप्त और इंजीनियर डॉक्टर जैसे लोग आतंकी घटनाओं में शामिल रहे हैं। फिर पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी का यह बयान हास्यास्पद ही नहीं मूर्खतापूर्ण है। इसमें न्याय का सिद्धांत ही नहीं है। कहते हैं कि न्याय होना ही नहीं न्याय होते दिखना चाहिए। अगर पूर्व जस्टिस कोठारी को फैसला करना होता तो इसमें नैसर्गिक न्याय कहीं नजर ही नहीं आ रहा। एक पढ़े लिखे व्यक्ति को वोट अनुपात अधिक मिले और कम पढ़े और अनपढ़ को कम…। यह कहां तक उचित है? इस देश की न्यायपालिका में जब तक पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी जैसी सोच रखने वाले जज रहेंगे लोकतंत्र की मूल भावना की हत्या को कोई नहीं रोक पाएगा?

हो सकता है मेरा यह आलेख पढ़ कर पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी को अपनी मानहानि लगे। लेकिन हम विनम्रतापूर्ण कहना चाहेंगे कि आपने जो बात कही वो संविधान की मूल भावना के अनुरूप नहीं है। आपने क्या सोच कर यह बात कही? आपने जो तर्क रखे वो सब हास्यास्पद है। आतंकवाद का अशिक्षा से कोई लेन देन नहीं है। और यह भी नहीं कह सकते कि पढ़े लिखे होंगे तो आतंकवाद मिट जाएगा। आतंकवाद हमारी मनोवृत्ति से जुड़ा मुद्दा है। इसमें शिक्षा या अशिक्षा तत्व की कोई भागीदारी नहीं होती। कबीर जैसे संत कहीं यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़े और ना ही उनके पास डिग्री थी। लेकिन कबीर ने जो साहित्य रचा और जो समाज को दिया उसे आज पूरी दुनिया पढ़ रही है। लोग कबीर पर पीएचडी कर रहे हैं। अब अगर पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी की बात लागू हो जाए तो कबीर जैसे व्यक्ति को वोट का अधिकार कितना मिलना चाहिए। यह पूर्व जस्टिस विनीत कोठारी का मूर्खतापूर्ण बयान है जो ऐसे समय आया है जब एक पूर्व जज से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती। खम्मा घणी…।

 

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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